‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नगरी, 14 जुलाई। स्वामी विवेकानन्द ने कहा था कि किसी भी देश को समझना हो तो वहां के इतिहास को नहीं शैक्षिक इतिहास को पढऩे की जरूरत है। ठीक इसी तरह से किसी भी गाँव की असली पहचान वहाँ के विद्यालय से होती है। शिक्षा के मामले में मगरलोड के दक्षिण दिशा में स्थित सिंगपुर की गणना वैसे तो पिछड़े इलाके में की जाती रही है, लेकिन पिछले दो साल से सिंगपुर ने पिछड़ेपन के इस दाग को मिटाने का सराहनीय प्रयास किया है। पालकों की, खासकर शिक्षा के प्रति महिलाओं की जागरूकता ने स्कूल के जरिये गाँव को बदलने का जिम्मा उठा लिया है।
सेजेस सिंगपुर में प्रति माह आयोजित पालक सम्मेलन में महिलाओं की उपस्थिति इस बात का संकेत है कि महिलाएं शिक्षा के जरिये गाँव को बदलने के लिए ठान चुकी है। महिलाओं की जागरूकता ने पुरुषों को भी जागरूक बनाने की भूमिका निभाई है। यही कारण है कि अब पालक विद्यालय की आवश्यक जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। भावी पीढ़ी सुरक्षित और समृद्ध हो इस बात को ध्यान में रखकर पालक अब मूल्य शिक्षा पर सबसे ज्यादा फोकस कर रहे हैं। नई शिक्षा नीति में मूल्य एवं नैतिक शिक्षा पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया है। ताकि वर्तमान पीढ़ी बर्बादी के रास्ते से बचे। विद्यालय के साथ निरन्तर संवाद का परिणाम यह हुआ है कि पालक अब विद्यालय के विकास की चर्चा ग्रामीण बैठकों में करने लगे हैं। विद्यालय के प्रस्ताव पर ग्रामीण सर्व समाज की महत्वपूर्ण बैठक में बच्चों के साथ शैक्षिक फि़ल्म देखने और उसकी समीक्षा कर बच्चों को और भी उचित मार्गदर्शन देने का निर्णय लिया गया।
ग्रामीणों ने विद्यालय के जरिये श्रेष्ठ नागरिक निर्माण का संकल्प लिया। पहले चरण में पचहत्तर इंच के टी .व्ही. की व्यवस्था ग्रामीणों ने करने का निर्णय लिया। इस टी व्ही का उपयोग बच्चे एवम माता पिता संयुक्त रूप से स्कूल से विद्यालय में करेंगे। प्रति माह दो बार शैक्षिक फिल्मों के अलावा, गरीबी में शिक्षा प्राप्ति के तरीके, गाँव के बच्चों की शिक्षा, साधन विहीन रहते हुए शिक्षा, करियर की शिक्षा , सामाजिक जागरूकता की शिक्षा, बालिकाओं की शिक्षा, आदिवासी बच्चों की शिक्षा, अति पिछड़ी जन जातियों की शिक्षा , प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी, परम्परा एवं अंधविश्वास से मुक्ति की शिक्षा, ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर, स्टार्टअप , तकनीकी शिक्षा के लिए स्वयम में आत्मविश्वास जगाने के लिए कर सकेंगे। प्रत्येक टी व्ही शो के बाद शिक्षकों के साथ बच्चे एवं पालक गहन चिंतन मनन कर फिल्मों की समीक्षा करेंगे।
और बच्चों के काम की बातों को आचरण में लाने हेतु कार्य योजना बनाएंगे। इस तरह से विद्यालय को जन चेतना का केंद्र बनाने का निर्णय ग्रामीणों ने लिया है।
सर्व समाज की इस बैठक में गोंड़ समाज से सुंदरलाल कुंजाम, हरिराम मरकाम,गोकुल ध्रुव, विदेशी राम ध्रुव, गोकुल ध्रुव, टिकेश्वर ध्रुव, सुखराम ध्रुव, तुलेंद्र ध्रुव, लोकेश ध्रुव, सरित ध्रुव, बीरबल ध्रुव, कंवर समाज से कौशल दीवान, रमेश कंवर, ईश्वर दीवान, जितेंद्र गंगासागर ग्राम पटेल, फणीश गंगा सागर पूर्व सरपंच, भीखम कंवर,यादव समाज से बुधराम यादव, मानसिंह यादव, टिकेश्वर यादव,मुस्लिम समाज से इकरामुद्दीन खान, जमाल रिज़वी, रहबर अली, सफीना बानो, मसीह समाज से जीवन अभिषेक, साम्वेल ग्वाल, मनोज ग्वाल, साहू समाज से सरपंच लोमश साहू, डॉ. हेमन्त साहू, चोवाराम साहू,योगेंद्र साहू, योगेश साहू, वेदकुमार साहू, ऋषि साहू, महार समाज से नवीन बागड़े, मानिकपुरी समाज से गोवेर्धन मानिकपुरी, सेन समाज से अनिल सेन, नरेश सेन, ब्राह्मण समाज से वेंकटेश तिवारी, ज्योति तिवारी, कमार समाज से राय सिंह पहारिया, पटेल समाज से कल्याण कौशल , दिनेश पटेल, राज पटेल, निषाद समाज से परदेश निषाद मुख्यत: उपस्थित थे।
उपस्थित समाज प्रमुखों ने एकमतेन विद्यालय विकास और बच्चों के हित में तन, मन, धन से सहयोग का निर्णय लेते हुए पन्द्रह दिवस के भीतर पचहत्तर इंच का स्मार्ट टी व्ही देने एवं रात्रि में गृह कार्य कराते हुए पढ़ाई में सहयोग का संकल्प लिया। सेजेस सिंगपुर के प्राचार्य डॉ व्ही पी चन्द्रा, व्याख्याता गोविंद नेताम, आर बी मारकोले, देवेंद्र देवांगन, शारदामणि साहू, प्रेम साहू, रीना ध्रुव, कल्याण कौशल, राधेश्याम साहू, खिलेश्वर साहू, दुलेश्वरी ध्रुव, योगेश साहू, जितेंद्र ग्वाल, जितेंद्र ध्रुव, ललित भांडे, नवलेकर ,जयमणी ने पालकों के इस निर्णय का स्वागत करते हुए बच्चों को पूर्ण मनोयोग से पढ़ाने का संकल्प लिया है। इस तरह से सेजेस सिंगपुर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप जन चेतना का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है।