छत्तीसगढ़ » गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 24 फरवरी। नगर की समाजसेवी संस्था श्रीसालासर सुंदरकांड जनकल्याण समिति व्दारा बुधवार को अंचल की प्रतिष्ठित संस्था शासकीय हरिहर उच्चतर माध्यमिक शाला में 28 निर्धन छात्रों की फीस 11 हजार 60 रूपये जमा किया गया। विदित हो कि उक्त संस्था व्दारा पूर्व में भी इस संस्था में बोर मशीन हेतु 9 हजार रूपये, 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले दो छात्रों को प्रत्येक 21 सौ रूपये, निर्धन छात्रों को शालेय गणवेश, पुस्तक, कापियां प्रदान की थी।
संस्था प्राचार्य श्रीमती संध्या शर्मा ने बताया कि श्रीसालासर सुंदरकांड जनकल्याण समिति विद्यालय में समय समय पर ऐसे छात्र जिनकी पढ़ाई में उनकी आर्थिक स्थिति बाधा डाल रही थी, ऐसे छात्रों को आगे बढ़ाने सहयोग करते रहते हैं। वहीं समिति के संस्थापक ने बताया कि हमारी समिति हमेशा निर्धन छात्र-छात्राओं का सहयोग करती रहती है। अभी कुछ दिनों पूर्व ही समिति व्दारा स्थानीय कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला में 74 निर्धन छात्राओं की फीस जमा की गई है।
उन्होंने यह भी कहा कि नगर में यदि किसी का निधन हो जाता है तो समिति उसके दशगात्र भोजन का पूरा सामान उपलब्ध करवाती है। इस अवसर पर प्रमुख रूप से समिति के संस्थापक राजू काबरा, संरक्षक पवनकुमार यदु, अध्यक्ष धरम साहू, सचिव ओमप्रकाश शर्मा, कोषाध्यक्ष नंदकिशोर राठी, उपाध्यक्ष सुमीत पंजवानी, सहसचिव कृष्णा यादव, सदस्य संतोष साहू, रूपेन्द्र चन्द्राकर, कुलेश्वर चक्रधारी, नेमीचंद साहू, मोहित साहू, धनराज साहू, गुलाब साहू एवं विद्यालय के एसएन देवंागन, बीएल अवसरिया, महेश वर्मा, सोमा शर्मा, संतोष छाबड़ा सहित अनेक शिक्षक उपस्थित थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 24 फरवरी। त्रिवेणी संगम तट पर आयोजित राजिम माघी पुन्नी मेला में संत समागम समारोह के शुभारंभ समरोह में पहुंचे छत्तीसगढ़ शासन की राज्यपाल अनसुईया उईके ने कहा कि पवित्र नगरी राजिम में आकर अत्याधिक प्रसन्नता हो रही है।
राजिम पुन्नी मेले में आए साधु-संतों, श्रद्धालुजनों का मैं हार्दिक अभिनंदन करती हूं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की पवित्र नगरी राजिम में आने से हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। यहॉं न सिर्फ सोंढूर, पैरी एवं महानदी का संगम है बल्कि यहॉं धर्म अध्यात्म एवं आस्था का भी संगम है। साधु संतो का समागम छत्तीसगढ़ के साथ ही देशभर का आयोजन बन गया है। किसी भी मेले का सामुदायिक और सामाजिक महत्व होता है।
राज्यपाल ने भगवान श्री राजीवलोचन और महानदी आरती में शामिल होकर पूजा अर्चना कर प्रदेशवासियों की खुशहाली की कामना की। समारोह में धर्मस्व मंत्री ताम्रध्वज साहू, राजिम विधायक अमितेश शुक्ल, गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास, महंत गोवर्धन शरण जी महाराज, संत विचार साहेब, सिद्धेश्वरानंद जी महाराज, उमेश आनंद जी महाराज, कमलभाई चम्पारण जी देवदास जी महाराज मंच पर विशेष रूप से मौजूद थे। राज्यपाल ने कहा कि भारत साधु-संतों की भूमि रही है उनके आगमन से पवित्रता को प्राप्त करते है। संतों का जीवन सदैव परोपकार के लिए समर्पित रहता है। उन्होंने कहा कि राजिम पुन्नी मेले का सांस्कृतिक महत्व भी है।
इस मेले में लोकनाट्य और लोकनृत्य आयोजन होते रहे हैं। ऐसे आयोजन जनमानस को उनकी प्राचीन परंपराओ से जोड़े रखते हैं और नई पीढ़ी को उसका ज्ञान भी कराते है। सुश्री उईके ने कहा कि राजिम माघी पुन्नी मेला जैसे आयोजन पर्यटकों को अद्भुत अनुभव देने और आकर्षित करने में सक्षम हैं।
आज आवश्यकता इस बात की बढ़ गयी है कि हम कला, साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और संवर्धित करें तथा ऐसे प्रयास करें जिससे हमारी कला, संस्कृति और साहित्य से आने वाली पीढ़ी जुडे। राज्यपाल ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने नदियों, सरोवरों और वृक्षों की महत्ता और उनके संरक्षण पर विशेष बल दिया। आज इस बात की आवश्यकता है कि हम अपने पुरखों द्वारा दिखाई गई राह पर चलें और नदियों को तथा अपने आस-पास के वातावरण को साफ तथा प्रदूषण मुक्त बनाए रखें, पौधे लगाएं और स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें। राज्यपाल ने लोगों से अपील किया है कि कोरोनावायरस बचने के लिए अभी भी सावधानी बरतें और मास्क का उपयोग करें। जो वैक्सीन नही लगाए है वे वैक्सीन जरूर लगाएं।
इस बार की व्यवस्था को उन्होंने सराहा और कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में धर्मस्व मंत्री, विधायक अमितेश शुक्ल के मार्गदर्शन में बेहतर आयोजन किया गया है। सरस मेला के माध्यम और विभागीय स्टाल लगाकर योजनाओं की जानकारी दी जा रही है। प्रशासन द्वारा प्रतिदिन योजनाओं की जानकारी दी जा रही है। शराबबंदी के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और विधायक अमितेश शुक्ल को बधाई दी। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण झूला का भी शुभारंभ जल्दी होने वाला है, यह प्रयास भी सराहनीय है। उन्होंने साधु संतों को स्मृति चिन्ह भेंट किया।
धर्मस्व मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि हम मेला को लगातार अच्छा बनाने के लिए प्रयासरत है। यह मेला आस्था, आध्यात्मिक और संस्कृति का अद्भुत संगम है। वर्ष 2001 में राजिम महोत्सव का नाम दिया गया। आज पुन्नी मेला के रूप में आयोजन किया जा रहा है। इस बार मेला में हितग्राहियों को सीधा लाभ पहुंचाया गया है। जिसमे विभागीय मंत्री शामिल हो रहे है। उन्होंने मेला के दौरान गतिविधियों को रेखांकित किया। कहा कि हमारी सरकार ने स्थानीय को ही ध्यान में रखकर मेला के स्वरूप को बदला है। उन्होने कहा कि हमने श्रद्धालुओं की सुविधा का पूरा ख्याल रखा है।
मंत्री ने राजिम मेला के बारे में विस्तार से जानकारी दें। राजिम विधायक अमितेष शुक्ल ने कहा कि राजिम की इस पवित्र भूमि छत्तीसगढ़ के प्रयाग के नाम से जाना जाता है। उन्होंने इस क्षेत्र की महत्ता को रेखांकित किया। पुन्नी मेला सदियों से होता रहा है।
इस मंच से उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने 15 दिनों के लिए शराब बंद किया, जो ऐतिहासिक निर्णय है। इसके लिए मुख्यमंत्री को साधुवाद दिया। गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत राम सुंदर दास ने राजिम की महत्ता को बताते हुए इस भव्य आयोजन के लिए राज्य शासन को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने राज्य के संस्कृति को पुर्नस्थापित करने का नेक कार्य किया है। गरियाबंद कलेक्टर नम्रता गांधी ने अपने प्रतिवेदन में बताया कि मेला में 80 महिला समुहों द्वारा सम्भागीय सरस मेला लगाया गया है जहां महिलाएं अपना उत्पाद बेचकर लाभ अर्जित कर रही है। उन्होंने बताया कि विभागीय स्टाल के माध्यम से शासकीय योजनाओं की जानकारी दी जा रही है। इस अवसर पर गरियाबंद जिला पंचायत अध्यक्ष स्मृति ठाकुर, राजिम नगर पंचायत अध्यक्ष रेखा सोनकर, नवापारा के अध्यक्ष धनराज मध्यानी, जनपद पंचायत फिंगेश्वर के अध्यक्ष श्रीमती पुष्पा साहू सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं कलेक्टर नम्रता गांधी, पुलिस अधीक्षक जे आर ठाकुर, अपर कलेक्टर जेआर चौरसिया मौजूद थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 24 फरवरी। राजिम माघी पुन्नी मेला में पहुंचे अखाड़ों से नागा संत-सन्यासियों ने भगवान दत्तात्रेय का आह्वान करते हुए पेशवाई निकाली। यह पेशवाई दत्तात्रेय मंदिर से शस्त्र पूजन कर आरंभ किया गया। दत्तात्रेय मंदिर से प्रारंभ होकर सुंदरलाल शर्मा चौक, पंडित श्यामाचरण शुक्ला चौक, व्हीआईपी मार्ग, अटल घाट होते हुए लोमष ऋषि आश्रम स्थित अपने पंडाल में पहुंचे, जहां विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना कर भगवान दत्तात्रेय को स्थापित किया गया। पेशवाई के दौरान करतब दिखाते हुए शस्त्र प्रदर्शन करते हुए निकले।
उक्त अखाड़ों को देखने एवं नागा-साधुओं का आशीर्वाद प्राप्त करने सडक़ों के किनारे श्रध्दालुओं की भीड़ भक्ति भाव व रोमांच के साथ उमड़ पड़ी। पेशवाई यात्रा मे निकले साधु संतों के दर्शन पश्चात उन पर फूल बरसा कर अपनी श्रध्दा व्यक्त की। इस पेशवाई यात्रा में विभिन्न अखाड़ों के नागा-साधु, सन्यासियां अपने पारंपरिक आलौकिक श्रृंगार के साथ अस्त्र शस्त्र का प्रदर्शन करते हुए आगे बढ़ रहे थे। इस मौके पर संस्कृति विभाग के ओएसडी गिरीश बिस्सा, लेखाधिकारी श्री पाठक सहित स्थानीय प्रशासन के अधिकारी गण नागा संतों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया और सुख समृद्धि के लिए आशीर्वाद लिया। यात्रा के दौरान साधु संतों से उपस्थित जनसमूह की सुरक्षा तथा व्यवस्था को मदेनजर रखते हुए पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तौद नजर आया।
पेशवाई यात्रा को देखने के लिए उमड़े जनसमूह को व्यवस्थित रखने के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा पुख्ता इतेजाम किये गये थे, ताकि व्यवस्था में किसी प्रकार कोई व्यवधान न पड़े और ना ही आने वाले दर्शनार्थी किसी प्रकार की असुविधाओं का सामना करने पड़े, इस बात का ध्यान मेला प्रबंध समिति एंव पुलिस प्रशासन द्वारा रखा गया था।
उक्त पेशवाई में महामंडलेश्वर उमेशानंद गिरी महाराज, दिगम्बर, जनकपुरी महाराज, गोपाल गिरी, थानापति हरिद्वार, बिशंभर भारती छत्ताीसगढ़ महंत रामगिरी हरियाणा, महंत गोकुलगिरी लोमश ऋषि आश्रम, चंदनभारती, सनतपुरी, थानापति कमलेशानंद सरस्वती भोपाल, सत्यानंद महाराज, सचिदानंद महाराज, रविगिरी जबलपुर, कार्तिकपुरी पाखांजूर सहित अनेक साधुसंत उपस्थित थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 24 फरवरी। माघी पुन्नी मेेला के आठवें दिन मुख्यमंच पर पद्मश्री राधेश्याम बारले एवं कलाकारों द्वारा वेशभूषा के साथ करतब दिखाते हुए पंथी नृत्य प्रस्तुत किया। अगले प्रस्तुति के रुप में अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार... काकर हाथ मे चउर, काकर हाथ मे तेल..., बिजली बरसे तोर नजर म... , मीठ बोली के खवा दे मोहनी... के साथ ही हिन्दी गीतो में पढऩे में नहीं लागे दिल... ये करिया बादर झमाझम बरसे... आदि गीतों के द्वारा दर्शकों का मनोरंजन किया। अगली कड़ी में लोकमंच लहर गंगा की प्रस्तुति हुई जिसमें ग्राम के देवी देवताओं को निमंत्रण देते हुए शीतला माता तोर जस गाओं ओ... इस गीत के साथ हमर छश्रीसगढ़, सुघ्घर छश्रीसगढ़... के द्वारा छश्रीसगढ़ के संस्कृति और कला को मंच में बिखेरा। जिसे दर्शक देख कर आनंदित हो उठा। अंतिम प्रस्तुति के रूप में जंगल को बचाने के उद्देश्य से लोककला मंच लहर गंगा के कलाकारों ने तोर मया अब्बड़ नीक लागे.... की प्रस्तुति दी। जिसे दर्शकों का तालीरूपी स्नेह भी प्राप्त हुआ। पुरूषोश्रम चन्द्राकर कार्यक्रम संयोजक मंच संचालन निरंजन साहू मनोज सेन ने किया।
25 फरवरी को लोकरंग दीपक चंद्राकर अर्जुन्द्रा का कार्यक्रम रहेगा मुख्य आकर्षण
राजिम माघी पुन्नी मेला के मुख्य मंच पर 25 फरवरी शुक्रवार को लोकरंग दीपक चंद्राकर अर्जुन्द्रा का कार्यक्रम मुख्य आकर्षण रहेगा। मंच पर लोक सरगम हिन्मत सिन्हा छुईहा की भी प्रस्तुति होगी। ज्ञात हो कि राजिम माघी पुन्नी मेला में प्रतिदिन छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध कलाकरों की प्रस्तुति हो रही है। जिसे देखने बड़ी संख्या में दर्शकों की भीड़ इक_ा हो रही है। वहीं कार्यक्रम का लाईव प्रसारण भी किया जा रहा है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 24 फरवरी। ग्राम कुम्ही में 15वे वित्त विभाग से 5 लाख की लागत से मुख्य मार्ग में बनने वाले पक्की नाली निर्माण का भूमिपूजन जिला पंचायत सदस्य रोहित साहू ने मुख्य अतिथि की आसंदी में उपस्थित होकर किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सरपंच खेमसिंह धु्रव ने किया। अतिथियों को अपने बीच में पाकर ग्रामवासी गदगद होकर फुलहार से स्वागत किया गया। अतिथि स्वागत करते हुए इन्हें कार्यक्रम स्थल पंचायत तक लाया गया। तत्पश्चात नाली निर्माण का पूजा अर्चना कर भूमिपूजन किया गया। ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के दिनों में सडक़ में पानी भर जाने से आने जाने में परेशानी होती थी। नाली नही होने से गंदगी भी पसरा रहता था इसके बन जाने से बारिश के दिनों में आने जाने में सुलभ होगी, स्वच्छता बनी रहेगी।
यह बहु प्रतीक्षित मांग थी, जो आज पुरा होते दिख रहा है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रोहित साहू ने केंद्र के मोदी सरकार का प्रशंसा करते हुए कहा कि सबका साथ सबका विकास की ध्येय भावना लेकर देश को विकास की ओर ले जा रही है। उनके नेतृत्व में देश परम वैभव तक पहुचने में कामयाब हो रहे है।
इन विकास कार्यो के लिए ग्राम वासियो को शुभकामनाएं दिए। इस अवसर पर उप सरपंच सोनिया साहू, पंचगण प्रकाश साहू, पुरुषोत्तम साहू, लोकेश साहू, अमित धु्रव, घनश्याम, पंचू यादव, संतोष धु्रव, निशा चंद्राकर, निर्मला साहू, मलती बंजारे, उमेश्वरी धु्रव, किरण साहू, महेश्वरी साहू, श्रीराम साहू, जीवराखन साहू, शत्रुहन साहू सहित बड़ी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 24 फरवरी । राजिम माघी पुन्नी मेला में एक ओर संस्कृति के रंग देखने को मिल रहा है, तो दूसरी ओर साधु-संतो के वेशभूषा श्रद्धालुओ को खासा प्रभावित कर रही है। नागा साधु अपने पूरे शरीर पर भभूत लगाये हुए लकड़ी के अंगेठे जलाकर बैठे रहते है और भक्तों को भभूत का प्रसाद देकर उनकी मंगल कामना करते है। तब हमें अपनी साधु परम्परा पर नाज होता है। बुधवार को विधि विधान के साथ पेशवाई निकाली गई, जो लोमष ऋषि आश्रम में समापन हुआ।
यहां पाटा पर बैठे सिद्धी विनायक आश्रम के सचिदानंद गिरी महाराज के पगड़ी लोगो के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए थे। बताना जरूरी है कि उनके पगड़ी ने पंचमुखी छोटा रूद्राक्ष जिन्हे रस्सी पर पिरोकर पगड़ी का रूप दिया गया है। पूछने पर बताया कि इसमे एक हजार संख्या से भी अधिक रूद्राक्ष लगा हुआ है जिसमे ऊॅ लिखा हुआ है। पगड़ी में शानदार कारिगरी का नमुना देखने को मिलता है। उन्होने बड़े रूद्राक्ष के माला भी पहने हुए थे। कहते है कि रूद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर के अश्रुकण से हुई है। इनकी उपस्थिति ही भगवान शंकर के साक्षात मौजूद होना माना गया है। ऐसे ही साधु संतो के अनेक रूप मेला मे देखने को मिल रहा है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 24 फरवरी । संत समागम षुभारंभ की पूर्व बेला में राज्यपाल अनुसूईया उईके एवं अतिथियों द्वारा षासकीय स्टॉल का अवलोकन किया गया। राज्यपाल सरस मेला में लगे स्ऑल हस्त षिल्प कला में मिट्टी के दीये, मटके, थाली, कटोरी, चम्मच, गिलास, बॉटल को देखकर कर बहुत ही प्रभावित हुई। उईके ने ग्राम नारी के कुम्हारयुगल किषोर चक्रधारी द्वारा बनाये जा रहे मिट्टी के कलष देखकर बहुत ही उत्सुक्तापूर्वक अपने हाथों से चॉक घुमाकर देखा। उन्होंने श्री चक्रधारी से चर्चा की और विक्रय के संबंध में जानकारी दिये। उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर थी ऐसे में हाथों से बनी सामग्री को अधिक से अधिक खरीदे और उद्योग को बढ़ावा दे जिससे कुम्हारों को भी रोजगार मिल सकेगा।
इससे स्वदेषी वस्तुओं का भी प्रचार होगा और हमारे षिल्पियों को भी रोजगार मिलेगा। उन्होंने इस कला को अधिक से अधिक लोगों को सिखाने कहा, जिससे हस्तषिल्प कला के माध्यम से लोगों को आत्मनिर्भर होने का अवसर मिलने के साथ ही साथ उनके हुनर की भी पहचान बनें। राज्यपाल ने रेषम के स्ऑल में कोसा से बने वस्त्रों की बहुत सराहना किया। ग्राम पारागांव की कारीगर श्रीमती सोनकुंवर देवांगन द्वारा बुने जा रहे चादर का अवलोकन किया। कारीगरों से चर्चा करते हुए साड़ी बनाने में आने वाली लागत और बाजार उपलब्धता के बारे जानकारी ली।
हथकरघा स्ऑल में उईके को साल भेंट किया गया। सरस मेला मेें सबसे आकर्शक स्टॉल संगवारी सेल्फी जोन में राज्यपाल ने खुमरी पहनकर अलग-अलग पोज में सेल्फी लिये। इस दौरान धर्मस्व मंत्री ताम्रध्वज साहू, राजिम विधायक अमितेश षुक्ल ने भी सेल्फी का आनंद लिया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 23 फरवरी। प्रसिद्ध श्री राजीव लोचन मंदिर में मेला शुरू होने के बाद से रविवार को बेतहासा भीड़ देखने को मिली। सोमवार को सुबह से ही दर्शनार्थीगण पहुंचे और दर्शन-पूजन आदि कृत्य करते रहे। मंदिर परिसर में भक्तगण श्रीराजीव लोचन के जयकारा लगाते रहे। लोग मंदिरों मे उत्कीर्ण कलानक्काशी को देखकर अभिभूत हो गये। यहां महामण्डप पर दो शीलालेख मौजूद है। परिक्रमा पथ के लिए अलग से स्थान दिया गया है। भगवान विष्णु का यह मंदिर पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है। यहां के आटिका प्रसाद की स्वादिष्टता का बखान लोग करते नहीं थकते। यह बात अलग है कि महंगाई के चलते पहले दस रूपया में तीन नग मिलते थे। उसके बाद दो नग देने लगेे। वर्तमान में एक ही नग मिल रहे है।
प्रयाग नगरी में 84 मंदिर
बताया जाता है कि छश्रीसगढ़ के प्राचीन प्रयाग नगरी राजिम में कुल 84 मंदिर है। प्रत्येक मंदिरों मे दर्शनार्थी पहुंच रहे है। सीताबाडी में हुई खोदाई से इस शहर की प्राचीनता प्रमाण मिलता है।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरूवात राजगीत से
राजिम माघी पुन्नी मेला में होने वाले प्रत्येक कार्यक्रमों की शुरूवात छश्रीसगढ़ के राजगीत से हो रही है। सुबह 11 बजे से श्री कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर के सामने सांस्कृतिक मंच क्रमांक दो, मुख्य सांस्कृतिक मंच, डोम में लाभान्वित होने वाले हितग्राहियों का कार्यक्रम आदि में राजगीत प्रस्तुत होते हैै। इससे इस गीत के प्रति लोगों की श्रद्धा बढ़ गई है।
गीत व नृत्य में दिखी छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 23 फरवरी। माघी पुन्नी मेला के मुख्यमंच पर मंगलवार को चेतन देवांगन द्वारा पंडवानी गायन की हुई। जिसमे उसने वेदमती शैली का उपयोग करते हुए किच्चक वध कि व्याख्यान दी। मंच पर दूसरी प्रस्तुति रेखा जलक्षत्री द्वारा भरथरी की प्रस्तुति दी। जिसमें उज्जैन के राजा भरथरी और रानी श्यामकुमारी की प्रेम कहानी का वर्णन उल्लेख किया, जिसमें राजा भरथरी योगी बन जाते है और लंबे समय के बाद अपनी नगरी उज्जैन आते है और रानी श्यामकुमारी से भिक्षा मांगते है तो रानी भिक्षा देने से मना कर देते है लेकिन अंत में भिक्षा देनी पड़ती है। रेखा जलक्षत्री के द्वारा महर-महर महके हे राजिम.... रानी चले योगी पास ओ रामा... रघु मैं अनाथ हूं जैसे गीतों की प्रस्तुति देकर दर्शकों से खुब तालियां बटोरी। सांस्कृतिक मंच पर कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति खरोरा से आये लोकमंच महतारी के चंद्रभूषण वर्मा ने राजकीय गीत अरपा पैरी के धार...के साथ अपने कार्यक्रम की शुरूआत की। उन्होंने बाराहमासी त्योहार जिसमें हरेली, भोजली, सुवा नृत्य, गौरी गौरा और राऊत नाचा आदि गीतों की झड़ी लगा दी। खन खन बइला केे घुंघरू बाजत हे... गीत की प्रस्तुति दी।
चंद्रभूषण वर्मा ने कर्मा के ताल म मादर के थाप म... मै मनिहारी वाला बाबू हो... जैसे गीतों की प्रस्तुति देकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर किया। कार्यक्रम का संचालन निरंजन साहू, मनोज सेन और रूपा साहू द्वारा किया। कलाकारों का सम्मान केन्द्रीय समिति के सदस्यगण, पत्रकारगण एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा किया गया।
राजिम माघी पुन्नी मेला में मुख्यमंच पर प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरूआत शाम 5.30 बजे से प्रारंभ होता है, जो रात्रि 10 बजे तक चलता है। इस दौरान प्रदेश के सुप्रसिद्ध लोकमंच, पंडवानी, भरथरी, पंथी आदि की प्रस्तुति होती है। इसी कड़ी में 24 फरवरी को 7.30 से 10 बजे तक मुख्य आकर्षण पता दे जा रे पता ले जा रे गाड़ीवाला की गायिका कविता वासनिक राजनांदगांव की रहेगी। वहीं 6 बजे से 7.30 बजे तक पप्पू चंद्राकर लोकमंच की प्रस्तुति देंगे।
राजिम, 23 फरवरी। माघी पुन्नी मेला में पुण्य स्नान हेतु कुण्ड का निर्माण किया गया है। इसमें श्रद्धालुगण प्रमुख पर्वों में पुण्य स्नान करते हैं। इस वर्ष 16 फरवरी माघी पूर्णिमा लाखों श्रद्धालुगण पुण्य स्नान में शामिल हुए। गुरूवार 24 फरवरी को जानकी जयंती के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण पुण्य स्नान में भाग लेंगे। इसी प्रकार 01 मार्च महाशिवरात्रि के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण्य पुण्य स्नान करेंगे।
24 फरवरी को जानकी जयंती के दिन माता सीता का जन्मदिन मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता सीता राजा जनक को पुत्री के रूप में मिली थी। पौराणिक कथा के अनुसार माता सीता के जन्म की कई कथाएं प्रचलित है। ऐसा भी माना जाता है कि भगवान राम और माता सीता ने एक ही नक्षत्र में जन्म लिया था।
जानकी जयंती को सीता अष्टमी भी कहा जाता है। जानकी जयंती पर उपवास करने और पूजा पाठ करने से व्यक्ति को जमीन दान के साथ-साथ सोलह तरह के महत्वपूर्ण दानों का फल प्राप्त होता है। शास्त्रों में लिखा है कि जानकी जयंती के दिन जो भी महिला उपवास करती है, उसे माता सीता की कृपा प्राप्त होती है। उस स्त्री के पति को माता सीता लंबी आयु का वरदान देती हैं। निसंतान दम्पत्तियों के लिए भी जानकी जयंती पर किया गया व्रत किसी आशीर्वाद कम नहीं। ऐसा माना गया है कि इस दिन व्रत करने से दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा राजिम, 23 फरवरी। राजिम भक्तिन मंदिर समिति युवा प्रकोष्ठ के तत्वावधान में राजिम माघी पुन्नी मेला में चल रहे निशुल्क भोग भंडारा में बुधवार 23 फरवरी को भंडारा नगर परिक्षेत्र साहू समाज नवापारा के द्वारा अंशदान, श्रमदान, अन्न दान सहयोग से संपन्न हुआ।
दोपहर 12 बजे सर्वप्रथम भक्त माता राजिम एवं तेलघानी के मूर्ति के समक्ष पूजा अर्चना कर प्रसादीअर्पित कर भोजन भंडारा का शुभारंभ किया गया। प्रमुख रूप से संरक्षक मेघनाथ साहू, मंदिर समिति के अध्यक्ष डॉ.महेंद्र साहू नवापारा अध्यक्ष परदेसी राम साहू छन्नुलाल साहू, रतिराम साहू, डॉ लीलाराम साहू चंद्रिका साहू, कन्हैयालाल साहू (गुरुजी) संतोष साहू,सखाराम साहू, राजिम क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य चंद्रशेखर साहू ,रोहित साहू, जिला अध्यक्ष भुनेश्वर साहू, प्रदेश संयुक्त सचिव लाला साहू , ईश्वरी साहू बरभाठा, राजू साहू, भोले साहू, रामकुमार साहू ,भवानी शंकर साहू, सचिव राजू साहू, प्रकाश साहू, रोशन साहू, होरी लाल साहू,कुंदन लाल साहू, वीरेंद्र साहू, ओंकार साहू, पुरुषोत्तम साहू,महिला प्रकोष्ठ में पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष गोबरा नवापारा देहुति साहू ,उमादेवी साहू,राम बाई साहू, सीमा साहू, प्रेम बाई साहू, धनमती साहू, तिजिया बाई साहू, कांति बाई, सुनीता, हेमिन, ललिता, दुकलहीन सहित बड़ी संख्या में साहू समाज के लोग उपस्थित थे।
लोकवाद्य और गायन से होती है संगीत की पहचान
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 23 फरवरी । सौ से अधिक कार्यक्रमों में प्रस्तुति दे चुके लोक कला मंच हरेली के संचालक टिकेन्द्रनाथ वर्मा ने मीडिया सेन्टर में हुए साक्षात्कार में बताया की यह कार्यक्रम 2006 से संचालित शुरु होकर अनवरत चल रहा है। उन्होने आगे बताया कि हम मध्यप्रदेश में भी अपनी प्रस्तुती दिये है लेकिन हमारा सबसे बढिय़ा अनुभव छश्रीसगढ़ के सीपथ का रहा। जहां नवरात्रि में जसगीत गायन पर लोगों का भरपूर प्यार मिला। उन्होने अपने पसंदीदा गीत के रुप में जय दुर्गा दाई हो... को बताया।
वर्मा जी इसके पहले भी कई बार राजिम कर्मा जयंती मे अपना प्रस्तुति देने की जानकरी दी। उनकी टीम में गायन के रूप मे कृतिका विश्वकर्मा है जो एक साल से इस मंच से जुडी है। वे अपने गायन मे वे पारम्परिक छश्रीसगढ़ी लोक गीतों को पिरोये हुए है। उन्होने आज मुख्यमंच पर मनमोहना तोर चेहरा की... गीत पर दर्शकों से खुब ताली बटोरी और बार-बार इस गीत को सुनने की फरमाइस करने लगे।
रामेश्वर साहू ने आधुनिक संगीत के बारे में पूछे जाने पर कहा की जो दिल को छू जाये वही गायन है। आधुनिक हिन्दी संगीत से संस्कृति की पहचान नहीं होती अपितु लोकवाद्य और गायन से पहचान होता है। वे अपना अनुभव सांझा करते हुए आगे बताया की मंच पर पहचान बनाने के लिए बहुत ही कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
कलाकारों को एकत्रित करना, सीखाना, फिर उनको मंच पर लाना एक मेंढक़ की तरह होते है। हमें मूल संस्कृति को नाटक एवं गीत के माध्यम से आगे बढ़ाना चाहिए। छश्रीसगढ़ी फिल्म और लोककला मंच मे फूहड़ता नहीं होना चाहिए। इससे छत्तीसगढ़ी महतारी का अपमान होता है।
छत्तीसगढ़ी भाषा को महत्व देना चाहिए।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 23 फरवरी। राजिम माघी पुन्नी मेला के मीना बाजार में लगे क्राफ्ट बाजार की रौनक देखते ही बन रही है। एक ही स्थान पर कास्ट के बने आकर्षक टोकरी, पेन स्टेण्ड, कुर्सी, सोफे, चुड़ी, फ्लावर व खाद्य सामग्री का स्टॉल लगा हुआ है तथा यहां लगे एक से बढक़र एक झूले लोगों को स्वत: अपनी ओर आकर्षित करती नजर आ रही है। नागपुर से आए तेजराम ने बताया कि वह भी पूजा थाली कवर का स्टॉल लगाए हुए है। जिसमें बहुत ही सुंदर रंगों के थाली कवर को अपनी दुकान में रखे हुए है। उन्होंने बताया कि यह थॉली कवर ऊनी धागे से मषीन द्वारा तैयार किया जाता है। यह छूने में बहुत ही साफ्ट था, इसका कलर बहुत ही खूबसूरत दिखाई दे रहा था। इनके पास थाली कवर के अलावा गेट झालर भी लगा हुआ था जो बहुत ही आकर्षक दिखाई दे रहा था।
बबल्स फुलाकर युवतियां हुई आनंदित
मेले में तरह-तरह की दुकानें सजी हुई है। वहीं एक ओर बबल्स की दुकान में कुछ युवतियां बबल्स फुलाके बहुत ही खुश नजर आ रही थी। एक ओर आज के आधुनिक युग के चकाचौंध में हम अपनी पुरानी खेलों को लुप्त होते देख रहे है। वहीं मेले में आज बच्चों के साथ-साथ बड़ी बच्चियों को खिलौने के रूप में बबल्स फुकते देख बचपन के खेल की याद आ गई। धमतरी से मेला घुमने आयीं सुभद्रा सोनी ने बताया कि हमें इस मेले में बहुत ही मजा आ रहा है, हमने यहां विलुप्त होते खिलौनों जैसे फिलफिली, रेलगाड़ी, भौंरा, बांटी को आधुनिक रूप में देखा है, जो मजा बचपन के खेल-खिलौने खेलने में है वह और किसी में नहीं। हम मेले में घूम-घूमकर सभी चीजों की आनंद ले रहे है।
झूला झूले, मौत का कुंआ देखे, आईस्क्रीम खाए और हमें यह बबल्स का खिलौना आधुनिक रूप में देखकर बहुत ही अच्छा लगा यही रूक गये और दुकानदार से इसके बारे में जानकारी ली और सभी सहेलियां मिलकर एक साथ बबल्स फूकने के बाद जो दृष्य दिखाई दिया वह बहुत ही मनमोहक लगा जैसे आसमान के टिमटिमातें तारे जमीन पर उतर रहे हो।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 23 फरवरी । भगवान श्रीराजीव लोचन मंदिर परिसर में तेलीन माता का विशाल मंदिर है। मंदिर के सर्वराकार चंद्रभानसिंह ठाकुर ने बताया कि इस जगह का नाम पदमापुरी था, लेकिन अब इस स्थान को राजिम के नाम से जाना जाता है। इसके पीछे किवदंती है कि भगवान श्रीराजीव लोचन पर राजिम नाम की महिला की परम भक्ति थी।
सुबह से शाम तक वह भगवान की चरण वंदन किया करती थी। तेल निकालने का काम करने के बाद भी उनमें भगवान के प्रति श्रद्धा कूट-कूट भरी हुई थी। इसी के पुण्य फल से वह आगे बढ़ती गई। प्रतिदिन की तरह तेल लेकर नदी पार कर विक्रय करने के लिए जा रही थी, अचानक उसका पैर एक पत्थर से टकराया और वह गिर गई। इससे पात्र में रखा सारा तेल बह गया। राजिम सास-ससुर के डर के कारण रोने लगी, थोड़ी देर बाद जब वह घर जाने के लिए तेल के पात्र को उठाने के लिए उठी तो उसने खाली तेल के बर्तन में फिर से तेल से भरा हुआ देखकर वह आश्चर्यचकित रह गई।
इस घटना के बाद वह उत्सुकता के साथ संपूर्ण घटना का विवरण देने के लिए अपने घर की ओर चली गई। कहा जाता है कि जिस दिन से राजिमबाई ने अपने कोल्हू के पास नदी में मिली भगवान श्रीराजीव लोचन की मूर्ति स्थापित की उस दिन से सारा दिन तेल बेचने के बाद भी उसका बर्तन खाली नहीं होता था। इस चमत्कार से राजिमबाई सहित उसके ससुराल वाले अचंभित हो गए। दूसरे दिन पूरा तेली परिवार उस पत्थर को उलट कर देखा तो औंधी मुंह के श्यामवर्णी चतुभुर्जी मूर्ति मिली इन्हें घर में लाकर रख दिया और कोल्हू के पास स्थापित किया और पूजा अर्चना करते रहे।
इधर रत्नपुर नरेश वीरवल को स्वप्न हुआ और स्वप्न के अनुसार राजिम में एक विशाल मंदिर का निर्माण किया। स्वप्न में कहे अनुसार राजिम तेलीन के पास जाकर उस मूर्ति की मांग करने लगे, इतने पर माता राजिम शांत बैठी रही। उनके मौन को स्वीकृति समझकर राजा ने ले जाने के उद्देश्य से मूर्ति को उठाने का प्रयास किया लेकिन नि:फल रहा। तब पुन: राजिम से निवेदन करने लगे, इतने पर राजिम कहती है तुमने मेरे मौन को स्वीकृति समझ लिया, इसलिए मूर्ति नहीं उठी।
श्रद्धा के साथ एक तुलसी पत्र लेकर उठाआ,े तो जरूर उठ जायेगी। राजा ने ऐसा ही किया इससे प्रसन्न होकर कुछ मांगने के लिए कहा तब राजिम ने कहा कि हो सके तो इस मूर्ति के साथ मेरा नाम जुड़ जाये तो मैं अपने आप को सौभाग्यशाली समझुंगी। उसी दिन से इसका नाम राजिम पड़ गया।
कहा जाता है कि राजा रत्नाकर का भगवान के प्रति अटूट आस्था थी, जिसके कारण उसने भगवान श्रीराजीव लोचन मंदिर की स्थापना की गई। यहां का मेला ऐतिहासिक, पौराणिक और धार्मिक रूप में विख्यात है। तेलीन माता के जयंती को 7 जनवरी को साहू समाज के द्वारा भव्य रूप से मनाया जाता है।
राजिम, 23 फरवरी । राजिम माघी पुन्नी मेला में श्रीलोमश ऋषि आश्रम में विभिन्न आखाड़ों के नागा-साधु, संत आए हुए है। जिसमें सनतपुरी जुन्ना अखाड़ा बड़ा हनुमान घाट काशी मोहन कार्तिक पुरी ओकोश्वर विध्यांचल पर्वत मध्यप्रदेश सचिदानंद गिरी सिद्धीविनायक आश्रम नवागंाव धमतरी दिगम्बर जनकपुरी श्रीपंचदशानाम जुना अखाड़ा से नागा साधु बाबा आश्रम मे अपनी धुनी रमाय बैठे हुए है।
उल्लेखनीय हैं कि कोविड संक्रमण के कारण इस बार साधु-संतों को विशेष रूप से आमंत्रित नहीं किया गया है, लेकिन मेला में आने वाले सभी संतों का स्वागत किया जा रहा है। ये संत श्रद्धालुओं को राख की भभूति से तिलक लगाकर आशीर्वाद दे रहे हैं। काशी जूना अखाड़ा से आए सनतपुरी महाराज ने बताया कि वे 18 साल से राजिम मेला में रहे है। मेला में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं और प्रशासन का अच्छा स्नेह मिलता है। इसलिए छत्तीसगढ राज्य हमारे आशीर्वाद से समृद्धि शाली हो रहा है।
राजिम, 22 फरवरी। नवापारा राजिम राजिम भक्तिन मंदिर समिति युवा प्रकोष्ठ के तत्वाधान में राजिम माघी पुन्नी मेला में चल रहे निशुल्क भोग भंडारा मे बुधवार 23 फरवरी को भंडारा नगर परिक्षेत्र साहू समाज नवापारा के द्वारा अंशदानए श्रमदान, अन्न दान सहयोग से संपन्न होगा। उक्त आशय की जानकारी देते हुए नगर परीक्षेत्र साहू समाज 9 पार्क के अध्यक्ष परदेशी राम साहू ने बताया कि इस संबंध में सोमवार को 9 पारा में एक बैठक आयोजित कर समाज प्रमुखों द्वारा सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है। बैठक में प्रमुख रूप से संरक्षक मेघनाथ साहू, प्रेमलाल साहू, भागीराम साहू, कन्हैया साहू, संतोष साहू, धनमती साहू, सुखराम साहू सहित अनेक सामाजिक बंधु उपस्थित थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 22 फरवरी। ग्राम तर्री में नौ दिवसीय ताइक्वांडो कैम्प चला जिसमें जितेन्द्र कुमार के मार्गदर्शन में एएनआईएस कोच सागर निर्मलकर के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया और बच्चों को प्रमाण पत्र वितरण किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तन्नू मिश्रा महिला मोर्चा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य ए नागेन्द्र वर्मा भाजयुमो मण्डल अध्यक्ष श्रेणिक जैन भाजयुमो कोषाध्यक्ष एराजू रजक भाजयुमो मण्डल उपाध्यक्ष सन्तोष देवांगन, सचिव देवांगन समाज तर्रीद्ध, सन्तोष मिश्रा, वर्षा मिश्रा ने बताया कि आज के समय को देखते हुए लड़कियों को अपनी आत्म रक्षा और आत्म निर्भर बनने के लिए इस तरीके का प्रशिक्षण आवश्यक है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए जीत फिटनेस एंड सेल्फ डिफेंस सोसायटी की स्थापना की गई है।
समय-समय पर बालिकाओं को नि:शुल्क आत्म रक्षा एवम योग प्रशिक्षण दिया जाता है। जिससे बच्चों के शारिरिक और मानसिक विकास में वृद्धि हो रही है। जीत फिटनेस एंड सेल्फ डिफेंस सोसायटी की अध्यक्ष वर्षा मिश्रा, उपाध्यक्ष लता साहू, कोषाध्यक्ष पार्वती साहू और सचिव उर्मिला ध्रुव, भारती देवांगन एवं पूजा देवांगन ने दिया बच्चों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी।
अन्य पालकगण संतोष साहू, मनीष वर्मा, रोहित सोनकर, नम्रता सोनकर, टुकेश देवांगन, दीपिका देवांगन, बांके लाल साहू, पूनम साहू, हेमलाल साहू, विजय साहू, उमेश्वरी पाल, पारुल साहू, हेमा साहू, चित्ररेखा नागेश ने बच्चों को आशीर्वाद दिया।
21 पंचायतों को 28 करोड़ का कार्यादेश जारी
7 स्वास्थ्य केन्द्रों को दी 4.75 लाख प्रोत्साहन राशि
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम/गरियाबंद, 22 फरवरी। राजिम माघी पुन्नी मेला में श्रद्धालुओं एवं आगंतुकों को शासन की योजनाओं से लाभ दिलाने एवं जानकारी देने के लिए विभागीय स्टाल लगाए गए हैं, साथ-साथ प्रतिदिन कार्यक्रम व सम्मेलनों के माध्यम से हितग्राहियों को सीधा लाभ पहुंचाया जा रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, स्वास्थ्य विभाग एवं समाज कल्याण विभाग द्वारा किये गये संयुक्त आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ तेलघानी विकास बोर्ड के अध्यक्ष संदीप साहू शामिल हुए।
इस अवसर पर उन्होंने जल जीवन मिशन अंतर्गत गरियाबंद जिला के 21 कार्यों के लिए 28 करोड़ 46 लाख रुपये का कार्यादेश विभिन्न ग्राम पंचायतों का सौंपा। उन्होंने जन समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि जल जीवन मिशन के तहत प्रत्येक घरों में टेप नल कनेक्शन के माध्यम से स्वच्छ पेयजल पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सोच के अनुरूप राज्य के सभी लोगों को स्वास्थ्य, पेयजल, शिक्षा और नागरिक सुविधाएं दिया जा रहा है। उनके मार्गदर्शन में राज्य की संस्कृति को पुनर्जीवित करने का कार्य किया जा रहा है। राजिम पुन्नी मेला का आयोजन इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।
श्री साहू ने जानकारी दी कि जिले में 1 लाख 52 हजार 2 सौ 86 परिवारों को घरेलू टेप नल कनेक्शन देना प्रस्तावित है। जिसके अंतर्गत 33 हजार 1 सौ टेप कनेक्शन दिये जा रहे हंै। उन्होंने कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा 5 हितग्राहियों को आयुष्मान कार्ड विरतण, कायाकल्प योजना अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र फिंगेश्वर, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कोपरा, खड़मा, मड़ेली एवं उप स्वास्थ्य केन्द्र कस, बारुका, मदनपुर को कुल 4 लाख 75 हजार रुपये का प्रोत्साहन राशि प्रदान किया तथा चांदनी धृतलहरे चौबेबांधा हियरिंग एड दिया गया। समाज कल्याण विभाग अंतर्गत 10 दिव्यांगों को मोटराईज्ड ट्रायसायकल, 5 हितग्राहियों को सामान्य ट्रायसायकल, 3 व्हीलचेयर, 3 हितग्राहियों को दिव्यांगजन विवाह प्रोत्साहन योजना एवं क्षितिज अपार योजना अंतर्गत 5 दिव्यांगों को 48 हजार रुपये का चेक विरतण किया गया।
कार्यक्रम को गोबरा नवापारा नपा अध्यक्ष धनराज मध्यानी, जिला पंयायत सदस्य मधुबाला रात्रे ने भी संबोधित किया और राज्य सरकार के उपलब्धियों को बताया।
इस अवसर पर नपा अध्यक्ष मगरलोड नीतू साहू, जनपद अध्यक्ष मगरलोड , ज्योति ठाकुर, नपा अध्यक्ष राजिम रेखा सोनकर, सभापति संध्या राव भाण्डुलकर, पद्मा दुबे, विकास तिवारी, ताराचंद मेघवानी, सहित हितग्राही एवं नागरिक उपस्थित थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 22 फरवरी। पिछले दिनों नगर के प्रतिष्ठित पंडित रामबिशाल पांडेय शास.उच्च.माध्य.विद्यालय में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के उपलक्ष्य पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्राचार्य बी.एल. ध्रुव, प्रधान पाठक ए.जी.गोस्वामी, व्याख्याता आर.के.यादव, एमएल सेन द्वारा मां शारदा व छत्रपति शिवाजी महाराज के छायाचित्र पर माल्यार्पण व दीप-प्रज्ज्वलन से किया गया। कार्यक्रम का संचालन व क्रियान्वयन व्याख्याता समीक्षा गायकवाड़ ने किया।
व्याख्याता आरके यादव ने अपने उद्बोधन में शिवाजी महाराज के शौर्य पराक्रम की गाथा का वर्णन किया। व्याख्याता कमल सोनकर ने छात्रों को शिवाजी राजे भोसले की तरह साहसिक, देशप्रेम, कर्तव्यनिष्ठ गुणों को आत्मसात करने की प्रेरणा दी।
संकुल समन्वयक सुभाष शर्मा ने बताया कि छत्रपति शिवराय वीर योद्धा होने के साथ-साथ कुशल रणनीतिकार व छापामार युद्ध नीति के प्रणेता थे। व्यायाम शिक्षिका शिखा महाडिक़ द्वारा छत्रपति के बाल्यकाल से राज्याभिषेक व मराठा साम्राज्य की स्थापना की गौरव गाथा वर्णन किया गया।
चित्रकला प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्रकाश धीवर कक्षा ग्यारहवीं, द्वितीय स्थान भावेश देवांगन कक्षा दसवीं, तृतीय स्थान विकास निषाद कक्षा दसवीं ने प्राप्त किया। भाषण प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में प्रथम डीपेश कुर्रे कक्षा दसवीं, द्वितीय मयंक पटेल कक्षा सातवीं तथा पूरन पटेल कक्षा सातवीं व रूपेश देवांगन कक्षा सातवीं तृतीय स्थान पर रहे। मनोज धीवर, देवेंद्र निषाद, राकेश पटेल ,दानेश्वर कंडरा आदि छात्रों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम में व्याख्याता संतोष सूर्यवंशी, सहा. शिक्षिका अंजू मार्कण्डेय, अंगेश गंगेले , कैलाश साहू ने छात्रों का उत्साहवर्धन किया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 21 फरवरी। श्री राजिम भक्तिन माता समिति युवा प्रकोष्ठ के तत्वावधान में राजिम माघी पुन्नी मेला में चल रहे माता राजिम निशुल्क भोग भंडारा में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ रही है। रविवार का भंडारा नगर साहू संघ राजिम के 10 वरिष्ठ समाजसेवी के अंशदान, श्रमदान, अन्न दान और उनके सहयोग से संपन्न हुआ। जिसमें प्रमुख रूप से डॉ महेंद्र साहू, भोले साहू, श्याम साहू, भवानीशंकर साहू, रामकुमार साहू, विष्णु साहू, राजू साहू, चोवाराम साहू, महेश कुमार साहू, सोमप्रकाश साहू, श्रीमती रामबाई साहू शामिल है।
इस अवसर पर सर्वप्रथम भंडारा स्थल मे भक्त माता राजिम एवं तेल घानी के मूर्ति के समक्ष विधिवत पूजा अर्चना एवं भोजन प्रसादी अर्पित कर भंडारे की शुरुआत। पश्चात मुख्य अतिथि प्रोफेसर घनाराम साहू एवं मंदिर समिति के अध्यक्ष डॉ. महेंद्र साहू के हाथों भोजन प्रसादी परोसगारी कर शुरूआत की गई।
मौके पर प्रदेश पदाधिकारीगण लाला साहू, ईश्वरी साहू, लोकनाथ साहू, युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राजू साहू, मीडिया प्रभारी डॉ लीलाराम साहू, जिला पंचायत सदस्य रोहित साहू, किशोर साहू, मिंजुन साहू, कुंजबिहारी साहू, खेमराज साहू, रूपलाल साहू, कुंदन साहू के अलावा फूलचंद महाविद्यालय नवापारा राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक आदि ने अपना सहयोग प्रदान किया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 21 फरवरी। माघी पुन्नी मेला के पांचवे दिन की रविवार को भारी भीड़ रही। मेला में इस बार सडक़ों की चौड़ाई बढ़ा दी गई है। आस्था धर्म एवं आध्यात्म का संगम धरा में श्रद्धालुगणों का सुबह से ही आना जाना शुरू हो गया था। रविवार छुट्टी का दिन होने के कारण आस्था का सैलाब उमड़ गई थी। मीना बाजार क्षेत्र में खचाखच भीड़ देखने को मिली। दुकानों में सामानों की बिक्री खूब हुई। आकाश, ब्रेक डांस, टोराटोरा, डिजनी लैण्ड, क्राफ्ट बाजार, मौत का कुंआ सहित पूरे मेला मैदान दुकाने सजी हुई है। जिस पर मेलार्थी जरूरत के सामनों को खरीद कियए तथा खाद्य पदार्थ वाले स्टॉल में स्वादिश्टि व्यंजनों का आनंद भी ले रहे थे। कहना होगा कि मेला मैदान में अलग-अलग गलियां हैं और इस तरह से 3 किलोमीटर का फासला यहीं से तय करना पड़ रहा है। यहां से सीधे चलते हुए संगम में लंबे चौड़े वर्गाकार क्षेत्रफल में फेले मेला का स्वरूप आज अपने पूरे सबाब पर था।
मंदिरों में रही भीड़
राजिम के प्रमुख मंदिर भगवान श्रीराजीव लोचन, श्रीकुलेश्वरनाथ महादेव, लोमष ऋषि आश्रम, पवन दीवान आश्रम, सोमेश्वरनाथ महादेव, मांमा भांचा मंदिर, भूतेश्वनाथ महादेव मंदिर, राजिम भक्तिन माता मंदिर, साक्षी गोपाल, बाबा गरीबनाथ, लक्ष्मीनारायण मंदिर, दत्तात्रेय मंदिर, मां महामाया मंदिर, तुलजा भवानी मंदिर, गुरूघासीदास मंदिर आदि में दर्शन पूजन एवं अनुष्ठान करने के लिए लोग पहुंचते रहे और अपने मन की मुरादे श्रद्धालुओं ने प्रकट की।
ओखरा खरीदने बारी का इंतजार किया
राजिम मेला के प्रमुख मिठाई ओखरा खरीदने के लिए लोगों ने अपने बारी का इंतजार करते रहे। यहां उड़ीसा से ओखरा लेकर व्यापारी पहुंचे हुए है। इनके अलावा देवभोग व अन्य क्षेत्रों से भी आये हुए है। भीड़ बढऩे के साथ ही खरीददारी भी जमकर हुई। आज रविवार को उनके लिए भी संडे फनडे रहा।
संगम नदी में स्नान किया
की सुविधा दी जाती है। सखी वन स्टॉफ सेंटर का मुख्य उद्देश्य घर व बाहर किसी भी रूप में पीडित व संकटग्रस्त महिला को एक ही छत के नीचे सभी प्रकार की सहायता उपलब्ध कराना है। जरूरतमंद महिलाओं को समय पर उचित चिकित्सा प्रदान करना है। विधिक, मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक, परामर्श और सुविधा देना और महिलाओ को मजबूत बनाना है। आज भी जानकारी के आभाव मे दूर-दराज आदिवासी ग्रामीण और अशिक्षित क्षेत्र में अधिकांश महिलाएं अपने अधिकारों के लिए लड़ नहीं पाती और उन्हे शोषण का शिकार होना पड़ता है। आगे जानकारी देते हुए बताया कि महिलाओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार कि समस्या व समाधान के लिए महिला हेल्प लाईन टोल फ्री नम्बर 181 डायल करे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 21 फरवरी। माघी पुन्नी मेला के पांचवे दिन राजीव युवा मितान क्लब, राष्ट्रीय स्तर के खिलाडिय़ों का सम्मान एवं हिताग्रहियों को स्वरोजगार हेतु ऋण वितरण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के आसंदी से प्रदेश के तकनीकि शिक्षा, रोजगार उच्च शिक्षा, खेल और युवा कल्याण मंत्री उमेश पटेल स्कूल एवं कॉलेज के हजारों युवाओं के बीच उद्बोधन करते हुए कहा कि राजिम मेला की भव्यता अब देखते ही बन रही है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बढ़ाने का काम किया है। त्यौहारों में छुट्टी के अलावा परंपरा को उच्च शिखर पर स्थान दिलाया है। उन्होंने राजीव युवा मितान कला पर फोकस करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने बजट में 50 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है।
प्रत्येक कला को प्रत्येक 3 माह में 25 हजार रूपये के मान से एक साल में रचनात्मक गतिविधियों के संचालन के लिए 1 लाख रूपये दिये जायेंगे। उन्होंने योजनाओं की जानकारी देते हुए आगे कहा कि स्कूल और कॉलेजों में फाईनेंसियल का एक सब्जेक्ट होना चाहिए। वर्तमान में फाईनेंसियल ट्रांजेक्शन में धोख-धड़ी हो रही है। हम लोग मोबाईल में एकाउंट बना रहे है, इसी से ही ट्रांजेक्शन कर रहे है। कई लोग इसका गलत उपयोग भी कर रहे है जिसके कारण लोग ठगी का शिकार हो रहे है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जॉब की स्थिति कमजोर हुई है। यह न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश की स्थिति है। अब छत्तीसगढ़ सरकार ने एक मिशन की स्थापना की है। जिले कलेक्टर स्कील डेवलपमेंट पर ज्यादा ध्यान दें जिससे युवाओं को रोजगार मिले। उन्होंने बेरोजगारों से कहा कि फिक्र करने की बात नहीं है, समय थोड़ा आगे-पीछे होता है आपको कई अच्छी-अच्छी नौकरियां मिलेगी, बस आप अपने मेहनत को निरंतर जारी रखें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विधायक धनेन्द्र साहू ने कहा कि राजिम धर्म और संस्कृति का मिलन होता है यहां के दिव्य एवं अलौकिक मंदिर मंत्रमुग्ध कर देते है। राजिम मंदिरों की नगरी है, मध्य भारत का यह प्रमुख तीर्थ स्थल रहा है। अब हमें नकली कुंभ से मुक्ति मिल गई है। युवाओं को रचनात्मक दिशा देने के लिए राजीव युवा मितान क्लब का गठन हमारी सरकार की सोच ने अस्तित्व में लाया है। अब गांव की तरक्की को कोई रोक नहीं सकता। फिंगेश्वर के जनपद अध्यक्ष पुष्पा जगन्नाथ साहू ने कहा कि मंत्री उमेश पटेल युवाओं का आईडल है इनकी सोच हमेशा किस तरह से युवाओं को आगे बढ़ाये ताकि छत्तीसगढ़ का विकास निरंतर होता रहे।
ग्राम स्वराज की परिकल्पना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पूरा कर रही है। नगर पालिका परिषद नवापारा के धनराज मध्यानी ने कहा कि सरकार की सोच के कारण ही नया छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के साथ ही राजिम मेला के स्वरूप को विस्तार दिया गया। धनेन्द्र साहू उस समय संस्कृति मंत्री बने और राजिम मेला पूरी दुनिया में विख्यात हो गया। छत्तीसगढ़ की संस्कृति लोगों को जोडऩे की है न कि हुक्काबार खोलने की। इस मौके पर विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों को चेक वितरण किया गया। जिनमें जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र गरियाबंद के द्वारा मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के मार्जिन मनी अनुदान वितरण उमेन्द्र नागेश, प्रियांद ध्रुव, पिन्टु गुप्ता इस तरह से कुल 10 लोगों को 3 लाख 98 हजार 1 सौ रूपये का चेक दिया गया।
छत्तीसगढ़ खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा 3 लोगों को प्रोत्साहन राशि ढाई लाख रूपया, जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति गरियाबंद एवं विभिन्न बैंको के सहयोग से स्वरोजगार हेतु लोन का वितरण भी किया गया। राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने वाले जिले के चयनित खिलाडिय़ों को मंत्री उमेश पटेल ने सम्मानित किया। चेक पाकर हितग्राहियों के चेहरे खिल उठे और राजिम मेला से रोजगार के एक नये सपने लेकर अपने गंतव्य को चले गये। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ।
इस मौके पर प्रमुख रूप से जिला कलेक्टर नम्रता कलेक्टर, जिला सीईओ रोक्तिमा यादव, जिला खेल अधिकारी के अलावा भावसिंह साहू, ताराचंद मेघवानी, रामकुमार गोस्वामी, अशोक श्रीवास्तव, डॉ. आनंद मतावले, गिरीश राजानी, मनीष दुबे, पदमा दुबे, मुन्ना कर्रे, प्रीति पांडे, विष्णु जांगड़े, योगेश साहू, टीकेश साहू, हेमराज साहू सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 21 फरवरी। माथे पर तिलक पूरे शरीर पर भभूत, हाथ में भाला, गले में बड़ी-बड़ी माला, चेहरे पर चमक, ओजस्वी, तेजदमक ऐसा प्रतापी व रौद्र जैसा लगने वाला स्वरूप सामने देखकर मन में विस्मय मिश्रित भय सी अनुभूति होती है, लेकिन ऐसा स्वरूप धारण करने वाले नागा बाबा जगत के कल्याणकारी तथा घोर तपस्वी होते है। जब-जब धर्म के समक्ष संकट खड़ा हुआ, साधु-संत महात्माओं के साथ नागा साधु धर्म की रक्षा के लिए उठ खड़े हुए। इतिहास गवाह है कि हमारे नागा साधुओं ने देश में अपने शस्त्र व शास्त्रों से हिन्दु धर्म की रक्षा की है। कहा जाता है कि हमारे महात्माओं ने नागा साधुओं को धर्म की रक्षा के लिए मुख्य रूप से तैनात किया है।
नागा धर्म का आचरण व पालन करने वाले जब भी किसी जीव-प्राणी को दुखी देखते है, तो अपने सारे सुख उसे प्रदान कर देते है। आम जन को दुखी नहीं रहने देते है। नागा साधुओं के महात्मा व प्रताप की कथा कुंभ से भी जुड़ी हुई है।
एक समय अत्याचारी राजाओं ने कुंभ पर कब्जा कर लिया था और वे कुंभ के दौरान कई दिनों तक कुंभ क्षेत्र में कब्जा कर लेते थे। आम जनता को कुंभ में पवित्र स्नान करने का अवसर नहीं मिलता था। दुखी लोगों ने नागा साधुओं तक यह बात पहुंचाई तो उन्होंनेे शस्त्र उठाकर अत्याचारी राजाओं के खिलाफ युद्ध का जयघोष कर दिया और राजाओं के शाही स्नान को साधुओं के शाही स्नान की परंपरा शुरू की।
कुंभ में सबसे पहले नागा साधु शाही स्नान करते हैं। तत्पश्चात् श्रद्धालुगण पुण्य स्नान करते हैं। छत्तीसगढ़ के राजिम शहर में आयोजित राजिम माघी पुन्नी मेला में नागा साधुओं का आगमन हुआ है। जिससे यहां श्रद्धा भक्ति की भावना चार गुनी हो गयी।
कहा जाता है कि नागा साधु दुनिया में देश और राज्य की विभाजन रेखा को नहीं मानते। यह विभाजन तो मनुष्य के द्वारा किया गया है। मनुष्यों ने अपने-अपने तरीके से दुनिया का विभाजन कर लिया। नागा साधुओं के लिए पूरा आकाश अपना तम्बू है और पृथ्वी उनकी फर्स है। ऐसी विचार धाराओं के फलस्वरूप नागा साधु एक जगह स्थिर नहीं रहते। वे धर्म की रक्षा के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान विचरण करते रहते है। यह अस्थिरता उनके मन दिमाग को सदैव जागृत रखती है और वे धर्म की रक्षा के प्रति हमेशा सजग व समर्पित रहते है। बताया जाता है कि भारत देश में नागा साधुओं की संख्या 5 लाख से अधिक है। आदि शंकराचार्य के द्वारा भारत देश के उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम चारों दिशाओं में स्थापित मठों से आगे बढक़र नागा साधु देश भर में फैलते गये। ऐसा महसूस होता है नागा साधु दीन दुनिया से बेखबर, अपने में ही मशगूल रहने वाले अक्खड़ स्वभाव के हठी बाबा होते है। परन्तु वास्तविकता इसके काफी विपरीत है। नागा साधु अत्यंत तपस्वी, विद्वान व सदाचारी होते है।
जिस तरह से भगवान भोलेनाथ ने जहर का प्याला खुद पी लिया और दूसरों को नुकसान से बचाया, इसी तरह से नागा साधुओं ने भी संसारिक भोग का त्याग कर दिया, लेकिन संसार के लोगों को पीड़ा-दुखों से मुक्ति दिलाने हेतु वे कृत संकल्पित है। राक्षस प्रवृत्ति के तत्व जब-जब धर्म के नुकसान पहुॅचाने की कोशिश करते है तब-तब उन्होंने अपना रौद्र रूप दिखाया है। शेष समय वे तप करतें है, धर्म की माला जपते है। जब धर्म का अहित होता है वे माला गले में धारण करते है और हाथ में भाला उठा लेते है। नागा साधुओं ने अश्लीलता, लोलुप्ता, लेश मात्र भी नहीं होती।
वे तो इस संसारिक दुनिया की सभ्यता के प्रतीक है। कई लोग ऐसे भी है जो जानबुझ कर नागा साधुओं के बारे में तरह-तरह केे दुस्प्रचार फैलाते है ताकि धर्म को नुकसान पहुॅचाया जा सके। भारत देश की एकता के लिए जगत गुरू आदि शंकराचार्य ने पूरे देश का भ्रमण किया इसके साथ ही पंचदेव को स्थापित किया। नागा साधु भी पूरे देश का भ्रमण किया इसके साथ नागा साधु भी पूरे देश में फैलते गये। मान्यता है कि नागा साधु चार प्रकार के होते है। पहला राज-राजेश्वरी, दूसरा बर्फानी, तीसरा खूनी व चौथा खिचडिय़ा।
हरिद्वार में जो दीक्षा लेते है वे बर्फानी नागा साधु होते है। उत्तराखण्ड में स्थित हरिद्वार बर्फिला क्ष़ेत्र है इसलिए यहॉ दीक्षा लेने वाले नागा साधु शांत स्वभाव के माने जाते है। इलाहाबाद का नागा राज-राजेश्वरी प्रकृति का होता है मतलब राजा की तरह होता है। उज्जैन के नागा साधु अपेक्षाकृत गर्म प्रकृति के होते है। इसलिए यहॉ के नागा साधुओं को खूनी नागा साधु का नाम दिया गया है।
आम मान्यता है कि नागा साधुओं का स्वभाव उग्र प्रवृत्ति का होता है परन्तु यह वास्तविकता है कि जो असल नागा साधु होते है। वे किंचित मात्र भी शराब और मांस का सेवन नहीं करते। काम को अपने नियंत्रण में रखते है। यह भी मान्यता है कि काम को नियंत्रण में रखने के कारण नागा साधुओं में उग्रता बढ़ती है। इसलिए प्रांरभ से उन्हें गांजाओं व भांग के सेवन का छूट है। कुछ राज्यों में तो शासन अपने तौर पर नागा साधुओं को ये चीजें उपलब्ध कराते है। वास्तव में नागा साधुओं को धर्म की रक्षा के लिए सेना का जिम्मा दिया गया है। वे धर्माचार्यों की सेना की तरह काम करते है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 21 फरवरी। डौंडीलोहारा के लोक सिरजन लोककला मंच के मेघेन्द्र जयसवाल राजिम माघी पुन्नी मेला के मुक्ताकाशी मंच में शानदार प्रस्तुति देने के बाद मीडिया सेन्टर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि कला की साधना एक या दो दिन में नहीं होती है, इसके लिए लम्बा वक्त देना पड़ता है। सफलता का कोई शार्टकट रास्ता नहीं है। इस दरमियान मुश्किल दौर से भी गुजरना पड़ता है। जीवन में कब कौन सा मोड़ आ जाये किसी को ज्ञात नहीं है। इस संस्था को खड़ा करने मे खूब मेहनत करना पड़ा और आज देश भर के प्रतिष्ठापूर्ण करीब 80 मंचों में लगातार तीन सालों से प्रस्तुति देते आ रहें है।
जयसवाल ने आगे बताया कि छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा जैसे राज्यों में प्रस्तुति देने का सौभाग्य मिला है। इन्होंने मोर मन के मीत छत्तीसगढ़ी फिल्म में प्रोड्यूसर के रूप मे काम किया है। इनके साथ सह कलाकार विष्णु कोठारी मीत ने डार्लिग प्यार झूकता नहीं, बेनाम बादशाह फिल्म में आवार्डेड है। टीम मे कुल 35 सदस्य है। इनके प्रत्येक कलाकार आज भी प्रतिदिन अभ्यास में ज्यादा ध्यान देते है। तभी तो राजिम के इस मंच मे मौलिकता छनकर बाहर आ गई थी। इनके अमर गीत हाय वो तै नाचे बर आबे न... लोगों के जूब़ा है।
जयसवाल ने बताया कि कोरोना काल में चुपचाप नहीं बैठे थे, हालाकि मंचीय प्रस्तुति नहीं दे पाये, लेकिन प्रेक्टिस लगातार चलता रहा। एक कलाकार के लिए कला ही अर्थ का मुख्य साधन होता है। इसी पीड़ा को लघु कथा के रूप में अंतस के पीरा के रूप में प्रस्तुत किये है। छश्रीसगढ़ कला एवं संस्कृति के क्षेत्र मे अत्यंत समृद्ध है इसे सिरजाकर रखने की जिम्मेदारी प्रत्येक छश्रीसगढिय़ों की है। आगे बढऩे के लिए मेरे आदर्श लक्ष्मण मस्तुरिया, खुमान साव है उनसे मुझे प्रेरणा मिली है। जिसके बदौलत आज मैं इस मुकाम पर हूँ। उन्होंने बताया कि कला का वरदान मुझें मेरे नाना से मिला।
मेरे माता-पिता इस क्षेत्र से कोसो दूर थे। पहली प्रस्तुति डौंडीलोहारा के मंच में ही किया। राजिम माघी पुन्नी मेला के मंच मे प्रस्तुति देकर अत्यंत प्रसन्न थे। कलाकारों के लिए प्रदेश सरकार के द्वारा पुन्नी मेला मे सम्मान किया जा रहा है, उसका उन्होने खूब तारिफ भी किया। उनके साथ मे उपस्थित लोक गायिका भावना सेन ने गीत गा कर महौल बना दिया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 21 फरवरी । शादीशुदा महिला को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाले आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी ओमप्रकाश उर्फ बुटानी साहू पिता स्वर्गीय विश्राम साहू (27) गोबरा नवापारा के वार्ड क्रमांक 11 किसानपारा का रहने वाला है। आरोपी ने 13 नवंबर 2021 को वार्ड की ही श्रीमती चेमिन पति पदुम सोनकर (उम्र 19 वर्ष) को अपने प्रेमजाल में फंसाकर भगा ले गया था।
चेमिन को कुछ दिन बाहर रखकर उसके बाद उसे अपने घर ले आया और पत्नी के रूप में रखने लगा। इस दौरान आरोपी ने चेमिन के साथ लगातार शारीरिक संबंध भी बनाया। इधर चेमिन के आरोपी के घर मौजूद रहने की जानकारी मिलने पर चेमिन के पति पदुम और उसका भाई धनेंद्र दोनों आरोपी के घर गए और चेमिन को समझा-बुझाकर वापस पदुम के घर ले आए, जिसके बाद से चेमिन अपने पति पदुम के साथ राजीखुशी रहने लगी, लेकिन आरोपी ओमप्रकाश लगातार चेमिन को अपने साथ शादी करने का दबाव देता रहता था, जिससे तंग आकर चेमिन ने आखिरकार 19 दिसंबर 2021 की दोपहर निंदानाशक जहर का सेवन कर लिया।
जिसे तत्काल गोबरा नवापारा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए भर्ती करवाया गया, जहां से उसकी हालत को देखते हुए मेकाहारा रायपुर रिफर कर दिया गया था। 9 जनवरी 2022 को चेमिन की मृत्यु हो गई। इसके बाद मामले में गोबरा नवापारा पुलिस द्वारा विवेचना प्रारंभ की गई।
इस दौरान तमाम साक्ष्यों के उपरांत यह बात प्रमाणित हुई कि आरोपी ओमप्रकाश द्वारा शादी के लिए लगातार दबाव देने से तंग आकर चेमिन ने आत्मघाती कदम उठाया था। इसके बाद 19 फरवरी की रात को आरोपी के विरुद्ध आईपीसी की धारा 306 का अपराध दर्ज कर लिया गया और 20 फरवरी की सुबह गिरफ्तार कर लिया गया।
आरोपी की जुडिशल रिमांड लेने उसे न्यायालय रायपुर के समक्ष पेश किया जा रहा है।