राजपथ - जनपथ
कुलपति बड़े या कुलसचिव?
अटल बिहारी विश्वविद्यालय बिलासपुर के कुलपति ने कर्मचारी संगठनों की मांग पर एक गुम हुई फाइल को ढूंढने के लिए तीन सदस्यों की कमेटी बना दी। इस कमेटी में कुछ अनुभवी प्राध्यापक थे, जो पहले भई कुछ मामलों की जांच कर चुके थे। कमेटी ने कई लिपिकों और अन्य अधिकारियों से उस फाइल के बारे में पूछताछ की। नहीं मिली तो सीधे कुलसचिव को पत्र लिखकर जवाब मांग लिया। जवाब मांगना कुलसचिव को इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने एक आदेश निकालकर कमेटी को ही भंग कर दिया। अब कुलपति के खेमे ने और कमेटी ने विश्वविद्यालय के नियम अधिनियमों को खंगालना शुरू किया तो पता चला कि कुल सचिव ऐसा कर सकते हैं। प्रशासनिक कार्यों में कुलपति की बात अभिभावक होने के नाते मान जरूर ली जाती है। पर प्रशासनिक फैसलों में कुल सचिव की भूमिका ही बड़ी होती है।
अग्निवीरों के लिए अग्निपरीक्षा
केंद्र सरकार की अग्निवीर योजना में चार साल बाद रिटायर करने के प्रावधान की चाहे जितनी आलोचना हो रही हो, बेरोजगारी इस तरह हावी है कि युवाओं में आवेदन करने की होड़ लगी हुई है। इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख 5 जुलाई तय की गई है। पर आवेदन भरने में युवाओं को तरह-तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। देशभर के लिए एक ही पोर्टल है। ट्रैफिक इतना है कि पेज खुल नहीं रहे हैं। पंजीयन करने में ही आधे घंटे लग रहे हैं। 10वीं की परीक्षा जिन लोगों ने दी है, वे आवेदन जमा करना चाहते हैं। पर रिजल्ट अब तक आया ही नहीं है। यह प्रावधान ही नहीं है कि जो परीक्षा दे चुके, नतीजे का इंतजार कर रहे हैं, वे बाद में अंक-सूची लगा दें। तीसरी बात यह है कि रोजगार कार्यालय का पंजीयन होना अनिवार्य किया गया है। बहुत से आवेदकों ने अब तक पंजीयन नहीं कराया है। ये सभी प्रक्रिया सेना में अस्थायी भर्ती के लिए सिर्फ रजिस्ट्रेशन कराने के लिए है। जिन लोगों का रजिस्ट्रेशन सही पाया जाएगा, उन्हें 30 जुलाई तक आवेदन करने का मौका मिलेगा। इस हालत में हजारों परीक्षार्थी रजिस्ट्रेशन के पहले ही बाहर होने वाले हैं।
कैसा है कांग्रेस संगठन का हालचाल?
हाल ही में राजीव भवन में हुई समन्वय समिति की बैठक में सीएम भूपेश बघेल ने तीन बातों की तरफ आक्रामक तरीके से संगठन का ध्यान दिलाया। एक, ब्लॉक रिटर्निंग ऑफिसर की सूची कुछ महीने पहले बन चुकी है तो उसे जारी क्यों नहीं किया गया। दूसरा राजीव भवन के नाम से जिलों में बन रहे कांग्रेस कार्यालयों का काम धीमा क्यों चल रहा है? तीसरी बात विधानसभा उप-चुनाव में संतोषजनक भूमिका नहीं होने के बावजूद जीपीएम के जिला अध्यक्ष को हटाया क्यों नहीं गया?
सन् 2018 के चुनाव के पहले कांग्रेस जब विपक्ष में थी तो प्रदेश कांग्रेस की कमान अब के सीएम भूपेश बघेल के हाथ में ही थी। पूरे प्रदेश में उन्होंने दौरा किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जो सक्रियता स्व. नंदकुमार पटेल ने और उसके बाद भूपेश बघेल के समय देखी गई थी, आज नहीं दिख रही है। यह समझना चूक हो सकती है कि सन् 2023 में संगठन की भूमिका 2018 की तरह जरूरी नहीं, अकेले सरकार के कामकाज के चलते कार्यकर्ता रिचार्ज हो जाएंगे।