राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : लडक़ी को प्रभावित करने लायक हैं?
18-Jun-2022 5:52 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : लडक़ी को प्रभावित करने लायक हैं?

लडक़ी को प्रभावित करने लायक हैं?

सोशल मीडिया बड़े मजेदार होता है। अभी किसी ने एक दिल जलाने वाली एक बात लिख दी कि अगर परिवारों की तय की हुई शादियां न होतीं, तो अधिकतर दक्षिण एशियाई मर्द कुंवारे ही मर जाते। अब यह बात पूरे दक्षिण एशिया के बारे में तो नहीं मालूम, लेकिन हिन्दुस्तान के बारे में जरूर मालूम है कि यहां आधे से अधिक लोग कुंवारे रह गए होते, अगर परिवार उनके लिए रिश्ता नहीं ढूंढ पाया होता तो। इसकी एक वजह यह भी है कि हिन्दुस्तानी युवक आमतौर पर इतने बेतरतीब, गंदे, और महत्वाकांक्षाविहीन रहते हैं उनसे किसी लडक़ी के प्रभावित होने की गुंजाइश कम रहती है। ऐसे लोगों के भाव उनके मां-बाप की दौलत, उनके असर, पारिवारिक इतिहास के गौरवगान की वजह से तो थोड़़े से बढ़ जाते हैं, और खींचतान कर उनकी शादी हो जाती है। लेकिन पारिवारिक महत्व से परे अकेले नौजवानों को देखें, तो वे शादी के लिए प्रभावित करने लायक कम ही रहते हैं। (और अब तो 25 बरस की उम्र में रिटायर्ड अग्निवीर जवान के मुकाबले बूढ़े अधिक समझे जाएंगे, और किसी पेंशनविहीन रिटायर्ड से अपनी कुंवारी लडक़ी की शादी की बात सोचकर ही मां-बाप के हाथ-पांव ठंडे पड़ जाएंगे।) इसलिए हिन्दुस्तानी लडक़ों को यह सोचना चाहिए कि क्या वे अपने दम पर वैसी लडक़ी को प्रभावित करने के लायक हैं, जैसी लडक़ी का वे सपना देखते हैं? हो सकता है कि यह आत्मविश्लेषण कई लोगों को बेहतर बनाने मेें कारगर हो।

अब अपने से सीनियर को अनुशासन का पाठ

रायपुर जिला भाजपा का चिंतन शिविर चंपारण में शुरू हुआ। शिविर में कुल 15 सत्र होंगे, इसमें अलग-अलग विषयों पर आरएसएस, और भाजपा नेताओं का उद्बोधन होगा। वक्ताओं में एक नाम अवधेश जैन का भी है, जिसका नाम सुनते ही कई नेताओं की भौंहे टेढ़ी हो गई। वैसे तो अवधेश जैन दिवंगत भाजपा नेता जगदीश जैन के बेटे हैं, लेकिन जोगी सरकार में भाजयुमो से अलग होकर कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

बताते हैं कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का जयस्तंभ चौक के पास पुतला फूंका गया था, तो उस समय के हुडदंगी युकांईयों की टोली में अवधेश जैन भी थे।  बाद में सरकार आने के बाद अवधेश जैन भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद उन्हें संगठन में अहम दायित्व मिलता रहा। वो प्रशिक्षण विभाग के सह प्रभारी है। अब जब वो पार्टी के भीतर अपने से सीनियर नेताओं को अनुशासन-सेवा का पाठ पढ़ा रहे हैं, तो कईयों को नागवार गुजर रहा है।

वित्त के लोग जोड़तोड़ करते...

आमजनों से भेंट-मुलाकात के लिए निकले सीएम ने ताबड़तोड़ घोषणाएं की है। अब तक तो 76 आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल खोलने की घोषणा कर चुके हैं। अब इन घोषणाओं के क्रियान्वयन को लेकर वित्त विभाग के आला अफसर परेशान हैं। प्रदेश में वित्तीय स्थिति ऐसी नहीं रह गई है कि इन घोषणाओं को तुरंत अमल में लाया जा सके। केंद्र सरकार से अपेक्षाकृत सहयोग नहीं मिल रहा है। हाल यह है कि वित्तीय स्थिति अच्छी न होने के कारण 76 स्कूलों का चालू सत्र में खुल पाना मुश्किल है। फिर भी सीएम ने घोषणा की है, तो इसका पालन होना जरूरी है। संभावना है कि ज्यादातर घोषणाओं के लिए विधानसभा के प्रथम अनुपूरक में प्रावधान किया जाएगा।  इन सबके लिए वित्त विभाग के लोग काफी जोड़तोड़ करते दिख रहे हैं।

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