गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 13 जून। गरियाबन्द जिले के मैनपुर विकासखंड के देवभोग जलसंसाधन विभाग द्वारा भेजीपदर व्यापर्तन योजना के मुख्य नहर चैन क्रमांक 350 के अंतिम छोर में बसे ग्राम पंचायत छैल डोगरी के आस पास के छोटे-छोटे किसानों की खेती योग्य जमीन को किसानों को बिना जानकारी दिए ही नहर लाईनिंग का कार्य दो साल से किया जा रहा है। इसकी शिकायत किसानों द्वारा लगातार कलेक्टर, विभागीय उच्चाधिकारियों, मुख्य सचिव तक आवेदन दिया गया। जिस पर किसानों को कार्रवाई का आश्वासन भी नहीं मिला। ग्रामवासियों ने शासन-प्रशासन से उच्च स्तरीय जांच समिति गठन कर जांच की मांग की है।
देवभोग जलसंसाधन एसडीओ आर के सिंघई ने इस बारे में ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि जैसा सर्वे हुआ है उसी प्रकार से काम हो रहा है।
‘छत्तीसगढ़’ ने गांव पहुंच कर किसानों से रूबरू चर्चा की। किसानों ने बताया कि जलसंसाधन विभाग ने किसानों से न कोई चर्चा की न ही किसी प्रकार भूअर्जन के लिए मुनादी। अब तक के नहर निर्माण हुए भूमि का यहां के किसानों का कोई भी प्रकरण न होना विभागीय कार्रवाई से किसानों को संदेह स्थिति पैदा करने पर मजबूर हो रहे हैं।
उक्त नहर लाईनिंग निर्माण का किस प्रकार के सूचना या कार्य पट्टिका नहीं लगाया जाना, कहीं-कहीं पर किसान को जानकारी दिये बिना ही नहर के लिए खोदी गई खेत को किसान द्वारा पाट दिया गया।
छैल डोगरी के किसान ललित राम सिन्हा ने कहा कि सिंचाई विभाग द्वारा बनाये जा रहे नहर ही गलत तरीके से किया जा रहा हैं, इस निर्माण कार्य के लिए किसानों के सहमति लिए बिना ही निर्माण किया जा रहा हैं। निर्माण किये जा रहे नहर की गहराई खेती जमीन से 10 से 11 फीट गहरा होने के कारण खेतों में पानी ही नहीं पहुंचेगा, जिससे शासन व किसानों की खेती योग्य जमीन दोनों का होगा नुकसान, जिससे यह मात्र सफेद हाथी ही साबित होगा इसलिए समय रहते इस निर्माण का उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।
दशरथ कुमार सिन्हा ने कहा कि आज से दो साल पूर्व से क्षेत्र में विभाग द्वारा किसी प्रकार की जानकारी दिये बिना ही नहर लाईनिंग कर रहे हैं। अधिकारी कुछ बताने को तैयार नहीं है। विभाग द्वारा किसी प्रकार किसानों को भू-अर्जन की जानकारी नहीं दिए हंै किसानों ने जमीन हड़पने का आरोप लगाते हुए कहा है कि नहर लाइनिग की खोदाई खेती जमीन से अधिक गहरा हैं जिसके कारण नहर का पानी ही नहीं पहुंच पायेगा, नहर के लिए किया गया सर्वे ही गलत हैं। इसी प्रकार से आदिवासियों की जमीन दो-दो एकड़ जिसमें नहर खोद दिया गया। जो कि दो साल हो गया उसका अभी तक किसी प्रकार से मुआवजा का अता-पता नहीं। जिससे यहां के किसानों में भारी आक्रोश है।
छैल डोगरी व गोलामाल के पीडि़त किसानों भीम धर पटेल, महेश, सोमबती, लखिधर, भान देवी, नरोत्तम सिन्हा, भारत, रूपधर , देशराम, कार्तिक बीरसिंह, दशरथ सिन्हा, बसन्त सिन्हा, ललिता बाई एवं ग्रामवासियों ने शासन-प्रशासन से उच्च स्तरीय जांच समिति गठन कर जांच की मांग की है।