राजपथ - जनपथ
अब सब किनारा करने लगे
आईटी छापे के बाद सूर्यकांत तिवारी सुर्खियों में है। पूर्व सीएम रमन सिंह ने सूर्यकांत के सीएम से संबंधों पर सवाल उठाए, तो कांग्रेस नेताओं ने सूर्यकांत की रमन सिंह, और बाकी बड़े भाजपा नेताओं के साथ तस्वीर साझा कर चुप्पी साधने पर मजबूर कर दिया।
अब सवाल यह उठ रहा है कि सूर्यकांत के प्रतिष्ठानों में आईटी के छापों को लेकर कांग्रेस, और भाजपा के नेता आपस में क्यों उलझ रहे हैं? जबकि आईटी डिपार्टमेंट की विज्ञप्ति में कहीं भी सूर्यकांत के नाम का उल्लेख नहीं है। वैसे भी आईटी डिपार्टमेंट नाम सार्वजनिक नहीं करता है। डिपार्टमेंट के लिए हर टैक्सपेयर सम्मानीय होता है।
जहां तक सूर्यकांत के संबंधों का सवाल है, तो उसके चाहने वाले हर दल में मौजूद हैं। कांग्रेस, और बड़े भाजपा नेताओं के साथ तस्वीर तो सोशल मीडिया में वायरल हो रही है, लेकिन अगर उसने पूरा एलबम सार्वजनिक कर दिया, तो शायद ही प्रदेश का कोई बड़ा नेता होगा, जिसके साथ सूर्यकांत की तस्वीर न हो।
चर्चा है कि चुनाव के पहले और बाद में नेताओं ने सूर्यकांत की मदद ली थी, लेकिन अब छापे पड़ गए, तो हर कोई उससे किनारा करने की कोशिश कर रहा है। नेताओं को डर आईटी छापे से नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र और अन्य राज्यों की तरह ईडी भी जांच में कूद गई, तो मुश्किल बढ़ सकती है। यही वजह है कि हर कोई खुद को पाक साफ दिखाने की कोशिश में लग गए हैं।
राजनीतिक सफर
महासमुंद के रहवासी कारोबारी-नेता सूर्यकांत तिवारी राजनीतिक और कारोबारी जगत में जाना पहचाना नाम है। सूर्यकांत छात्र जीवन से ही सक्रिय राजनीति में रहा है। उसे दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल का काफी करीबी माना जाता था। और जब शुक्ल एनसीपी में गए, तो सूर्यकांत को उन्होंने एनसीपी के छात्र विंग के प्रदेश की कमान सौंपी थी। बाद में तत्कालीन सीएम अजीत जोगी के कहने पर एनसीपी छोडक़र कांग्रेस में आ गया।
सूर्यकांत राजनीति के साथ-साथ कोयले के कारोबार-परिवहन में भी जुट गया, और काफी संपत्ति बनाई। जब जोगी ने कांग्रेस छोडक़र अपनी नई पार्टी जनता कांग्रेस बनाई, तो सूर्यकांत उनके साथ हो गए। सूर्यकांत की जोगी से नजदीकियों का अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि जब बसपा प्रमुख मायावती की अजीत जोगी की पार्टी के साथ सीटों के तालमेल को लेकर बैठक हुई थी, तो इस बैठक में सूर्यकांत भी रहे। यही नहीं, प्रशासनिक क्षेत्रों में भी उसकी गहरी पैठ रही है। दो साल पहले एक सीनियर आईएएस के यहां विवाह समारोह था, तो उस वक्त के एक न्यायाधिपति सूर्यकांत के साथ कार में बैठकर विवाह में शामिल होने पहुंचे थे।
हल्ला तो यह भी है कि चुनाव नतीजे आने से पहले भाजपा के रणनीतिकार जोगी पार्टी के साथ सरकार बनाने की उधेड़बुन में लगे थे, तो सूर्यकांत अहम सहयोगी था। ये अलग बात है कि नतीजे अनुकूल नहीं आए, और भाजपा को बुरी हार का सामना करना पड़ा। बाद में सूर्यकांत ने पीएल पुनिया की मौजूदगी में कांग्रेस का दामन थाम लिया। कांग्रेस के कई विधायक सूर्यकांत के आगे-पीछे होते देखे जाते रहे हैं। सरकार कोई भी रहे, सूर्यकांत की धमक कम नहीं हुई। यही वजह है कि उसके यहां छापों की गूंज दूर-दूर तक सुनाई दे रही है।
चिकित्सा सेवा पर टैक्स की शुरूआत
जीएसटी के दायरे में अब अस्पताल के कमरों के किराये को ले लिया गया है। अभी यह 5000 रुपये से अधिक किराये वाले कमरों में लागू होगा। छत्तीसगढ़ में गिने-चुने अस्पताल हैं जिनमें बड़ी दुर्घटनाओं के तत्काल इलाज की सुविधा मिलती है। लोग राजधानी या बिलासपुर का रुख करते हैं। मिलती-जुलती कुछ सुविधाएं कोरबा में भी है। ज्यादातर निजी हैं। स्पाइन, ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक, बाइपास सर्जरी कुछ ऐसे गंभीर मामले होते हैं जिसमें मरीजों को हफ्तों भर्ती रहना पड़ता है। चिकित्सक ऐसे इलाज के बाद मरीजों को महंगे कमरों में ही रहने की सलाह देते हैं, ताकि वे ठीक तरह से स्वास्थ्य लाभ ले सकें। बात मामूली लग रही हो कि अभी सिर्फ 5 फीसदी जीएसटी है और वह भी 5000 रुपये के किराये पर। पर शुरूआत हो चुकी है। जीएसटी लगाने का एक नया रास्ता मिल चुका है। वैसे भी सरकार किसी भी जरूरी चीज के दाम तब तक नहीं बढ़ाती जब तक पिछली बार की गई वृद्धि के लोग अभ्यस्त नहीं हो जाते। 1000 रुपये किराये वाले होटलों पर जीएसटी लगाना और रसोई गैस का बार-बार दाम बढ़ाना इसकी मिसाल है।
खेतों में महिलाओं की ऐसी भागीदारी...
बारिश भले ही उम्मीद के अनुरूप नहीं हो रही हो, पर खेती का काम रुका नहीं है। खेती के कुछ काम ऐसे हैं जिनमें महिलाओं को ही प्राथमिकता मिलती है। प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्वामीनाथन, जिन्होंने खेती को दुरुस्त व्यवसाय बनाने के लिए सरकार को कई सिफारिशें की हैं, उनका मानना है कि कृषि कार्य में महिलाओं का योगदान 65 से 70 प्रतिशत होता है। एक हेक्टेयर खेत में एक पुरुष 1212 घंटे काम करता है तो महिला 3485 घंटे करती है। भारत की अधिकांश आबादी खेती पर निर्भर है और खेती महिलाओं पर। फिर भी उन्हें यथायोग्य सम्मान नहीं मिलता, न ही प्रशिक्षण। अशिक्षा, अनभिज्ञता, उदासीनता, अंधविश्वास बाधक हैं। फिर वे घरेलू जिम्मेदारियों में भी उलझी रहती हैं। छत्तीसगढ़ के खेतों में इन दिनों थरहा लगाने का काम चल रहा है। इसमें महिलाएं जितना निपुण हैं, पुरुष नहीं। यह हाल ही में किसी खेत से ली गई तस्वीर है।
नगरनार प्लांट की कमीशनिंग क्यों टली?
नगरनार में स्थापित एनएमडीसी के आयरन एंड स्टील प्लांट की कमीशनिनिंग यानि उत्पादन प्रक्रिया शुरू करने का काम अलग-अलग कारणों से पिछड़ता रहा। इसे 6 साल पहले चालू हो जाना था। इस सप्ताह पूरी तैयारी कर महीने के अंत तक कमीशनिंग की जानी थी। इसके लिए सीएमडी और दूसरे अधिकारियों का दौरा भी निश्चित हो गया था लेकिन यह अचानक रद्द हो गया। एनएमडीसी ने मेकान को संयंत्र के परिचालन और रख-रखाव का काम सौंपा है। इसके कई अधिकारी पिछले कई दिनों से यहां आकर रुके हुए थे। पर अब सब ठहर गया। दरअसल बताया जाता है कि इसकी वजह इस्पात मंत्रालय में हुआ फेरबदल है। इस विभाग के मंत्री आरएनपी सिंह ने राज्यसभा की सदस्यता समाप्त होने के बाद इस्तीफा दे दिया है। इसका अतिरिक्त प्रभार माधवराव सिंधिया को सौंपा गया है। कमीशनिंग की पहले जो डेडलाइन बनाई गई थी वह पूर्व मंत्री सिंह से सहमति लेकर बनाई गई थी। अब सिंधिया से मंजूरी ली जानी है। तब तक प्लांट शुरू होने की संभावना नहीं है।