राजपथ - जनपथ
जैसों की वजह से लुटिया डूबी है
हरियाणा में भले ही कांग्रेस प्रत्याशी अजय माकन को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन यहां पर्यवेक्षक सीएम भूपेश बघेल ने अपनी तरफ से कोई कसर बाकी नहीं रखी। रायपुर आए 28 विधायकों को पूरे समय निगरानी में रखा, और विपक्ष की तगड़ी घेराबंदी के बावजूद बिखरने नहीं दिया। जो तीन विधायक हरियाणा में रह गए थे उनकी वजह से माकन की नैया डूब गई।
एआईसीसी ने भूपेश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ से नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य राजीव शुक्ला को भी हरियाणा के लिए पर्यवेक्षक बनाया था। राजीव शुक्ला एक दिन रायपुर आकर रिसॉर्ट में विधायकों से मिले। इसके बाद वो निकल गए। बाद में चुनाव के एक दिन पहले राजीव शुक्ला राजकोट के स्टेडियम में अमित शाह के बेटे जय शाह के साथ भारत-दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट मैच का लुफ्त उठाते देखे गए। पार्टी के कई लोग कह रहे हैं कि राजीव शुक्ला जैसों की वजह से लुटिया डूबी है, तो वो पूरी तरह गलत नहीं है।
एक-दूसरे को शुक्रिया
वैसे तो राजस्थान में राज्यसभा की तीनों सीटों पर जीत का सारा क्रेडिट सीएम अशोक गहलोत को दिया जा रहा है। दो प्रत्याशी रणदीप सिंह सुरजेवाला, और मुकुल वासनिक की जीत पक्की थी, लेकिन तीसरे प्रत्याशी प्रमोद तिवारी की जीत के लायक वोट नहीं थे। ऐसे में निर्दलीय, और अन्य के सहयोग से ही प्रमोद की जीत संभव थी। और जब नतीजे आए तो प्रमोद तिवारी ने तो कह भी दिया कि गहलोत का जादू चल गया।
मगर प्रमोद की जीत में पर्यवेक्षक टीएस सिंहदेव ने भी भरपूर योगदान दिया। सिंहदेव, मतदान के पहले तक विधायकों से अलग-अलग चर्चा करते रहे, और उनकी बातें गहलोत तक पहुंचाई। विधायकों से जुड़ी चीजों का निदान होते रहा, और जब नतीजे आए तो गहलोत ने सिंहदेव को हाथ जोडक़र थैंक्स कहा। लेकिन सिंहदेव ने सारा क्रेडिट उन्हें (गहलोत) ही दिया।
मतगणना स्थल के बाहर प्रमोद तिवारी, और उनकी दोनों बेटियां सिंहदेव के साथ ही थे। वो काफी टेंशन में थे, और जीत की घोषणा के बाद प्रमोद तिवारी, और उनके परिवार ने सिंहदेव का आभार माना। कांग्रेस ने सिंहदेव के साथ-साथ पूर्व केन्द्रीय मंत्री पवन बंसल को भी पर्यवेक्षक बनाया था। लेकिन वो जयपुर नहीं आए, और सिंहदेव के ही लगातार संपर्क में रहकर स्थिति की जानकारी ली।
100 रुपए से भला क्या होगा?
छत्तीसगढ़ में आगामी खरीफ फसलों की तैयारी शुरू हो गई है। कुछ दिन पहले केंद्र ने इन फसलों के लिए समर्थन मूल्य की घोषणा की। पिछले साल के मुकाबले इस साल धान की कीमत में 100 रुपए की वृद्धि की गई है। सन् 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने का केंद्र की मोदी सरकार का वादा था। पर, हकीकत क्या अब जरा इस पर भी नजर डाल लेते हैं। बीते साल के मुकाबले खेती पर लागत इस बार करीब डेढ़ गुना बढ़ जाएगी। खाद की कीमतों में भारी वृद्धि हो चुकी है। पोटाश का दाम तो पिछले साल से 700 रुपए अधिक है। यूरिया का दाम नहीं बढ़ा है, पर बाकी खाद 150 रुपए कम से कम बढ़े गए हैं। आपूर्ति का संकट गहरा है, जिसके चलते ब्लैक में भी जरूरतमंद किसानों को खरीदना पड़ेगा। डीजल का दाम बढऩे का असर ये हुआ है कि ट्रैक्टर के किराए में 30 से 40त्न तक की वृद्धि हो गई है। मजदूरी दर भी कम से कम 50 रुपये तो बढ़ ही गया है।
किसान संगठन लगातार मांग करते आ रहे हैं कि सी-2 फार्मूले के तहत उनकी उपज का समर्थन मूल्य किया जाए। यानि होने वाले पूरे खर्च के अलावा जिस जमीन पर वे बोते हैं उसका भी किराया और किसानों का व्यक्तिगत श्रम जोड़ा जाए। यही स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश भी रही है। पर मौजूदा मोदी सरकार ही नहीं, इससे पहले की भी किसी सरकार ने अब तक कभी इस फार्मूले पर भुगतान नहीं किया है। प्रति क्विंटल 100 रुपये की वृद्धि खेती की बढ़ी हुई लागत के मुकाबले बहुत मामूली है। बस किसानों को इससे महंगाई के झटकों का सामना में थोड़ी मदद मिल पाएगी, पर आमदनी बीते सालों से कम ही रहेगी।
कर्मठ मां की चिंता भरी दुलार
सोशल मीडिया पर एक छोटी सी वीडियो क्लिप आईपीएस अंकिता शर्मा ने पोस्ट की है। बच्चे को सीट चुभेगी भी नहीं और वह हिलने डुलने के बावजूद लुढक़ेगा नहीं। मां ने सीट पर छोटी सी कुर्सी बांधकर बच्चे को बिठाया और काम पर निकल पड़ी।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश भूल चुके अफसर
जांजगीर जिले के मालखरौदा में बोरवेल के लिए खोदे गए गड्ढे में 10 साल के बालक राहुल के गिर जाने के बाद अब पूरे प्रदेश में खुले बोरवेल गड्ढों की जांच और सतर्कता बरतने का निर्देश दिया गया है। पता नहीं इस निर्देश को कब तक अधिकारी गंभीरता से लेंगे। लगातार ऐसे हादसे सामने आने पर सुप्रीम कोर्ट ने अब से करीब 11 साल पहले सभी राज्य सरकारों के लिए गाइडलाइन तय कर दी थी। इसमें कहा गया था कि नलकूप खुदाई से पहले सक्षम अधिकारी को सूचना देनी है। खुदाई वही करेगा जिसका पंजीयन होगा। खुदाई की जगह पर साइन बोर्ड लगा होगा और फेंसिंग कराई जाएगी। केसिंग डालने के बाद ईंट की एक छोटी दीवार चारों तरफ खड़ी की जाएगी और पाइप का मुंह बंद रखा जाएगा। यदि किसी कारण से बोरवेल फेल हो जाता है तो उसकी कंक्रीट रेट या पत्थर के टुकड़ों से फीलिंग की जानी है। छत्तीसगढ़ में शायद ही कहीं पर इसका पालन हो रहा होगा। राहुल का हादसा उसके अपने घर में ही हुआ है।