राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : चलो सबसे एक सा बर्ताव हुआ..
30-May-2022 5:55 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : चलो सबसे एक सा बर्ताव हुआ..

चलो सबसे एक सा बर्ताव हुआ..
छत्तीसगढ़ से राज्यसभा की दावेदारी कर रहे स्थानीय कांग्रेस नेताओं को निराशा हाथ लगी। दो सीटों में से कम से कम एक में तो राज्य से किसी को मौका मिलने की उन्हें उम्मीद थी। पर, अच्छा हुआ। न? रहेगी बांस, ना बजेगी बांसुरी। कोई एक नाम तय कर दिया जाता तो बाकी दर्जन भर दावेदार नाराज हो जाते।

अब कांग्रेस से फूलोदेवी नेताम और भाजपा से सरोज पांडे का ही राज्यसभा में छत्तीसगढ़ से प्रतिनिधित्व है। कांग्रेस से केटीएस तुलसी पहले से हैं। अब राजीव शुक्ला और रंजीत रंजन भी पहुंच जायेंगे। तुलसी ने राज्यसभा सदस्य बनाने के बाद छत्तीसगढ़ के मामलों में कितनी रुचि ली, कितनी बार यहां आए, इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि दोनों नए सदस्य कितना वक्त निकालेंगे।
 
इस बार राज्यसभा चुनाव में भाजपा के लिए छत्तीसगढ़ से कोई मौका था ही नहीं। पर कांग्रेस को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस बारे में सोचने का मौका था। एक सीनियर कांग्रेस लीडर का कहना है कि क्या करें, छत्तीसगढ़ और राजस्थान ही तो अपने पास रह गए हैं। दिल्ली में पकड़ रखने वालों का दबाव बहुत था। उनके लिए और किस प्रदेश से सीट लाते।

ऐसे मौके पर आम आदमी पार्टी के नेता अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। उन्हें अब कहने का मौका मिल गया है कि एक कांग्रेस है जो छत्तीसगढ़ में दिल्ली, यूपी और बिहार के नेताओं को शिफ्ट करती है और एक हम हैं जो दूसरे राज्य के कोटे से छत्तीसगढ़ के लोगों को भेजते हैं। छत्तीसगढ़ के रहने वाले संदीप पाठक को पंजाब द्मशह्लद्ग ह्यद्ग राज्यसभा सदस्य बनाया गया है।

आप पार्टी के पास अगले चुनाव में भुनाने के लिए एक यह भी मुद्दा आ गया है।

स्कूलों पर केंद्र की रिपोर्ट..
शिक्षा विभाग के नेशनल अचीवमेंट सर्वे 2021 की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा के स्तर में भारी गिरावट दर्शाई गई है। तीसरी से लेकर 10वीं तक के बच्चों की पढ़ाई का स्तर पूरे देश में 30वें नंबर पर है। कोरोना के चलते पढ़ाई तो सभी राज्यों में पिछड़ी लेकिन छत्तीसगढ़ ही निचले पायदान पर क्यों है? खासकर इस दौरान स्कूल बंद होने के विकल्प में बहुत से नए प्रयोग किए गए थे। मोहल्ला स्कूल, पढ़ाई तुहर द्वार, ब्लूटूथ के जरिए पढ़ाई और जहां नेटवर्क था वहां ऑनलाइन पढ़ाई हो रही थी। तो क्या जिन शिक्षकों पर वैकल्पिक कार्यक्रम चलाने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने ठीक से काम नहीं किया? शिक्षक संगठनों का कुछ दूसरा ही कहना है। वे सरकार और शिक्षा विभाग पर ही इसका ठीकरा फोड़ रहे हैं। उनका कहना है कि साल के 365 दिन में उनसे 366 तरह की जानकारी मांगी जाती है।

अधिकारियों ने स्कूलों को प्रयोगशाला बना दिया है। शिक्षकों का समय कागज, कंप्यूटर और व्हाट्सएप पर जानकारी भेजने में ही खप जाता है और वे पढ़ाने पर कम समय दे पाते हैं। ऊपर से मध्यान्ह भोजन की जिम्मेदारी, कभी साइकिल वितरण तो कभी जाति निवास प्रमाण पत्र जैसे ढेरों काम उनके सिर पर हैं।

इस स्थिति के लिए अधिकारी जिम्मेदार हैं या शिक्षक इस पर बहस जरूर होनी चाहिए। पर इस सर्वे रिपोर्ट पर कोई चिंतित दिख रहा हो और शिक्षा के माहौल में आमूलचूल बदलाव के लिए बेचैनी हो, यह दिखाई नहीं देता। आतमंड स्कूलों में प्रवेश के लिए मारामारी बिना वजह नहीं है।


नवतपा में नंगे पांव...
बच्चे को गोद में लटकाकर नंगे पांव चल रही इस आदिवासी मां को देखकर हम-आप चकित हो सकते हैं, पर वे अभ्यस्त होते हैं। महिला ने अपने दाहिने हाथ में क्या पकड़ रखा है?,  बेल फल हैं। जंगल के इसी रास्ते में चलते-चलते कहीं गिरा हुआ मिला होगा, या फिर उसने खुद ही तोड़ लिया हो। क्या इसे और उस गोद में सुरक्षित शिशु को लू लग सकती है?  ([email protected])

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