राजपथ - जनपथ
अफसरों का चुप्पी का हुनर
आला अफसर सच को छुपाने की ऐसी खूबी विकसित कर लेते हैं कि दस मिनट बोलने के बाद भी दस सवालों के जवाब में भी सच को बचा ले जाते हैं। अभी उत्तरप्रदेश के फतेहपुर में वहां की महिला कलेक्टर की गाय बीमार हुई, तो मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने सात पशु चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई कि वे सुबह-शाम जाकर अलग-अलग दिन उस गाय को देखेंगे। आदेश में यह भी लिखा गया कि किसी डॉक्टर के न होने पर उस दिन की विजिट कौन सा डॉक्टर करेगा। यह चेतावनी भी दी गई कि इस काम में शिथिलता अक्षम्य है।
अब जब यह आदेश फैला और कलेक्टर की जमकर बदनामी होने लगी, तो उसने मीडिया के कैमरों के सामने इन पशु चिकित्सकों के खिलाफ ही लंबी-चौड़ी बातें कहीं, और अनुशासनहीनता का जिक्र करते हुए इस सवाल को आखिर तक टाला कि उन्होंने गाय पाली है या नहीं। जबकि किसी अफसर के सफाई देने का पहला तर्क यही होना चाहिए था कि उन्होंने गाय पाली ही नहीं है। लेकिन इस सीधे सवाल पर आड़े-तिरछे जवाब देते हुए आखिर तक उन्होंने इस बात पर जवाब देने से कन्नी काटी, तो बस काटती ही चली गई। ऐसी ही नौबत के लिए किसी ने एक वक्त लिखा था- तू इधर-उधर की बात न कर, ये बता कि काफिला क्यों लुटा?
अब अगर सरकारी काफिला लुटने की बात इतनी आसानी से मान लेनी होती, तो फिर वे बड़े अफसर ही क्यों बनते? छत्तीसगढ़ के बस्तर में अफसर सरकारी रोजगार योजना से अपने बंगले में स्वीमिंग पूल बनवा लेते हैं, और उन्हें उस पर कोई जवाब भी नहीं देना पड़ता। अफसरशाही लाजवाब रहती है, क्योंकि नेता तो कुछ-कुछ बरस में आते-जाते रहते हैं, अफसर कायम रहते हैं।
सत्ता नहीं, तो चंदा नहीं !
पंद्रह साल सत्ता में रहने के बाद भी भाजपा संगठन के नेता रोजमर्रा के खर्चों के लिए रोना रो रहे हैं। जिलों में अपेक्षाकृत सहयोग राशि नहीं मिलने से धरना-प्रदर्शन समेत अन्य कार्यक्रम व्यवस्थित ढंग से नहीं हो पा रहे हैं। और जब अंबिकापुर में कुछ नेताओं ने नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक को दिक्कतें सुनाई, तो कौशिक ने उन्हें झिडक़ दिया।
हुआ यूं कि कौशिक पिछले दिनों अंबिकापुर दौरे पर गए थे। वहां नगर अध्यक्ष, और महामंत्री ने उन्हें बताया कि आर्थिक सहयोग नहीं मिल पाने के कारण कार्यालय में भी किसी के ठहरने आदि का इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं। यह सुनते ही कौशिक का पारा चढ़ गया। उन्होंने पदाधिकारियों से कह दिया कि यदि वो सक्षम नहीं हैं, तो पद छोड़ दें। कई सक्षम लोग पद के लिए लाइन में हैं।
कौशिक यही नहीं रुके, उन्होंने कहा कि सरकार के खिलाफ काफी मुद्दे हैं, लेकिन जिलों के लोग मुंह नहीं खोल रहे हैं, ऐसा नहीं चलेगा। कौशिक ने आगे कहा कि पद संभाल रहे हैं, तो संसाधन भी जुटाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वो अगली बार आएंगे, तो पार्टी दफ्तर में रूकेंगे, और कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे।
मुख्यमंत्री भूपेश के तेवर
भूपेश बघेल राज्य के दूसरे सीएम हैं, जिन्हें दिल्ली में हिरासत में लिया गया। इससे पहले राज्य के पहले सीएम अजीत जोगी को धान खरीदी से जुड़ी समस्या के निराकरण की मांग को लेकर अपने मंत्रियों के साथ पीएम आवास के सामने धरने पर बैठ गए थे। तब पुलिस ने उन्हें मंत्रियों के साथ हिरासत में लिया था।
जोगी के बाद 15 साल सीएम रहे रमन सिंह को कभी किसी विषय पर धरना-प्रदर्शन की जरूरत नहीं पड़ी। उनका सारा काम आसानी से हो जाता था। वैसे भी रमन सिंह पद में न होने के बावजूद धरना-प्रदर्शन में कम ही जाते हैं। भूपेश बघेल को हिरासत में लिए जाने का मामला थोड़ा अलग है। कांग्रेस के सर्वे सर्वा गांधी परिवार ईडी की जांच के घेरे में हैं। ऐसे में पूरी कांग्रेस का सडक़ पर उतरना स्वाभाविक है। ऐसे में भूपेश बघेल को पुलिस हिरासत में जाना पड़ा। आज वे देश में कांग्रेस के सबसे तेज-तर्रार नेता की हैसियत से स्थापित हो चुके हैं।
जीने में छत्तीसगढ़ पीछे
अब हम छत्तीसगढ़ के घने जंगलों और पर्यावरण पर कितना फख्र करें, इस पर विचार करना चाहिए। हाल में जारी नमूना पंजीकरण प्रणाली का डेटा बताता है कि छत्तीसगढ़ के लोगों की औसत आयु पूरे देश में सबसे कम 66.9 वर्ष है। सबसे बेहतर स्थिति दिल्ली की है, जहां औसत आयु 75.9 वर्ष है। दिल्ली की गिनती देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहर के रूप में होती है। गाडिय़ों से निकलने वाले धुएं की बात हो या पराली जलाने की। यहां का प्रदूषण नेशनल न्यूज होता है। इस डेटा में यह नहीं बताया गया है कि औसत आयु किसी प्रदेश की कम या ज्यादा क्यों है। पर सामान्य धारणा तो है ही कि पर्यावरण बिगडऩे का असर जीवन प्रत्याशा पर होता है।
मीठा मीठा गप..
जब जब पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ते हैं, तेल कंपनियां डीलरों को जबरन माल भेजती हैं, पर जब दाम गिरते हैं तो सप्लाई में बाधा खड़ी की जाती है। पिछले महीने केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी घटाई तो पेट्रोल डीजल दोनों के दाम गिर गए, जबकि कंपनियों ने ज्यादा दास देकर इसे डीलर्स को सप्लाई के लिए खरीदा था। अब डीलर्स से एडवांस रकम जमा करा लेने के बाद भी सप्लाई नहीं की जा रही है। स्थिति यह है कि राज्य के 350 से अधिक पेट्रोल पंपों में सप्लाई नहीं हो रही है। इसी डीजल पेट्रोल से कंपनियां मुनाफा कमाते आई हैं, इसलिए यदि कुछ दिनों का घाटा भी रहा हो तो उसे वहां कर लेना चाहिए। इस समय तो उसकी भूमिका केंद्र के किसी उपक्रम की नहीं, एक व्यापारी की तरह दिख रही है।
शराब को लेकर नसीहत
यह तस्वीर छत्तीसगढ़ की नहीं, देवभूमि उत्तराखंड की है। कितनी समझदारी के साथ आपको शराब से होने वाले नुकसान के बारे में सतर्क किया गया है।