राजपथ - जनपथ
कांग्रेस विधायकों का मन बदलेगा?
राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के जीत के पूरे आसार दिखने के बावजूद भाजपा की कोशिश है कि जीत का पिछला सारा रिकॉर्ड टूटे। इसकी वजह यह हो सकती है कि विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लगातार खुली आलोचना करने के बाद भाजपा छोडक़र तृणमूल कांग्रेस में चले गए। सोच यह होगी कि चुनाव परिणाम के जरिये उन्हें उनकी जगह दिखा दी जाए। मुर्मू का नाम एनडीए ने विपक्ष से सलाह लिए बिना तय किया था पर भाजपा के खिलाफ रहने वाली पार्टियों और यूपीए के कई सहयोगी दलों का भी मुर्मू को समर्थन जा रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा, बीजू जनता दल, शिव सेना (ठाकरे गुट) आदि। अब कसर बाकी रह गई छत्तीसगढ़ में। कांग्रेस के विधायकों को केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह ने पत्र लिखकर मुर्मू के लिए समर्थन मांगा। भाजपा के अन्य नेताओं ने भी एक आदिवासी महिला प्रत्याशी होने के नाम पर मुर्मू को समर्थन देने की अपील कांग्रेस विधायकों से की है। इस पर आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने बताया कि उनकी पार्टी के आदिवासी विधायक मुर्मू को क्यों वोट नहीं देंगे। उनका बयान है कि मुर्मू का छत्तीसगढ़ से कोई संबंध नहीं है। यदि यहां से किसी आदिवासी महिला को प्रत्याशी बनाया गया होता तो इस बारे में सोच भी सकते थे। जाहिर है, यह बयान राजनीतिक है और अब तो इस सवाल का कोई मतलब नहीं है। आसार यही है कि मुर्मू को रिकॉर्ड मतों से जीत दिलाने में छत्तीसगढ़ के आदिवासी कांग्रेस विधायकों की ओर से तो कोई मदद मिलती दिखाई नहीं देती। फिर भी कोशिश करने में हर्ज क्या है? मुर्मू का दौरा कल है ही।
सरगुजा से दिल्ली दूर नहीं..
ऐसे वक्त में जब रेलवे ने कोयला परिवहन के नाम पर अनेक मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों को रद्द कर रखा है, सरगुजा के लोगों को देश की राजधानी दिल्ली के लिए नई ट्रेन मिल गई है। यह जरूर है कि अभी यह सप्ताह में केवल एक दिन चलेगी। पर, अंचल के लोगों की दो दशक पुरानी मांग इससे पूरी हो गई। इसके पहले या तो कटनी रूट के किसी स्टेशन तक पहुंचकर लोगों को राजधानी के लिए ट्रेन पकडऩी पड़ती थी या फिर वे बस यात्रा कर बिलासपुर स्टेशन पहुंचते थे। यह दिलचस्प है कि सन् 1978 में भी दिल्ली के लिए ट्रेन सुविधा अंबिकापुर से थी। वह पूरी ट्रेन, नहीं एक बोगी हुआ करती थी। विश्रामपुर से चलने वाली पैसेंजर ट्रेन में एक डिब्बा दिल्ली का जोड़ा जाता था, जो अनूपपुर में उत्कल एक्सप्रेस में लगा दी जाती थी। पर कई बार अचानक यह बोगी रद्द कर दी जाती थी। बोगी बदलने के लिए जंक्शन में भी 30 मिनट से अधिक का वक्त लगता था। जैसे तैसे सन् 2000 तक यह सुविधा मिलती रही, उसके बाद अब 22 साल बाद दिल्ली के लिए सीधी ट्रेन मिली है। स्व. लरंग साय ने सांसद रहते हुए अपनी बात मनवाई थी तो केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह के खाते में भी इस ट्रेन का शुरू होना एक यादगार उपलब्धि के तौर पर जुड़ गई।
सडक़ पर पौधारोपण..
इन बच्चियों ने तस्वीर खिंचाने के लिए सडक़ पर पौधे नहीं लगाए, बल्कि जब वे पौधे लगा रही थीं तो वहां से गुजरते हुए फोटोग्रॉफर की नजर पड़ी और उसने खींच ली। इन बच्चियों को ड्राइंग शीट पर पर्यावरण को उकेरने का काम स्कूल से मिला था। उसके बाद स्कूल से आते-जाते देखा कि लोग कहीं-कहीं पौधे लगा रहे हैं, मैम ने भी कहा कि पौधे लगाना चाहिए। पौधे तो उन्हें मिल गए पर घर के पास कोई खाली जगह नहीं मिली। कांक्रीट की नाली और पक्की सडक़ से सारी जमीन ढंकी हुई है। कुछ नहीं सूझा तो उन्होंने सडक़ पर बने एक गड्ढे में ही पौधा लगा दिया।
हालांकि खाद, मिट्टी के बगैर इस पौधे का टिकना संभव नहीं था। सडक़ चालू थी, कुछ देर बाद एक गाड़ी आई, पौधे को रौंदकर चली गई। तस्वीर गोंडपारा, बिलासपुर की।