सरगुजा
6 माह में 89 मकान तोड़े, बारिश-धुंध के बीच ग्रामीणों को जान बचाना हो रहा मुश्किल
अभिनव साहू
अम्बिकापुर/मैनपाट,26 जुलाई ('छत्तीसगढ़' संवाददाता)। छत्तीसगढ़ का शिमला सरगुजा के मैनपाट में इन दिनों वहां के रहवासी हाथियों के लगातार हमले से सहमे हुए हैं और अपने अस्तित्व को लेकर काफी चिंतित हैं। पिछले 6 महीनों की बात करें तो इस क्षेत्र में हाथियों ने लगभग 89 मकानों को तोड़ा है, वहीं कई लोगों की जान ली है।
हाथियों के लगातार हमले से बारिश और धुंध के बीच ग्रामीणों को अपनी जान बचाना काफी कठिन हो रहा है। एक ओर बारिश और दूसरी ओर धुंध में कुछ दिखाई नहीं देने के कारण हाथियों के धमक के बीच ग्रामीण भागने में असफल हो रहे हैं और इसी का नतीजा है कि रविवार की रात हाथियों के दल ने मांझी समुदाय के एक वृद्ध को बुरी तरह कुचल कर मार डाला और मकान को भी क्षतिग्रस्त कर दिया है। यही नहीं गजदल अब तक कई हेक्टेयर में लगे फसलों को भी रौंद चुके हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग केवल मुआवजा बांटने तक ही सीमित रह गया है। लगातार हमले के बावजूद विभाग ग्रामीणों को सही समय पर सूचना नहीं दे पा रहा है और ना ही उन्हें खदेडऩे कोई उचित कदम अब तक उठा पाया है।
जानकारी के मुताबिक मैनपाट के उरँगा पतरापारा में रविवार की रात हाथियों के दल ने सुमारु मांझी के घर के ऊपर धावा बोल दिया। हाथियों की धमक से परिवार में अफरा-तफरी का माहौल निर्मित हो गया। परिवार के अन्य सदस्यों ने तो किसी तरह अपनी जान बचाकर भागने में सफल रहे लेकिन अधेड़ सुमारु मांझी बारिश और धुंध के बीच हाथियों के चंगुल में फंस गया। हाथियों ने वृद्ध को बुरी तरह से कुचल दिया,जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई। सोमवार की सुबह वन विभाग की टीम घटनास्थल पर पहुंच वृद्ध के शव का पंचनामा करने के उपरांत परिजनों को सौंप दिया है एवं तत्कालिक सहायता राशि दी है।
बैरिकेडिंग भी नहीं आया काम
गौरतलब है कि मैनपाट के तराई क्षेत्र में 10 सदस्यीय हाथियों के दल ने पिछले 7 महीनों से डेरा डाला हुआ है। वन विभाग द्वारा हाथियों को खदेडऩे प्रयास किया जाता है तो हाथी कुछ समय के लिए कापू रेंज के जंगल में चले जाते है, फिर पुन: मैनपाट की ओर चढा़ई कर तराई क्षेत्रों में उत्पात मचाते हैं। हाथियों को रोकने के लिए वन विभाग द्वारा बैरिकेडिंग भी की गई है, इसके बावजूद हाथी मैनपाट वन परीक्षेत्र के अलग-अलग बस्तियों में पहुंचकर ग्रामीणों के घरों को निशाना बना रहे हैं।
ग्रामीण भटकने पर विवश, राशन की भी है मजबूरी
जंगली हाथियों ने कई ग्रामीणों के घर को तीन से चार बार तोड़ा है,जिसके कारण ग्रामीण बरसात के इस मौसम में उसकी मरम्मत नहीं करा पा रहे हैं। वहीं आंगनबाड़ी केंद्र में 12 से 15 परिवारों के रहने के कारण लोग वहां आश्रय लेना नहीं चाहते हैं इस कारण ग्रामीण जंगलों में त्रिपाल गाड़ बारिश के इस मौसम में अपने परिवार वालों के साथ रह रहे हैं। घर में रखे अनाज को हाथियों द्वारा चट कर जाने से उनके सामने राशन की भी मजबूरी हो गई है। कई मांझी समुदाय के लोग अपने भरण पोषण के लिए रिश्तेदारों से मदद मांग कर अपना पेट भर रहे हैं।
बैरिकेडिंग को लंबा किया जा रहा है, ग्रामीणों को मिलेगा लाभ-एसडीओ
6 महीने में 89 मकान क्षतिग्रस्त करने, कई ग्रामीणों की मौत व वर्तमान में रहवासियों का अस्तित्व संकट में पडऩे को लेकर वन विभाग के एसडीओ एसबी पांडे से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि मैं और डीएफओ साहब मैनपाट में ही है। हाथियों को रोकने के लिए चलित बैरिकेडिंग को और लंबा करने पर चर्चा हुई है। पूर्व में भी जो बैरिकेडिंग हुए हैं उससे राहत ग्रामीणों को मिली है। ग्रामीणों को हाथियों के आने की पूर्व सूचना दी जा रही है, हाथी दल जहां नुकसान पहुंचा रहे हैं वहां तत्काल क्षति का मुआवजा भी दिया जा रहा है। बैरिकेडिंग लंबा होने के कारण ग्रामीणों को लाभ होगा। अभी कुछ दिनों पहले ही हाथियों ने एक शावक को जन्म दिया है, इस कारण हाथी क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं, एक-दो महीना तक उनके यही रहने की संभावना है।