राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : मुनाफे में हिस्सेदारी, तो हल्ला बंद
04-Aug-2022 6:04 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : मुनाफे में हिस्सेदारी, तो हल्ला बंद

मुनाफे में हिस्सेदारी, तो हल्ला बंद

 रेत खनन पर अब ज्यादा कोई बात नहीं हो रही है। वैसे तो बारिश की वजह से खनन बंद है। ठेकेदारों ने पहले से कहीं ज्यादा भंडारण कर रखा है, और अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रहे हैं। कुछ समय पहले तक अवैध रेत खनन-भंडारण को लेकर विधायकों ने काफी हो हल्ला मचाया था। धमतरी जिले में ठेकेदारों के खिलाफ धमकाने-चमकाने का मुकदमा भी दर्ज हुआ था, लेकिन अब सब कुछ शांत हो गया है। रेत कारोबार में शांति के पीछे ठेकेदारों की रणनीति भी काम आई है। सुनते हैं कि  विपक्ष के महिला विधायक के करीबी को ठेकेदार ने हिस्सेदार बना दिया है। अब मुनाफे में हिस्सेदारी हो गई है, तो हल्ला मचाने का सवाल ही पैदा नहीं होता।

आईजी अध्याय बंद नहीं

ओपी पाल के तबादले के बाद आईजी रेंज के प्रभारी बदले जा सकते हैं। फिलहाल तो रायपुर रेंज का अतिरिक्त प्रभार दुर्ग आईजी बद्री नारायण मीणा संभाल रहे हैं, लेकिन जल्द ही रायपुर में नए आईजी की पोस्टिंग हो सकती है। चर्चा है कि फेरबदल में बिलासपुर, और बस्तर आईजी भी प्रभावित हो सकते हैं। बस्तर आईजी पी.सुंदर राज को बस्तर में डीआईजी, और आईजी रहते करीब 4 साल हो चुके हैं। उनका कामकाज भी बेहतर माना जाता है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि उनकी मैदानी इलाके में पोस्टिंग हो सकती है। बिलासपुर आईजी रतनलाल डांगी को भी इधर से उधर किया जा सकता है। फेरबदल की चर्चाओं के बीच एक नया आईजी रेंज बनाने का सुझाव भी आया है। फिलहाल ज्यादा कुछ नहीं हुआ है।

डिलिवरी बॉय का ईंधन

इस तस्वीर को देखकर आप अलग-अलग अंदाजा लगाने के लिए स्वतंत्र हैं। क्या गैस कंपनियों ने अपनी सेवाओं का विस्तार कर दिया है? जो उपभोक्ता महंगी घरेलू गैस लेने की हालत में नहीं हैं, उन्हें ईंधन के लिए जलाऊ लकड़ी बेचने लगी है? दूसरी बात जो ज्यादा सही लगती है। वह यह हो सकती है कि गैस एजेंसी का यह डिलिवरी बॉय रोज दर्जनों घरों में गैस सिलेंडर तो पहुंचाता होगा, पर उसकी खुद की रसोई में चूल्हा लकडिय़ों से जलता होगा, क्योंकि मार महंगाई की उस पर भी पड़ गई।

गोबर बिक्री से रिकॉर्ड कमाई

गोबर बेचने वालों को सरकार बीते दो सालों में 153 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है। योजना की कांग्रेस सरकार सराहना करती है तो भाजपा इसमें घोटाले का आरोप लगाती है। आरोप पूरी तरह गलत भी नहीं है। राजनांदगांव के प्रभारी मंत्री अमरजीत भगत से शिकायत हुई है कि एक महिला हितग्राही ने एक ही दिन में 230 क्विंटल गोबर की बिक्री की है। न केवल खरीदी की गई बल्कि उसे 46 हजार रुपये का भुगतान भी कर दिया गया। घोटाले में सरपंच, सचिव और हितग्राही का मिला जुला खेल बताया गया है।  गोबर की बिक्री कर कई लोगों ने बाइक खरीदने का शौक पूरा किया है, पर कई महीनों की बिक्री से। अब एक दिन में 230 क्विंटल गोबर कोई बेचने लगे तो एक दिन वह बढिय़ा सा बंगला बनवाकर, लग्जरी कार या बीएमडब्ल्यू में तो घूम ही सकता है।

उपहास, चुनौती और अवसाद...

छत्तीसगढ़ के मीडियाकर्मियों से जुड़ी तीन खबरें पिछले 24 घंटे के दौरान चर्चा में रहीं। भिलाई के दो पत्रकारों ने एसपी को आवेदन देकर मांग की है कि उन्हें भी अपनी आजीविका चलाने के लिए सट्टा-पट्टी लिखने की अनुमति दी जाए। भी, का मतलब यह है कि यहां जगह-जगह लोग दफ्तर खोलकर बैठे हैं। बकायदा उनके कर्मचारी सट्टा-पट्टी लिख रहे हैं। पूछने पर कहते हैं कि पुलिस से उन्हें अनुमति मिली है। जब उन्हें ऐसा करने दे रहे हैं तो हमें भी मौका मिले। ये पत्रकार गैर कानूनी धंधों में पुलिस की मिलीभगत को अलग तरीके से उजागर कर रहे हैं।

दूसरी घटना कोरबा की है जहां दो कथित पत्रकारों ने कबाड़ भरी ट्रक रोकी और उसके मालिक से दो लाख रुपये की डिमांड की। उनका कहना है कि कबाड़ में अवैध और चोरी का सामान भरा है, इसलिए हिस्सा दो। कबाड़ी ने पुलिस में शिकायत की। अब दोनों मीडियाकर्मी पुलिस गिरफ्त में हैं।

तीसरी खबर उक्त दोनों से ज्यादा अप्रिय है। वह यह कि बिलासपुर के एक निजी चैनल के एंकर ने खुदकुशी कर ली, आर्थिक तंगी की वजह बताई जा रही है। कुछ माह पहले ही उसका विवाह हुआ था।

इन तीनों घटनाओं के स्वरूप अलग-अलग है। कोई इतनी हिम्मत रखता है कि वह प्रशासन पर नकेल डाल सके, कोई काली कमाई में हिस्सा मांग रहा है। तो, कोई अपनी परेशानियों से लडऩे की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है और अपनों की परवाह किए बिना जीवन से भाग खड़ा हो रहा है। इस आखिरी घटना में उपहास, चुनौती और अवसाद तीनों शामिल हैं।

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