राजपथ - जनपथ
अंतरात्मा से निकली आवाज...
राष्ट्रपति पद के लिए मतदान गोपनीय होता है और इसके लिए व्हिप भी जारी नहीं किया गया है। दूसरे कुछ राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ से भी क्रास वोटिंग की पुष्टि एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को मिले मतों से हो गई है। पहले खबर आई कि 6 कांग्रेस विधायकों ने क्रास वोट डाले हैं पर बात में वोटों की गिनती का हिसाब कर लोगों ने बताया कि सिर्फ दो ने ऐसा किया है। सवाल यह है कि क्या यह सचमुच अंतरात्मा से निकली आवाज थी, भावुकता थी, रोष था, बगावत थी, क्या था? या फिर भाजपा की ओर से की गई अपील की वजह से था? सिर्फ दो ने ही किया, 71 में से बाकी तो पार्टी के ही साथ हैं। दूसरे कुछ राज्यों में अंतरात्मा की सुनकर वोट डालने वालों की संख्या छत्तीसगढ़ से अधिक है। हाल में राजनीतिक गलियारे में मचे घमासान के बीच जब हुए मतदान में इतनी एकजुटता भी आलाकमान को सुकून दे सकता है। फि़लहाल जिन दो विधायकों पर लोगों को क्रॉस वोटिंग का शक है, वे दोनों ही आदिवासी हैं।
जंगल में फोटोग्रॉफी का सलीका
गांवों में रहने वाले ग्रामीण कहलाते हैं, शहर में रहने वाले शहरी। वनों में रहने वाले जीवों को वन्य प्राणी कहा जाता है। जो जहां रहता हैस वहां उसके अधिकार सुरक्षित होने चाहिए। पर मनुष्य तो जंगल पर भी अपना ही हक समझता है, जो नहीं होना चाहिए। इस व्यवहार से प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। अमरकंटक के लिए एक सडक़ अचानकमार टाइगर रिजर्व के बीच से गुजरती है। यहां अक्सर चीतलों का झुंड सडक़ पर दिखाई देता है। वन्यजीवों के साथ कई बार इन लोगों को शोर करते, पीछा करते, परेशान करते देखा जा चुका है। समझदार पर्यटक जितने करीब से वन्यजीवों को गुजरते हुए देख लें, उनकी तस्वीर निकाल लें, पर उनकी स्वच्छंद विचरण पर व्यवधान नहीं डालते। चीतलों का यह झुंड वाहन पर सवार पर्यटकों के बहुत करीब से गुजरा। उन्होंने ऐसी ही कुछ शानदार तस्वीरें लीं, पर खामोशी के साथ।
सवाल करते ही पकड़ी मिलावटी शराब
विधानसभा में सवाल-जवाब होने से गड़बड़ी रुक जाती है क्या? विपक्ष ने आबकारी मंत्री से चालू सत्र में मिलावटी और नकली शराब पर सवाल किया, पड़ोसी राज्यों से हो रही तस्करी पर जवाब मांगा। अधिकारियों ने जो जवाब बनाया, मंत्री जी ने पढ़ दिया। पर, कारोबार रुक तो नहीं गया? जिस दिन यह सवाल-जवाब हो रहा था, उसी दिन सरगुजा जिले के बतौली इलाके में एक शराब दुकान के मैनेजर और सेल्समैन को शराब में पानी मिलाते और सस्ती शराब को ऊंची कीमत की खाली बोतल में भरते हुए पकड़ लिया गया। ये काम वे लोग दुकान में नहीं, घर पर कर रहे थे, क्योंकि वहां सीसीटीवी लगा है। आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त को किसी ने खबर कर दी। कार्रवाई हुई और दो लोग जेल भेज दिए गए। इस गिरफ्तारी के बाद से आगे गोरखधंधा रुक जाएगा, इसकी कोई गारंटी नहीं, शायद यह कार्रवाई विधानसभा में पूछे गए सवाल की वजह से की गई थी?
खिलाडिय़ों के आगे आने पर रोक...
रेल मंत्री ने संसद में साफ कर दिया है कि बुजुर्गों और खिलाडिय़ों को सफर में अब रियायत नहीं मिलने वाली है। लोग बहुत दिनों से इंतजार कर रहे थे कि कोरोना के कारण जो सुविधा छीनी गई, वह धीरे से अब बहाल हो जाएगी। कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि रेवड़ी बांटना बंद करो। रेलवे ने तत्काल अमल में ला दिया। इस फैसले को जायज बताते हुए मंत्री ने बताया कि अभी भी यात्री परिवहन का 50 प्रतिशत रेलवे वहन करता है। बुजुर्गों को रियायत देने से बीते वित्तीय वर्ष में 1600 करोड़ रुपये खर्च हो गए। इस खबर में यह नहीं बताया गया कि खिलाडिय़ों को कितनी छूट मिली। मान लेते हैं कि यह राशि भी इसके आसपास ही होगी। पर, रेल मंत्री ने यह नहीं बताया कि माल परिवहन से कितना मुनाफा हो रहा है। बिलासपुर रेल मंडल और बिलासपुर रेलवे जोन प्राय: हर साल आमदनी में टॉप पर होते हैं। मंडल की आमदनी 8 हजार करोड़ तो जोन की 20-22 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है। इस तथ्य का जिक्र किए बिना ऐसे बताया गया मानों यात्रियों को खैरात बांटी जा रही है। छत्तीसगढ़ के जनप्रतिनिधियों को तो सवाल करना चाहिए कि हमें इस आय के एवज में अतिरिक्त कौन सी सुविधा रेलवे दे रहा है।
बहुत से खिलाड़ी सरकार के फैसले से नाराज हैं। यूनिवर्सिटी, कॉलेज के अलावा उनकी अपनी टीम देश के अलग-अलग हिस्सों में खेलों का प्रदर्शन करने जाती है। ज्यादातर खिलाड़ी बेरोजगार छात्र होते हैं। इन्हें तो जूते मोजे तक खरीदने के लिए ही भारी मशक्कत करनी पड़ती है। खेल के सामान भी महंगे हैं। एक तरफ सरकार खिलाडिय़ों को आगे लाने के लिए खेलो इंडिया खेलो स्कीम चला रही है, दूसरी तरफ कई दशकों से मिली रियायती टिकट की सुविधा उनसे छीन ली गई।