राजपथ - जनपथ
अपना कानूनी अधिकार जानते हैं आप?
किसी 20-22 साल के लडक़े ने 16-17 साल की लडक़ी को भगा लिया तो उसके खिलाफ पोक्सो एक्ट लगेगा और 10 साल तक की सजा हो जाएगी। जब ऐसी घटनाओं को हम-आप सुनते हैं तो ख्याल आता है कि हद है! कानून का लडक़े को पता नहीं।
पर हम, जो स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली की आपूर्ति और नगर निकायों की सेवा से परेशान रहते हैं उनके पास भी कानूनी अधिकार है। यह जागरूक कहे जाने वाले लोगों को भी मालूम नहीं है। तीन दिन पहले हाईकोर्ट से एक महत्वपूर्ण फैसला आया, जिसमें 9 साल से किसी अपराध में कैद तीन आदिवासी रिहा कर दिए। वे जमानत पाने के हकदार थे। जमानत मिल भी गई, मगर उसमें रुपए जमा करने की बंदिश थी। कैद आदिवासी अपने परिवार के संपर्क में नहीं थे। जमानत की रकम जमा करने की हैसियत गरीबी के कारण उनकी खुद की भी नहीं थी। हाईकोर्ट ने पर्सनल बांड पर रिहा करने का आदेश दिया। पर्सनल बांड का मतलब यह है कि कोई रकम नहीं जमा करनी थी। खुद ईमानदार है और कानून को मानता है इसकी गारंटी लिखकर देनी थी। पता नहीं इस कानूनी अधिकार के बारे में अनभिज्ञ कितने ही लोग आज जेल में होंगे।
जब इस प्रकरण को लेकर विधि विभाग के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कानून की गहराइयों तक जाने की पढ़े-लिखे लोग भी कोशिश कहां करते हैं? हर एक आदमी को संविधान और कानून में मिले अधिकार को जानने-समझने, पढऩे का वक्त निकालना चाहिए। यदि किसी स्कूल ने बिना वजह यूनिफॉर्म बदलने का आदेश निकाल दिया, किसी खास दुकान से किताबें और यूनिफार्म खरीदने का आदेश दे दिया, आप नियमित रूप से बिजली बिल पटाते हैं लेकिन आपके यहां बिजली निर्बाध नहीं आती, सरकारी या निजी अस्पताल आपकी सेहत के साथ खिलवाड़ करते हुए भारी भरकम बिल देते हैं, आप प्रॉपर्टी टैक्स, प्रकाश कर, सफाई कर नियमित रूप से जमा कर रहे हैं और आपके घर के सामने की नाली जाम है, गंदगी फैली हुई है सडक़ पर, तब भी आपके पास कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार है। इसके लिए बनी है एक जन उपयोगी अदालत। यहां आप सादे कागज पर आवेदन दे सकते हैं। आदेश जारी होगा। आदेश का पालन नहीं करने पर 2 साल की सजा भी संबंधित अधिकारी को हो सकती है। ये अदालतें अभी प्रदेश के 16 जिलों में चल रही हैं। जिन जिलों में नहीं है वहां पर भी सीधे जिला कोर्ट में आवेदन किया जा सकता है। विधि विभाग के इस अधिकारी का कहना है कि इन अदालतों में मुकदमों की संख्या बहुत कम है। इसलिए, क्योंकि लोगों को अपने अधिकारों का पता ही नहीं है। और मुकदमे कम होने के कारण फैसले भी जल्दी हो जाते हैं।
पेट्रोल-डीजल के दाम गिरने की खुशी
सन् 1984 में राजेश खन्ना, शबाना आज़मी, शत्रुघ्न सिन्हा, जावेद खान आदि से अभिनीत एक फिल्म आई थी। फिल्म का एक दृश्य था जिसमें एमएलए राजेश खन्ना अपने पीए से कह रहे हैं कि 5 रुपये महंगा अनाज बेचने से पब्लिक को समस्या हो रही है तो कीमत दो रुपए कम कर दो। जनता खुश हो जाएगी।
केंद्र सरकार ने महंगाई से कराह रही जनता के लिए सांस लेने की थोड़ी सी जगह दे दी है। पेट्रोल पर 8 और डीजल पर 6 रुपये उत्पाद शुल्क घटा दिया गया। रायपुर में कल 111.47 रुपए का पेट्रोल आज 102.45 रुपए का हो गया। भरी गर्मी में ठंडक का एहसास हो रहा है। यह नहीं सोचने का कि इसका दाम बीते साल तक 65-70 रुपये के बीच था।
कहानी बदलाव की...
हसदेव अरण्य में आवंटित परसा कोल ब्लॉक के खिलाफ जगह-जगह हो रहे आंदोलनों की कांग्रेस और प्रमुख विपक्षी दल भाजपा की तरफ से भले ही कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही हो, अदानी समूह का सोशल मीडिया तंत्र सक्रिय हो गया है। उसने ट्विटर और दूसरे प्लेटफार्म पर एक शॉर्ट वीडियो डालकर हसदेव अरण्य में कोयला खदानों के आवंटन को बदलाव की कहानी- बताया है। सवा मिनट के इस वीडियो में कहा गया है कि परसा और हसदेव की प्रगति की नई सुबह की अनदेखी नहीं की जा सकती। अच्छी सडक़ें, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और आत्मनिर्भर महिलाएं। रोजगार और विकास इस भूमि की पहचान बन चुकी है। अदानी ऑनलाइन हैंडल पर मधुर पार्श्व संगीत के साथ डाले गए इस प्रमोटेड वीडियो की प्रशंसा में कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखती। लोगों ने वीडियो के दावों को सिरे से खारिज कर दिया है। एक ने लिखा है, क्षेत्र के लोग 40 दिन से आंदोलन कर रहे हैं। लोगों के दुख को आप विकास बता रहे हैं? एक ने लिखा है- इससे आपका घर पैसों से भरेगा और नेता चुनाव लडेंगे। एक और ने कहा कि- भारी जन विरोध के बीच इस तरह के वीडियो का कोई अर्थ नहीं। और एक- प्रकृति से खिलवाड़ को छत्तीसगढ़ की जनता नहीं सहेगी।
एक यूजर ने तो आरोप लगाया है कि इस पोस्ट की रिप्लाई छिपाई जा रही है। उसने इसके सबूत में वे स्क्रीनशॉट भी डाल दिए हैं, जो हटा दिए गए हैं।