राजपथ - जनपथ
रमन सिंह के दिल्ली जाने का राज
पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह बुधवार को दिल्ली गए। उनके प्रवास को लेकर काफी कानाफुसी होती रही। वैसे तो तीन और भाजपा विधायक नारायण चंदेल, शिवरतन शर्मा व डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी भी दिल्ली गए हैं, लेकिन तीनों विधायक पार्टी हाईकमान के बुलावे पर राष्ट्रपति चुनाव के मतदान के प्रशिक्षण के लिए गए हैं।
बताते हैं कि तीनों विधायक लौटकर बाकी भाजपा विधायक, और राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने वाले साथी दलों के विधायक-सांसदों को प्रशिक्षण देंगे। कहा जा रहा है कि रमन सिंह भी राष्ट्रपति चुनाव पर चर्चा के लिए गए हैं, लेकिन पार्टी के कुछ सूत्र बता रहे हैं कि वो आईटी छापों के बाद आगे की रणनीति पर चर्चा के लिए गए हैं।
हाल के आईटी छापों को लेकर पूर्व सीएम रमन सिंह काफी मुखर रहे हैं। अगले हफ्ते विधानसभा का सत्र भी शुरू हो रहा है। चर्चा है कि हाईकमान से चर्चा के आधार पर सदन से लेकर सडक़ तक सरकार को घेरने की कोशिश हो सकती है। देखना है आगे क्या होता है।
व्हाट्सएप्प पर फाइलें
टीएस सिंहदेव अकेले ऐसे मंत्री हैं, जो कि वाट्सएप पर ज्यादातर फाइलें अनुमोदित करते हैं। सिंहदेव पार्टी के कार्यक्रमों और अन्य वजहों से राजधानी से बाहर रहते रहे हैं। मगर उनके बाहर रहने से फाइल न रूक जाए, इसकी वो चिंता जरूर करते हैं। यही वजह है कि वाट्सएप पर भी फाइल अनुमोदित कर देते हैं। सिंहदेव राजधानी में रहे अथवा नहीं, विभाग के लोग ज्यादा परेशान नहीं होते हैं। उनसे वाट्सएप पर भी अनुमोदन लेकर काम चला लेते हैं।
हसदेव बचाओ आंदोलन को अनुष्का का साथ...
हसदेव अरण्य को कोयला उत्खनन के जरिये नष्ट करने की कोशिशों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वातावरण बनता जा रहा है। इसे लेकर विदेशों में कई प्रदर्शन हो चुके हैं। राहुल गांधी भी इस सवाल से कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में घिर गए थे, जिसकी प्रतिक्रिया में फिलहाल पेड़ों की कटाई रोक दी गई है।
इस आंदोलन ने अब एक और मुकाम तय किया है। ग्रैमी अवार्ड विजेता, प्रख्यात सितार वादक रविशंकर की पुत्री अनुष्का शंकर की आवाज में हसदेव अरण्य को बचाने का आह्वान करती हुई एक डाक्यूमेंट्री आई है। अनुष्का ने इस वीडियो में हसदेव के महत्व को बताते हुए कहा है कि यह भारत के बीचों-बीच, अक्षुण्ण, जैव-विविधताओं से भरा दुर्लभ नखलिस्तान है। यहां रहने वाले 20 हजार मूल निवासियों ने इसे पीढिय़ों से सहेजा और पोषित किया। गोंड, उरांव और यहां मौजूद अन्य जन-जातियों के लिए यह जंगल केवल उनके पूर्वजों की जमीन नहीं बल्कि पवित्र स्थान भी है। यह उनकी जरूरत की हर चीज उन्हें देता है। महुआ फल, तेंदू पत्ते, औषधियां इत्यादि। इसी जंगल में वे अपने मवेशियों को चराते हैं। लेकिन इस हरे-भरे जंगल के गर्भ में ही कोयले का विशाल भंडार भी है, जो 5 बिलियन टन से अधिक हो सकता है। इसे खोदने से यहां रहने वाले लोग और यहां का जंगल दोनों नष्ट हो जाएंगे। यही नहीं इसे नष्ट करना जलवायु के लिए भी विनाशकारी होगा। जंगल के लोग इसे बचाने के लिए संकल्पित हैं। अडानी एक माइंस पीईकेबी को संचालित कर रहा है, जहां के जंगल, फसल, खेत हमेशा के लिए नष्ट हो गए। पहाड़ी और झरने नष्ट हो गए।
अनुष्का ने कहा है कि इस डाक्यूमेंट्री में आवाज देते हुए प्रसन्नता हो रही है कि मुझे आदिवासियों के आंदोलन को साथ देने का मौका मिला।
पीएससी में फिर गलत सवाल...
छत्तीसगढ़ पीएससी की परीक्षाओं में भाग लेने वाले अभ्यर्थियों को प्राय: हाईकोर्ट जाना पड़ता है। इससे नुकसान यह होता है कि चयन प्रक्रिया में देर हो जाती है। कई बार लगता है कि ऐसे मौके खुद पीएससी की ओर से दिए जाते हैं। हाल ही में खनिज अधिकारी की परीक्षा में कई सवाल सिलेबस से बाहर के पूछ लिए गए। जो पूछे गए उनका जवाब तय करने में अभ्यर्थियों का सिर घूम गया। जैसे एक सवाल था- सन् 2019-20 में स्कूल से ड्रॉप आउट बच्चों का प्रतिशत क्या था? प्रश्न में यह स्पष्ट नहीं था कि छत्तीसगढ़ के ड्रॉप आउट के बारे में पूछा जा रहा है या देशभर के। छत्तीसगढ़ के बेरोजगारी दर के बारे में भी कुछ ऐसा ही सवाल किया गया। ए और बी तो गलत थे, पर सी और डी ऑप्शन लगभग दोनों ही सही थे। हाईकोर्ट पर किए गए सवाल में चारों में से कोई भी विकल्प सही नहीं है। कुछ और सवालों पर सवालिया निशान हैं।
देखना यह है कि सीजीपीएससी इन आधे-अधूरे सवालों को लेकर खुद ही कोई समाधान निकालता है या एक बार फिर बेरोजगारों को हाईकोर्ट जाना पड़ेगा।
आत्मानंद पब्लिक स्कूल !
पब्लिक स्कूलों में फीस, गणवेश, किताबों में होने वाली लूट से तंग आए अभिभावकों की कतार स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में अपने बच्चों को दाखिला देने के लिए लगी हुई है। मगर, निजी स्कूलों की बीमारी इनमें भी कहीं-कहीं आने लगी है। इस वाट्सअप स्क्रीन शॉट को पामगढ़ के आत्मानंद स्कूल का बताया जा रहा है। टाई बेल्ट छात्रों को खुद खरीदने की छूट न देकर उनसे पैसे मांगे जा रहे हैं। इसके अलावा आई कार्ड के लिए भी राशि मांगी गई है। अभिभावकों का कहना है कि टाई बेल्ट हम खुद खरीद लेंगे, इसके लिए प्राचार्य रुपये क्यों मंगा रहे हैं? टाई बेल्ट 70-80 रुपये में बाजार में मिल रहा है। आई कार्ड के लिए 150 रुपये लेने का कोई आदेश शासन से नहीं आया है।