राजपथ - जनपथ
सरकारी खरीद से बिदके उत्पादक
किसानों ने सहकारी समितियों के बजाय व्यापारियों को अपना मक्का बेचना शुरू कर दिया है। व्यापारियों की खरीद कीमत में ज्यादा फर्क नहीं है, पर सरकारी खरीद में कई पेंच हैं। अपनी खेती के रकबे का पंजीयन पटवारी से सत्यापन लेकर कराओ, ऋण पुस्तिका दिखाओ। नमी 14 प्रतिशत से ज्यादा हो तो सोसाइटी में खरीदी होगी नहीं, खरीदी के बाद पैसे के लिए फिर बैंक का चक्कर लगाओ। सरकारी खरीद केवल 10 क्विंटल की लिमिट में ही तय दिनों के लिए होगी, जबकि व्यापारी नगद देते हैं और साल भर खरीदते हैं। अब स्थिति यह है कि कांकेर, दंतेवाड़ा आदि जिलों के जिन 23 से ज्यादा पंजीकृत किसानों का मोह टूटा है, उनसे समिति प्रबंधक अपील कर रहे हैं कि सोसाइटी में मक्का लाएं, यहां पूरी व्यवस्था की गई है।
अभी बीते महीने तेंदूपत्ता संग्राहकों ने भी कहा कि वनोपज संघ की दर 4 हजार रुपये मानक बोरा है, जबकि दूसरे राज्यों के व्यापारी 11 हजार रुपये में खरीदने के लिए तैयार हैं। संग्राहक कहते हैं कि हमारी मेहनत पर वनोपज संघ सिर्फ मध्यस्थता करता है, तब इतना फर्क क्यों? वनोपज संघ कह रहा है कि हम तेंदूपत्ता संग्राहकों को पूरा पैसा देते हैं, व्यापारियों से बेचकर वे धोखा खा सकते हैं। फिर बीमा और लाभांश भी संग्राहकों को मिलता है। संग्राहक कह रहे हैं कि अच्छी कीमत हमें मिलेगी तो बीमा भी हम करा लेंगे, लाभांश की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। तेंदूपत्ता संग्राहकों को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी जा रही है। सरकार ने जिन वन उत्पादों को समर्थन मूल्य पर खरीदने का निर्णय लिया है, वे उत्पाद व्यापारी वनों से सीधे नहीं उठा सकते। उन्हें परमिट ही नहीं मिलेगी। कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ में धान ही है, जिसे लोग सरकार को बेचने के लिए ज्यादा उगा रहे हैं। जो दूसरी उपज ले रहे हैं उनकी चिंताओं की तरफ भी ध्यान दिया जाए तो जो बोझ धान खरीदी के कारण सरकार पर पड़ता है वह कम हो सकता है।
जिसे चाहोगे वही मिलेगी
जिन लोगों को हिन्दुस्तान की प्राचीन विद्याओं पर बड़ा भरोसा है, उन्हें वशीकरण कही जाने वाली इस विद्या के बारे में भी सोचना चाहिए। वशीकरण बतलाता है कि किस तरह जिस युवती को बस में करना हो, उसका पुतला बनाकर क्या-क्या किया जाए, तो वह प्यार भी देगी, और शादी भी करेगी। यह पूरा मंत्र और इससे जुड़ी विधि इतनी आसान है कि खूबसूरत लड़कियों को इसके चलते हजार-हजार लोगों से शादी करनी पड़ेगी। पढ़ें और मजा लें।
किसके खिलाफ रिपोर्ट लिखते..
जांजगीर जिला प्रशासन ने उन तीन पटवारियों को सस्पेंड किया है जो एक महिला के घर संदिग्ध हालत में पाए गये थे। ग्रामीणों ने तीनों पटवारियों के परिवार वालों ने भी खूब खबर तो ली ही, पटवारी संघ ने भी उनको अपने संगठन से निकाल दिया है। पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। कोतवाली थाने में जब एक की पत्नी शिकायत लेकर पहुंची तो पुलिस ने कहा किसके खिलाफ शिकायत लिखें? उस महिला के खिलाफ नहीं लिख सकते। सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं जानते हैं क्या? हमारी दखलंदाजी का मामला नहीं है। पति की हरकत से आप विचलित हैं तो आप उनके खिलाफ जरूर कोर्ट जा सकते हैं।
इस दावे का भी जवाब नहीं...
सरगुजा जिला मुख्यालय में रेलवे स्टेशन जाने के रास्ते पर राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड का एक बड़ा सा साइन बोर्ड आजकल दिखाई दे रहा है। पर पहले कभी बताया नहीं। आज जब परसा की नई खदान के खिलाफ आंदोलन चल रहा है तब राज खोला जा रहा है। छत्तीसगढ़ में कितने पौधे लगे, कितना जंगल उजड़ गया यह छत्तीसगढ़ के लोगों को राजस्थान की कंपनी आकर बता रही है।