बाल विवाह रोकने अधिकारियों ने ली शपथ
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 22 नवंबर। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान को प्रभावी रूप से लागू करने के उद्देश्य से आज महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रेरणा सभाकक्ष में संभाग स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गई।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संभागायुक्त एस.एन. राठौर और महापौर अलका बाघमार शामिल हुए। कार्यशाला में दुर्ग संभाग के छह जिलों के जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास अधिकारी, बाल विकास परियोजना अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग, पंचायत और श्रम विभाग के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
कार्यक्रम के दौरान संभागायुक्त श्री राठौर ने जिलों से आए अधिकारियों से बाल विवाह की स्थिति की समीक्षा की। अधिकारियों ने बताया कि जिलों में बाल विवाह के मामलों की संख्या शून्य है। इस पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए श्री राठौर ने कहा कि बाल विवाह न केवल कानूनन अपराध है बल्कि एक गंभीर सामाजिक समस्या भी है। उन्होंने यह भी बताया कि कम उम्र में विवाह होने से बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और सुरक्षा जैसे मूलभूत अधिकार प्रभावित होते हैं, साथ ही कुपोषण और घरेलू हिंसा जैसी समस्याएं बढ़ती हैं।
उन्होंने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत बाल विवाह की सूचना देने के प्रावधानों का उल्लेख किया और कहा कि यदि पंचायत एवं ग्रामीण स्तर पर सभी विभाग सजग रहें, तो बाल विवाह को पूरी तरह रोका जा सकता है। इस दौरान उन्होंने सभी उपस्थित अधिकारियों और प्रतिनिधियों को बाल विवाह के विरुद्ध हर संभव प्रयास करने तथा परिवार, पड़ोस और समुदाय में किसी भी बालिका का बाल विवाह न होने देने की शपथ दिलाई।
महापौर ने भी जनभागीदारी की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि समाज के सहयोग से ही बाल विवाह को रोकने में सफलता मिल सकती है। उन्होंने सामूहिक विवाह को प्रोत्साहित करने और नोनी सुरक्षा योजना व सुकन्या योजना को अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता बताई। इस दौरान अधिकारियों से बाल विवाह उन्मूलन के लिए जागरूकता बढ़ाने, समुदाय से सहभागिता सुनिश्चित करने और विभिन्न विभागीय योजनाओं के समन्वित क्रियान्वयन पर चर्चा की। इस अवसर पर जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी आर.के.जाम्बुलकर, जिला कार्यक्रम अधिकारी अजय साहू सहित विभाग के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।