राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : तिरंगे पर भी राजनीति...
31-Jul-2022 6:52 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ :  तिरंगे पर भी राजनीति...

तिरंगे पर भी राजनीति...      
आम लोगों को अपने घरों और कार्यालयों में ध्वज फहराने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट में लड़ी गई एक कानूनी लड़ाई के बाद सात साल पहले मिला था। इसके पहले लोग सिर्फ 15 अगस्त और 26 जनवरी पर घर-दफ्तर में झंडा फहरा सकते थे। इस बार आजादी के अमृत महोत्सव पर आपके देश-प्रेम को तौलने के लिए केंद्र सरकार ने एक अपील जारी की है। 13 से 15 अगस्त तक हर घर में ध्वज फहराया जाएगा। अनेक लोग इन दोनों राष्ट्रीय पर्वों पर घरों में ध्वज फहराते हैं। बिलासपुर में तो एक परिवार  ऐसा भी है जो साल के हर दिन की शुरुआत ही घर में तिरंगा फहराने से करता है और शाम को उतारता है। अब झंडा संहिता में बदलाव के बाद इसे रात में उतारने की जरूरत भी नहीं रह गई है। भाजपा पहले भी लोगों में देशभक्ति जगाने  पिछले वर्षों में तिरंगा यात्रा निकाल चुकी है। कुछ इसी तरह की यात्रा इस बार 9 अगस्त से कांग्रेस निकाल रही है। भाजपा के हर घर तिरंगा कार्यक्रम को भाजपा नहीं, सरकार की योजना कही जाएगी और कांग्रेस की योजना को पार्टी की। पर दोनों कार्यक्रमों के राजनीतिक फायदे तो हैं ही। उम्मीद करनी चाहिए कि हर घर तिरंगा को सरकारी कार्यक्रम ही समझा जाएगा। किसी वजह से कोई अपने घर पर ध्वज नहीं फहरा सके तो उसके राष्ट्रप्रेम पर सवाल खड़ा न किया जाए। वैसे हमारे सीएम ने केंद्र सरकार के कार्यक्रम को कल ही कांग्रेस की बैठक में पाखंड बता दिया था।

युद्ध प्रभावित मेडिकल छात्र मंझधार में  

कोरोना महामारी के चलते चीन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे बच्चे दो साल पहले भारत आए थे। इसके बाद रूस के साथ युद्ध शुरू होने के बाद यूक्रेन से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे करीब 40 हजार छात्रों को वापस लौटना पड़ा। छत्तीसगढ़ में चीन से लौटे छात्रों की संख्या कुछ कम है पर यूक्रेन से 207 छात्रों के वापस आने का सरकार के पास आंकड़ा है। राज्य सरकारें इन छात्रों के भविष्य को लेकर चिंतित रही है। जैसी खबर है कि पश्चिम बंगाल लौटे करीब 400 छात्रों को वहां की मेडिकल कॉलेजों में दाखिला देने की प्रक्रिया शुरू की गई है। कर्नाटक सरकार ने भी इसके लिए एक समिति बनाई है, जो यह तय करेगी कि इन छात्रों के लिए क्या विकल्प हो। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को बीते मार्च माह में पत्र लिखा था कि मेडिकल सीटें बढ़ाकर इन्हें एडमिशन देना चाहिए। पर बीते सप्ताह लोकसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती पवार का इस मसले पर लोकसभा में जवाब आ गया। उन्होंने कहा कि नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट में सीधे दाखिले का कोई प्रावधान नहीं है। कर्नाटक, पश्चिम बंगाल में चल रही दाखिले की प्रक्रिया के बारे में उन्होंने जानकारी नहीं होने की बात कही। यह तय है कि किसी भी राज्य में मेडिकल सीटें एनएमसी की मंजूरी पर ही बढ़ेगी और दाखिले में उसके ही मापदंड का पालन करना होगा। छत्तीसगढ़ सरकार चाहती थी कि हाल ही में अधिग्रहित चंदूलाल चंद्राकर स्मृति मेडिकल कॉलेज में इन छात्रों को समायोजित कर दिया जाए, पर एनएमसी की मंजूरी के बिना यह भी नहीं हो पाएगा। अभिभावकों ने देश में मेडिकल की महंगी पढ़ाई और तगड़ी प्रतियोगिता के चलते अपने बच्चों को विदेश भेजा था। पर अब पैसे भी गए और उनका भविष्य भी अधर में झूल रहा है। कुछ दो चार अभिभावक ही ऐसे होंगे जो पेमेंट सीट पर निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला करा पाने की क्षमता रखते हों। यह खर्च एक करोड़ रुपये या उससे अधिक हो सकता है।
31 मार्च 2019 के एक आंकड़े को राज्यसभा में रखा गया था कि देश में 1800 लोगों पर एक चिकित्सक हैं, जबकि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक कम से कम 1 हजार के बीच एक का होना जरूरी है। देशभर में अलग-अलग फेकल्टी के लाखों डॉक्टरों की कमी है।
ऐसे में छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी याद आते हैं, जिन्होंने सहायक चिकित्सक पाठ्यक्रम शुरू किया था। इस योजना में दाखिला आसान था और फीस भी कम थी। ग्रामीण क्षेत्रों की बीमारियों की पहचान कर छात्रों को इलाज के लिए तैयार किया जाता था। इंडियन मेडिकल काउंसिल की आपत्ति के बाद यह कोर्स बंद करना पड़ा। कोर्ट में भी सरकार यह लड़ाई हार गई। फिलहाल सात समुंदर पार से लौटे छात्रों को अपने करियर की चिंता महसूस हो रही है।

वैक्सीन दीदी...
तृतीय लिंग को मुख्य धारा से जोडऩे में बहुत वक्त लगेगा। अमूमन समाज उनको हाशिये पर रखता है। ऐसे में कुछ अलग हटकर काम हो तो उसकी चर्चा हो जाती है। दुर्ग की कंचन, जो स्वयं ट्रांसजेंडर हैं, वह अपने समुदाय की बेहतरी के लिए फिक्रमंद हैं। कोविड वैक्सीन के दोनों डोज के दौरान भी वे सक्रिय रहीं और अब जब बूस्टर डोज दिया जा रहा है तो फिर वे अपने लोगों को तैयार कर वैक्सीनेशन सेंटर ला रही हैं। केवल ट्रांसजेंडर ही नहीं, बल्कि ऐसे दूसरे लोगों को भी जिनके बारे में उन्हें पता चलता है कि बूस्टर डोज नहीं लगा है, ला रही हैं। इनका नाम ही लोगों ने वैक्सीन दीदी रख दिया है। ([email protected])

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