राजपथ - जनपथ
वाट्सएप पर मॉनिटरिंग..
केंद्र और राज्य सरकारों ने सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए आईटी मंत्रालय बना रखे हैं। एनआईसी, चिप्स जैसे संस्थान भी हैं, पर निर्भरता निजी एप पर ही है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के निर्देश पर राज्य सरकारों ने सभी कलेक्टरों को हाल ही में एक पत्र जारी कर मनरेगा के काम पर निगरानी के लिए एक नई व्यवस्था लागू करने कहा है। इसके अनुसार 20 से अधिक श्रमिक किसी जगह पर काम कर रहे हों तो उनकी एंट्री साइट पर की जानी है। इसे नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम कहा जाता है। एंट्री पूरी हो जाने के बाद उसे वाट्सएप पर अधिकारियों को तो भेजना है ही, जनप्रतिनिधियों को भी भेजना है। छत्तीसगढ़ में भी इसे लेकर 29 जून को आदेश जारी हो चुका है। पारदर्शिता के लिए ऐसी सूचना मौके से ही पहुंचाना तो ठीक है, इससे फर्जी मस्टर रोल की शिकायतें कम होंगी, पर विभागीय कार्य में अधिकारिक रूप से वाट्सएप पर निर्भर होने पर सवाल है। वाट्सएप संदेशों के आदान-प्रदान पर गोपनीयता बरतने का दावा तो करता है पर किसी निजी एप पर भरोसा क्यों होना चाहिए? जिन रोजगार सहायकों को यह काम पूरा करना है, उनके साथ एक दूसरी समस्या है। वे इस बात को लेकर दुख हैं कि उन्हें इसके लिए अलग से मोबाइल फोन या रिचार्ज का खर्च नहीं मिलेगा। वे अपने कम तनख्वाह और उसका चार-पांच महीने में रुक-रुक कर भुगतान होने को लेकर पहले से ही आंदोलन पर हैं। ऊपर से एक और बोझ सिर पर आ गया है।
दीपेंद्र का बोरवेल की सुरंग में गिरना...
जांजगीर-चांपा जिले में राहुल साहू के बोरवेल के खुले गड्ढे में गिरने की घटना ताजी-ताजी है। देशभर में इसकी चर्चा इसलिये भी हुई कि यह अब तक सबसे लंबा और कठिन रेस्क्यू ऑपरेशन था। इसके बाद दूसरे राज्यों को भी अलर्ट हो जाना था कि बोरेवेल के फेल गड्ढों को खुला न छोड़ा जाए। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को दिशा-निर्देश भी जारी कर रखा है। पर राहुल के बाद छतरपुर में भी ऐसी ही घटना हो गई। पांच साल का दीपेंद्र 30 फीट नीचे गड्ढे में जाकर फंस गया। राहत की बात यह रही कि उसे सिर्फ 7 घंटे के ऑपरेशन के बाद सुरक्षित निकाल लिया गया। राहुल का बोरवेल में फंसना तो राष्ट्रीय खबर थी, पर सबक राष्ट्रीय स्तर पर नहीं लिया गया।
मरकाम के गढ़ से सीएम के जिले पहुंचे पुष्पेंद्र
सूबे में आईएएस अफसरों के थोक में हुए तबादले में दुर्ग पोस्टिंग की रेस में कोंडागांव कलेक्टर पुष्पेन्द्र मीणा बाजी मारकर कईयों को पीछे ढक़ेल दिया। दुर्ग पोस्टिंग को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गृह क्षेत्र के चलते प्रशासनिक हल्के में वजनदार माना जाता है। एक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी मीणा को दुर्ग पदस्थ किए जाने के मायने तलाशा जा रहा है। असल में मीणा ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम के गृह जिले में करीब सवा दो साल कलेक्टरी की, अब वहां से निकलकर उन्हें मुख्यमंत्री के जिले के लिए मौका मिल गया। इस ऊंची छलांग से उनके बैचमेट और सीनियर आईएएस भी हतप्रभ है और यह जानने की कोशिश कर रहे है कि पुष्पेंद्र को दमदार जगह में तैनाती कैसे मिली। 2012 बैच के पुष्पेन्द्र को आईएएस बिरादरी में हल्के मूड में काम करने और विवादों से दूर रहने में महारत हासिल है। मरकाम के इलाके से सीधे मुख्यमंत्री के क्षेत्र की कलेक्टरी मिलना सीनियरों का तनाव बढ़ाने के लिए काफी है। पोस्टिंग से परे इस बात का जिक्र भी हो रहा है कि पुष्पेंद्र को सरकार के सीएम-गृहमंत्री के अलावा चौबे और रूद्र जैसे प्रभावशाली मंत्रियों के साथ तालमेल रखने की कला में दक्ष होना पड़ेगा।
हारे प्रत्याशी के आलीशान होटल में प्रशिक्षण
छह माह पहले भिलाई नगर निगम चुनाव में भाजपा करारी हार के बाद अब जाकर ट्रेनिंग के नाम पर हार की असल वजह जानने के लिए राजनांदगांव के एक महंगे रिसोर्ट में तीन दिन तक मंथन किया। सूबे की सत्ता हाथ से गंवाने के बाद भाजपा फंड के नाम का ढोल पीट रही है लेकिन नेताओं का महंगे होटलों का शौक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। राजनांदगांव शहर के नजदीक भाजपा ने अपने एक कार्यकर्ता के होटल में तीन दिनी ट्रेनिंग प्रोग्राम में गहराई से पराजय के असल कारण जानने की कोशिश की। पार्टी ने खर्च से बचने के लिए अपने पार्षद चुनाव हारे हुए कार्यकर्ता के होटल को चुना। वैसे भिलाई के बजाए राजनांदगांव के होटल में जमावड़ा को लेकर पार्टी का एक धड़ा सवाल उठा रहा है। विरोधी गुट अपने शहर से दीगर क्षेत्र में प्रोग्राम करने की खोज खबर ले रहा है। सुनते है कि कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय प्रमुख वक्ता रही। दुर्ग रोड़ में स्थित इस रिसोर्ट में पहले पुलिस की कथित हुक्का बार चलाने के लिए छापामार कार्रवाई भी हुई है। बताते है कि भिलाई भाजपा के नेताओं ने हारे प्रत्याशी के होटल में जमकर मौज भी किया। होटल मालिक ने भी राजनीतिक उद्वेश्यपूर्ति के लिए शीर्ष नेताओं की खातिरदारी में कोई कसर नहीं छोड़ी। वैसे भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व फाईव-स्टार कल्चर से दूर रहने अपने नेताओं को सीख दे रहा है लेकिन भिलाई के नेताओं रिसोर्ट में तीन दिन होटल की मेहमाननवाजी का खूब लुत्फ उठाया। प्रदेश भाजपा के नेता भी अपना शहर छोडक़र दूसरे जिलें के होटल में नेताओं के जमे रहने से खफा बताए जाते है।