भूपेश ने किया था भूमिपूजन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा राजिम, 30 मई। प्रदेश के प्रसिद्ध राजिम कुंभ कल्प मेला नए मेला मैदान राजिम-चौबेबांधा में 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि पर्व संपन्न हो चुका है। इस त्रिवेणी संगम तट पर लगने वाले 15 दिवसीय मेला में प्रदेश सहित देश के ख्याति प्राप्त साधु संत, कलाकार के अलावा राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक, मंत्री तक इस आयोजन में शामिल होते हैं और बड़ी-बड़ी घोषणाएं भी करते हैं लेकिन धरातल पर कुछ नजर आता नहीं आ रहा है।
सरकार ने पूरे आयोजन में अस्थाई निर्माण कार्य किए थे। मेला समाप्ति के बाद पूरे तंबू टेंट उठा लिए गए, तब से लेकर नवीन मेला ग्राउंड वीरान पड़ा हुआ है। वैसे छत्तीसगढ़ सरकार हमेशा कहते आई है कि नवीन मेला ग्राउंड में स्थाई निर्माण किया जाएगा। वर्तमान में स्थाई निर्माण के एक भी कार्य नहीं हो रहे हैं। यहां तक की सडक़ बनाने का काम भी नहीं हो रहा है।
पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा था कि नदी किनारे फोरलेन सडक़ का निर्माण किया जाएगा। पाथवे बनाए जाएंगे, साधु संतों के लिए स्थाई आवास, मुक्तकाशी मंच, शिल्पाकारों और महिला समूह के लिए स्थाई दुकानें, संपर्क मार्ग जिसमें राजीवलोचन मंदिर, आरती घाट, संत समागम से नए मेला ग्राउंड को जोडऩा इत्यादि है। त्रिवेणी संगम नदी के दोनों तटों पर पिचिंग कार्य किए जाने हैं लेकिन इनमें से एक भी निर्माण कार्य स्थाई नहीं हो पाए हैं और तो और काम भी कुछ नहीं हो रहा है। हां यह बात अलग है कि सरकार बदल गई है प्रदेश में भाजपा की सरकार है।
मुरूम के सडक़ कब
होंगे डामरीकृत
नवीन मेला क्षेत्र में आयोजन के लिए पूरे ग्राउंड में मुरूम डालकर लंबी चौड़ी सडक़ बनाई गई थी। मेला में जाने के लिए मुख्य रूप से चार प्रवेश द्वार बनाए गए थे। पहले द्वार अतिथि एवं कलाकारों के लिए था। दूसरा प्रवेश द्वार से मीना बाजार तथा हेलीपैड स्थल, पंचकोशी धाम थीम झांकी, मुक्तकाशी महोत्सव मंच इत्यादि में मेलार्थी पहुंच रहे थे। तीसरी प्रवेश द्वार मीना बाजार के लिए था।
चौथा प्रवेश द्वार धमतरी जिला से आने वाले लोगों के लिए सीधे पार्किंग में गाड़ी रखकर पूरे मेला घूमा जा सकता था। इसके अलावा कबीर आश्रम की ओर से मेला मैदान तक मुरूम की रोड बनाई गई थी।
अंदरुनी भाग में जो सीधे आरती घाट से लेकर नदी के रास्ते से मुरूम और पत्थर से चौड़ी सडक़ बनाई गई थी यह सीधे महोत्सव मंच को टच कर रही थी। इन सारे सडक़ों को अस्थाई मुरूम बिछाकर बनाई गई थी।
वर्तमान में मई का महीना बीतने को है जब यहां स्थाई निर्माण किया जाना है और सडक़ें बनाई जानी है तो काम अभी से शुरू हो जाना चाहिए था लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। हमने कुछ लोगों से चर्चा किया तो उनका स्पष्ट कहना था कि मेला के आयोजन के समय सरकार और शासन प्रशासन को चिंता होती है। बाकी समय तो उन्हें मतलब नहीं रहता। मेला नजदीक आते ही चिंतन करते हैं और फिर अस्थाई निर्माण में लाखों करोड़ों रुपया खर्च करते हैं। जबकि उतने पैसे से स्थाई निर्माण हो सकता है।
नवीन मेला ग्राउंड में अभी तक छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्री कंपनी लिमिटेड का 33/11 के व्ही उपकेंद्र, नदी के किनारे शाही स्नान घाट, आरती घाट, श्रद्धालु घाट ही बन पाए हैं। इसके अलावा स्थाई हेलीपैड, मिनी सर्किट हाउस, फोरलेन सडक़, अन्य संपर्क सडक़, पाथ-वे के अलावा और अनेक स्थाई काम कराए जाने हैं जिनके निर्माण में ही तीन से चार वर्ष लगने का अनुमान है।
बताया जाता है कि सडक़ निर्माण के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भूमिपूजन भी कर लिया था। लेकिन काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है। अब इस मेला ग्राउंड में ना कोई अधिकारी झांकने के लिए आ रहे हैं और ना ही चुने हुए जनप्रतिनिधि। कहा जा सकता है कि मेला खत्म, काम खत्म। आने वाला वक्त फिर से देखा जाएगा।