कोरिया
छत्तीसगढ़ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 7 मई। योग शास्त्र में कई योगासन, प्राणायाम बताए गए हैं जिसे किया जाना चाहिए। हरेक व्यक्ति के घर में पूजा स्थल पर एक शंख होता है, जिसकी आज कोरोना काल में उपयोगिता होनी चाहिए, अगर हम सुबह और शाम घर पर शंख बजाने का प्रयास करें तो हमारे फेफड़े बहुत मजबूती पाएंगे और संक्रमित होने पर या संक्रमित होते हुए भी यह प्रयास हम सबको स्वस्थ्य रखेगा।
अधिवक्ता के. सिंह ने फेफड़े की मजबूती के लिए शंखनाद पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के संबंध में यह प्रमाणित है कि संक्रमण नाक और गले के माध्यम से फेफड़ों तक पहुंच जाता है। शुरूआती लक्षणों से भाप और गरारा करके गले और नाक के संक्रमण को रोका जाता है, लेकिन अधिकांश मामलो में यह देखा गया है कि संक्रमण फेफड़ों तक पहुंच जाता है, फिर रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाया जाता है। ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ती है। अत: इस बात में कोई विवाद नहीं हैं की हमें अपने फेफड़ों को मजबूत करना है। उन्होंने कहा कि शंखनाद को आप किसी दकियानूसी सोच का हिस्सा न मानें। यह बात उन्होंने विज्ञान, मेडिकल एवं अन्य जो भी प्रमाणित किये जाने के पैमाने हैं उस पर खरा पाया है। अधिवक्ता सिंह ने शंखनाद के संबंध में हर तरह से संतुष्ट होकर इस मुहिम में शामिल होने की अपील करते हुए कहा कि यह मानव के अस्तित्व की लड़ाई है।