राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : छत्तीसगढ़ के आदिवासी नेता खुश
22-Jun-2022 6:21 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : छत्तीसगढ़ के आदिवासी नेता खुश

छत्तीसगढ़ के आदिवासी नेता खुश 

द्रोपदी मुर्मू के राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित होने से प्रदेश भाजपा में खुशी की लहर है। द्रोपदी ओडिशा की रहने वाली हैं, और प्रदेश के प्रमुख विशेषकर आदिवासी नेताओं से मधुर संबंध हैं। पार्टी के एक तबके का मानना है कि चुनाव में भले ही प्रदेश से मुर्मू को बढ़त न मिल पाए, लेकिन विधानसभा चुनाव में इसका फायदा होगा। कुछ उत्साही भाजपा नेताओं का मानना है कि आदिवासी इलाकों में मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से सकारात्मक संदेश जाएगा, और पार्टी को आदिवासी इलाकों में वर्ष-2003, और वर्ष-2008 के विधानसभा चुनावों की तरह सफलता मिल सकती है।  फिलहाल तो भाजपा नेता विशेषकर आदिवासी विधायकों से अंतरात्मा की आवाज पर वोट डालने की अपील करेंगे। देखना है कि अपील का थोड़ा बहुत असर होता है, अथवा नहीं।

स्कूलों में दखल जारी है

स्कूल शिक्षा जगत में आरएन सिंह का नाम अनजाना नहीं है। पिछली सरकार में आरएन सिंह की स्कूल शिक्षा में तूती बोलती थी। उनकी बृजमोहन अग्रवाल, केदार कश्यप के स्कूल शिक्षा मंत्री रहते एकतरफा चलती थी। विभाग में खरीदी हो, या ट्रांसफर-पोस्टिंग, आरएन सिंह की दखल रहती थी। भूपेश सरकार के राज में भी आर एन सिंह का दबदबा कम नहीं हुआ था। वो डायरेक्टोरेट से मार्गदर्शन करते थे। आरएन सिंह अब रिटायर हो चुके हैं, और रिटायरमेंट के बाद स्कूल खोल लिया है। पुराने सहयोगी मदद कर ही रहे हैं। उनका अपना अनुभव स्कूल को जमाने में काम आ रहा है।

गोबर खाद के लिए है, गाज के लिए नहीं...

सरगुजा में हाल ही में दो घटनाएं हुई। इनमें गाज से झुलसने के बाद एक युवक को और दूसरी जगह पर दो बच्चियों को गोबर से लपेटकर जमीन पर दबा दिया गया। युवक की मौत हो गई, जबकि बच्चियों को निकालकर बाद में अस्पताल पहुंचाया गया। ऐसी घटनाएं हर साल हो रही हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार बीते साल छत्तीसगढ़ में गाज की चपेट में आने से 78 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से 25 की मौत अस्पताल न ले जाकर गोबर का लेप लगाकर मिट्टी में लिटा देने की वजह से हुई। यह बड़ी संख्या है, जिनकी जान बच सकती थी। इस साल भी प्री- मॉनसून के दौरान ही बस्तर से लेकर सरगुजा संभाग तक गाज गिरने की घटनाओं में कई लोग झुलस चुके, मवेशियों और ग्रामीणों की जान चली गई। प्राय: खेतों के लिए निकले ग्रामीण इसकी चपेट में आ रहे हैं, जो बारिश शुरू होने पर पेड़ों के नीचे पनाह ले लेते हैं। यह घातक होता है। वैज्ञानिक कहते हैं कि बारिश से भले ही भींग जाएं पर पेड़ के नीचे नहीं जाना चाहिए। खुले में खुद को समेटकर बैठ जाना फायदेमंद होता है। लोहे जैसा कोई औजार हो तो उसे दूर फेंककर रख दें। पेड़ ही नहीं नदी-तालाब, बिजली खंभे से भी दूर रहना चाहिए। समूह में न होकर दूर-दूर रहें ताकि गाज गिरने का सामूहिक नुकसान न हो। पर इन उपायों की जानकारी अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं है। हर साल होने वाली दर्जनों मौतों को रोकने के लिए अभियान चलाने का काम छत्तीसगढ़ में नहीं किया जा रहा है।

अगवा हुए या भगवा..?

संजय राउत- हमारे 35 विधायक अगवा हो गए हैं..।

फड़णवीस- अगवा नहीं, भगवा हो गए हैं...।

(वाट्सएप यूनिवर्सिटी से)

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