राजपथ - जनपथ
विदाई की यह तारीख चुनी किसने?
भारतीय जनता पार्टी में बड़े संगठनात्मक बदलाव की पिछले 6 माह से चल रही चर्चा पर अरुण साव की प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्ति के साथ ही विराम लग गया लेकिन इस फेरबदल की तारीख को कांग्रेस मुद्दा बना लेगी, इसका अंदाजा शायद संगठन में ऊपर बैठे लोगों को नहीं था। वरना नियुक्ति का दिन कुछ आगे-पीछे जरूर कर दिया जाता। हालांकि भाजपा की तरफ से आदिवासी समाज से राष्ट्रपति, राज्यपाल आदि प्रतिनिधित्व देने का उदाहरण रखकर मैनेज करने की कोशिश की जा रही है, पर पार्टी के कई नेता, विशेषकर आदिवासी वर्ग के नेता मान रहे हैं कि घोषणा कुछ ठहरकर या फिर कुछ पहले होनी थी। सन् 2018 में भाजपा को अनुसूचित जनजाति सीटों पर कांग्रेस से भारी शिकस्त मिली थी। बस्तर, जशपुर और सरगुजा-सब जगह मिलाकर कुल 2 सीट ही उनके पास रह गईं। अब विपक्ष में रहते हुए दोनों महत्वपूर्ण पद प्रदेशाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष पिछड़ा वर्ग के पास आ गए हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह के अलावा आदिवासी प्रतिनिधित्व छूट गया है। भाजपा को अपनी खोई हुई आदिवासी सीटों को वापस लेना है तो इस वर्ग से कुछ और नाम आगे लाने होंगे। एक चर्चा नेता प्रतिपक्ष पद में फेरबदल की हो रही है। यह चर्चा इसलिये भी है क्योंकि साव और धरमलाल कौशिक दोनों ही बिलासपुर से हैं। लेकिन एक दूसरी चर्चा यह भी चलने लगी है कि केंद्र में केबिनेट स्तर का एक पद और किसी आदिवासी नेता को दिया जा सकता है। यह काम जल्दी नहीं किया गया तो कांग्रेस बार-बार 9 अगस्त की तारीख को याद दिलाती रहेगी।
कॉमनवेल्थ गेम्स में हम कहां?
कॉमनवेल्थ गेम्स की पदक तालिका देखते हैं तो भारत चौथे नंबर पर है। आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, कनाडा पहले दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं, जो भारत के मुकाबले काफी कम आबादी वाले देश हैं। भारत की राज्यवार सूची पर नजर डालें तो सबसे ऊपर हरियाणा फिर पंजाब का नाम आता है। दिल्ली, झारखंड, महाराष्ट्र से भी पदक जीतने वाले खिलाड़ी हैं। छत्तीसगढ़ से छोटे राज्य तेलंगाना, केरल, मणिपुर, उत्तराखंड, केंद्र शासित चंडीगढ़ जैसे राज्यों से भी कॉमनवेल्थ गेम्स में प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतियोगियों ने मेडल हासिल किए। छत्तीसगढ़ का इस सूची में नाम ही नहीं है, क्योंकि किसी को यहां से जाने का मौका ही नहीं मिला। छत्तीसगढ़ में खेल प्रतिभाओं को तराशने का काम बहुत पीछे है। हाल ही में अनेक पर्वतारोहियों ने ऊंची चोटियों पर तिरंगा फहराया है, पर यह एथेलेटिक्स नहीं है। एक समय था जब हॉकी खिलाड़ी क्लाडियस को ओलंपिक में खेलने का मौका मिला था, वह भी हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की टीम में। अचानकमार, बस्तर, जशपुर में कई खिलाड़ी हैं जो कुश्ती, तीरंदाजी, वालीबॉल, फुटबॉल में अपनी श्रेष्ठता साबित कर चुके हैं। फिर भी राज्य में ओलंपिक, एशियाड या कॉमनवेल्थ का लक्ष्य लेकर खिलाडिय़ों पर मेहनत नहीं की जा रही है।
बागों में बहार है...
सन् 2020-21 में देश के 31 राज्यों में 415.97 लाख पौधे रोपे गए, इनमें से 336.95 लाख पौधे जीवित हैं। पौधारोपण और पौधों को सुरक्षित रखने के मामले में सबसे आगे बिहार है जहां 24.21 लाख पौधे रोपे गए और सब सुरक्षित हैं। दूसरे नंबर पर कर्नाटक है, जहां 2.7 लाख पौधे लगाए गए, यहां भी 99 प्रतिशत पौधे सुरक्षित हैं। तीसरे नंबर पर हमारा छत्तीसगढ़ है, जहां 31.74 लाख रोपे गए पौधों में से 30.47 लाख सुरक्षित हैं। ये प्रतिपूरक पौधे हैं जो सरकारी योजनाओं के कारण काटे गए पेड़ों के बदले लगाए जाते हैं। केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रालय ने राज्यसभा के बीते सत्र में एक सवाल के जवाब में ये सब जानकारी दी है। छत्तीसगढ़ में नेशलन हाईवे, एसईसीएल, निजी कोयला खदानों, पावर प्लांट्स के लिए काटे जाने वाले पेड़ों के बदले नियम के अनुसार 10 गुना पेड़ होने चाहिए। पर्यावरण को लेकर चिंतित लोगों का कहना है कि सरकारी और निजी उपक्रम विकास के नाम पर छत्तीसगढ़ की हरियाली खत्म कर रहे हैं। पौधे लगाए भी जाते हैं, तो नष्ट हो जाते हैं। जीवित पेड़ों की संख्या बहुत कम है। ऐसे में संसद में दिया गया जवाब धरातल पर कितना सच है, इस पर सवाल उठ सकते हैं।
सबसे सुंदर राखी..
कोरबा जिले की प्राथमिक शाला गढक़टरा के बच्चों ने अपने हाथों से राखियां बनाई है। स्कूल में एक दूसरे को बांधेंगे, टीचर्स को भी पहनाएंगे और घर में भी। बच्चों की इस मेहनत का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह सिर्फ 34 बच्चों और दो शिक्षकों वाला पहाड़ी इलाके का स्कूल है, जहां कोई अधिकारी यह जानने के लिए नहीं पहुंचता कि वहां पढ़ाई हो भी रही है या नहीं। पर ये बच्चे न केवल पढ़ रहे हैं, बल्कि अतिरिक्त समय देकर अपना कौशल भी निखार रहे हैं।