राजपथ - जनपथ
कर्मचारी संघ के बाद अब चुनावी पारी !
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार झा 38 साल की सेवा के बाद 30 जून को रिटायर हो रहे हैं। झा किसी परिचय के मोहताज नहीं है। वो रायपुर कलेक्टोरेट का जाना पहचाना चेहरा है। उनकी अविभाजित मध्यप्रदेश से लेकर छत्तीसगढ़ में कर्मचारी आंदोलन में भागीदारी रही है, और अब रिटायरमेंट के बाद सक्रिय राजनीति में उतर रहे हैं।
विजय झा कई सामाजिक संगठनों से भी जुड़े रहे हैं। सुनते हैं कि वे आम आदमी पार्टी से अपनी दूसरी पारी की शुरूआत करने जा रहे हैं। पुरानी बस्ती इलाके के बाशिंदे विजय झा की नजर रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर है। इससे परे आम आदमी पार्टी की पैठ धीरे-धीरे बढ़ रही है। ऐसे में विजय झा के रूप में पार्टी को मजबूत चेहरा मिल सकता है।
कई लोग मानते हैं कि यदि विजय झा चुनाव मैदान में उतरते हैं, तो रायपुर दक्षिण के विधायक बृजमोहन अग्रवाल के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती है। क्योंकि पुरानी बस्ती, और आसपास के इलाके से बृजमोहन को सर्वाधिक बढ़त मिलती रही है। इस इलाके में विजय झा की भी अच्छी खासी पैठ है। यह देखना है कि विजय झा दूसरी पारी की शुरूआत कैसे करते हैं, क्योंकि चुनावी राजनीति आसान नहीं होती है।
भाजपा में भी धूल झड़ाना शुरू
भाजपा संगठन में बदलाव की शुरूआत बलरामपुर जिले से हो गई है। यहां पूर्व राज्यसभा सदस्य रामविचार नेताम के करीबी गोपाल प्रसाद मिश्रा को हटाकर पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष ओम प्रकाश जायसवाल को अध्यक्ष बनाया गया है। मिश्रा की हटने की चर्चा के बाद नेताम ने विकल्प के तौर पर कुछ नाम सुझाए भी थे, लेकिन प्रदेश नेतृत्व ने उन नामों को अनदेखा कर दिया।
बताते हैं कि आधा दर्जन जिला अध्यक्ष और बदले जा सकते हैं। इनमें सरगुजा और बस्तर संभाग के चार जिला अध्यक्ष शामिल हैं। कहा जा रहा है कि मैदानी इलाकों में भी एक-दो जगह पर संगठन की गतिविधियां सही ढंग से नहीं चल रही है। प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी पार्टी हाईकमान को इससे अवगत करा चुकी हैं। अब जल्द ही बाकी जिलों में भी अध्यक्ष की नियुक्तियां की जाएंगी। यह फार्मूला तय किया जा रहा है कि विधानसभा टिकट के लिए जिला अध्यक्ष के नाम पर विचार नहीं होगा। यदि ऐसा हुआ तो श्रीचंद सुंदरानी समेत कई जिला अध्यक्ष खुद ही पद छोड़ सकते हैं। देखना है आगे क्या होता है।
बेरोजगार भाई आपको मौका मिलेगा, सब्र कर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनेक सरकारी विभागों और मंत्रालयों में खाली 10 लाख पदों को आने वाले 18 महीने के भीतर भरने का निर्देश दिया है। तब तक ये चुनाव मैदान में उतरने का वक्त होगा। हिसाब लगाएं कि कौन सी परीक्षा ऐसी है जिसमें डेढ़ साल के भीतर भर्ती हो जाती है। शायद कोई नहीं। केंद्र सरकार की अनेक वैकेंसी है जिसमें 3-3 साल से लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है। दूसरी बात यह है कि सन 2014 से लेकर अब तक करीब 87 लाख सरकारी पद रिटायर या इस्तीफा देने की वजह से खाली हो चुके हैं। बेरोजगारी का जो आंकड़ा रोजगार पंजीयन दफ्तर में दर्ज है उसके अनुसार दो करोड़ 20 लाख लोग कतार में हैं। तो बस इंतजार करिए हो सकता है, आपके बाल बच्चों का सपना पूरा हो जाए।
राष्ट्रपति चुनाव से पहले
मध्यप्रदेश में 3 विधायक भाजपा में शामिल हो गए। उनमें एक बहुजन समाज पार्टी से हैं, एक समाजवादी पार्टी से और एक निर्दलीय। छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां पर दो बहुजन समाज पार्टी के विधायक हैं और 3 जनता कांग्रेस जोगी के। यह देखना दिलचस्प होगा राष्ट्रपति चुनाव में ये किनको वोट करते हैं।