राजपथ - जनपथ
बारिश से बचाता प्याऊ
देश में बुलेट ट्रेन चलाने की बात हुई तो लोगों ने कहा कि पहले से चल रही ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों की स्थिति तो सुधार लें। छोटे स्टेशनों पर धूप-छांव से बचने का ठौर भी नहीं होता। सोशल मीडिया पर वायरल यह तस्वीर मैनपुरी, यूपी की है।
फोटो तो खिंचवा लेने देते?
राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू राजधानी रायपुर पहुंची तो स्वागत में जान फूंकने का काम युवा मोर्चा ने किया। वे एयरपोर्ट गए तो भीतर प्रवेश करने का मौका नहीं मिला। कोई बात नहीं, उन्होंने बाइक रैली निकालकर पायलेटिंग की। होटल के सामने भी जय-जयकार के नारे लगाकर युवाओं ने पार्टी की ताकत का एहसास कराया। पर यहां भी उन्हें घुसने का मौका नहीं मिला। वे न तो मुर्मू का स्वागत कर पाए न ही उनके साथ तस्वीर ही ले सके।
मुर्मू कल को राष्ट्रपति बनने जा रही हैं। उनका सुरक्षा घेरा तब इतना बढ़ जाएगा कि जो मौका करीब आने का अभी मिल सकता था, आगे नहीं मिलेगा। वैसे अभी भी मुर्मू को जेड प्लस सुरक्षा दी जा चुकी है, इसलिये चुनिंदा लोग नजदीक जा पाए। बस ऐसा करना था कि जब सुरक्षा अधिकारियों ने सूची मांगी तो सभी नाम वरिष्ठ नेताओं की नहीं होनी थी, कुछ नाम युवाओं के भी जोड़ देते। मगर उन्हें तो यह कहकर भगा दिया कि तुम लोगों को यहां बुलाया किसने है?
अब हुआ यह है कि कार्यकर्ता अपना गुस्सा सोशल मीडिया पर निकाल रहे हैं। कह रहे हैं सुबह 6 बजे से हमें बुला लिया गया। काम-धाम छोडक़र आए, अपमानित होकर बाहर किए गए हैं। ....अपनी कीमत का एहसास कराना पड़ेगा बॉस। ...हम कार्यकर्ताओं की भी इच्छा होती है, फोटो खिंचाने की। वरिष्ठ जन इसे कब समझेंगे? कई ने लिखा कि वही 10-15 चेहरे हमेशा..।
देखें, युवाओं की नाराजगी को लेकर सीनियर नेताओं को कोई फिक्र है भी या नहीं।
मंत्री पद तो छोड़ा ही नहीं...
शनिवार की शाम जब खबर उड़ी कि मंत्री टीएस सिंहदेव ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है तो सारी स्थिति स्पष्ट होने के पहले ही इसी हेडलाइन से खबरें चलने लगी कि सिंहदेव ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। कुछ देर बाद साफ हुआ कि मंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया, सिर्फ पंचायत ग्रामीण विकास विभाग से मुक्त होने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। वैधानिक स्थिति की जानकारी रखने वाले कह रहे हैं कि विभागों का बंटवारा मुख्यमंत्री करते हैं। कोई विभाग यदि कोई मंत्री नहीं रखना चाहता तो उन्हें इसका निवेदन मुख्यमंत्री से करना होगा। इसलिये यह कहना कि किसी एक पोर्टफोलियो से सिंहदेव ने इस्तीफा दे दिया यह कहना तकनीकी तौर पर सही नहीं है। अंतिम निर्णय तो सीएम को लेना है कि वे पंचायत विभाग छोडऩे के सिंहदेव के आग्रह को मानेंगे या नहीं। हो सकता है कि उन्हें विभाग में बने रहने के लिए कहा जाए। दूसरी स्थिति यह होगी कि यह विभाग किसी दूसरे मंत्री को दे दिया जाए। तीसरी स्थिति यह भी हो सकती है कि मंत्रिमंडल के पुनर्गठन का रास्ता इसी बहाने निकाल लिया जाए।