राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : एक और कोचिंग चलाने का मौका
12-Aug-2022 5:42 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : एक और कोचिंग चलाने का मौका

एक और कोचिंग चलाने का मौका

राज्य प्रशासनिक सेवा के विभिन्न पदों पर भर्ती परीक्षा लेने वाला छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग अब भृत्य के लिए भी एग्ज़ाम लेने जा रहा है। सबसे कम बेरोजगारी दर वाले अपने प्रदेश में हालत यह है कि करीब 90 पदों पर भर्ती होनी है और इसके लिए 2 लाख से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं। समझा जा सकता है कि भृत्य जैसे चतुर्थ श्रेणी पद के लिए भी कितनी कठिन परीक्षा का सामना करना पड़ेगा। जगह-जगह अलग-अलग परीक्षाओं के लिए कोचिंग सेंटर्स खुले हुए हैं। अब जिन कोचिंग संचालकों के पास बड़े पदों के लिए जानकार शिक्षक नहीं हैं, उनके लिए एक नया रास्ता खुला है। वे भृत्य परीक्षा के लिए कोचिंग देना शुरू कर सकते हैं। इधर निजी प्रकाशकों ने भी मौका नहीं गंवाया है। उनकी किताबें बाजार में उतर चुकी हैं।

तिरंगा दफ्तर में ही बंद...

हर घर तिरंगा फहराने की अपील को केंद्र सरकार ने वैसे तो शासकीय कार्यक्रम घोषित कर रखा है। पर भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दल इसके सियासी फायदे को भी देख रहे हैं। छत्तीसगढ़ में अमृत महोत्सव पर एक सप्ताह का कांग्रेस ने पदयात्रा सहित अन्य कार्यक्रम तय कर रखे हैं तो भाजपा भी 13 अगस्त से 15 अगस्त तक घरों में फहराने के लिए तिरंगा लोगों के बीच जाकर बांट रही है। रायपुर में विधायक व पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने लोगों को तिरंगा वितरित करने के साथ-साथ करीब 200 जरूरतमंद लोगों को गैस सिलेंडर, रेगुलेटर और चूल्हा नि:शुल्क वितरित किया।  पर जब वे तिरंगा अभियान की तैयारी देखने बिलासपुर पहुंचे तो वहां की ढीली तैयारी को देखकर नाराज हो गए। उन्होंने पाया कि अब तक दो तीन सौ तिरंगे ही वितरित हो पाए हैं, बाकी कार्यालय में ही रखे हुए हैं। अग्रवाल ने संगठन के पदाधिकारियों की खूब खबर ली और मंच से ही नाराजगी जताई। जिला अध्यक्ष सफाई देने की कोशिश कर रहे थे पर स्थिति की नजाकत को देखते हुए बाकी लोगों ने उनको चुप करा दिया। यह एक उदाहरण है कि राजधानी से बाहर भाजपा कार्यकर्ताओं में पहले जैसा जोश दिखाई ही नहीं दे रहा है। शायद नए प्रदेश अध्यक्ष के एक्शन में आने के बाद यह खालीपन भरे।

जेल वालों ने अच्छे से मनाया त्यौहार..

स्कूल, कॉलेज, बाजार, बस-स्टैंड, रेलवे स्टेशन, सब्जी मार्केट, शराब दुकान सब जगह कोविड से पहले की तरह भीड़ दिखाई दे रही है। कोविड प्रोटोकाल का पालन करने का निर्देश अब भी अस्तित्व में है, पर पालन कहीं नहीं हो रहा है। इधर लगातार तीसरे साल जेल में राखी पहनाने की इजाजत बंदियों की बहनों को नहीं मिली। बीते दो वर्षों में कोविड-19 का संक्रमण फैलने की चिंता में यही निर्णय लिया गया था। तब संक्रमण दर अधिक था। जेल में भी कई कैदी बीमार हुए, एक दो मौतें भी हो गई थीं। पर इस समय संक्रमण का फैलाव बहुत कम है। राखी लेकर जेल के दरवाजे पहुंची महिलाओं से गेट पर राखियां जमा करा ली गई। वे घर से लाई गई मिठाई भी देना चाहती थीं, उसकी इजाजत नहीं मिली। जेल के कैंटीन की मिठाई दे सकीं। वे मायूस लौटीं। जेल जहां वैसे भी बैरकों में तय से ज्यादा कैदियों को भरकर रखा गया है, यदि बहनों को रक्षाबंधन मनाने का मौका मिल जाता तो क्या बुरा होता? कोविड को देखते हुए कुछ अतिरिक्त सावधानी, सोशल डिस्टेंस, मास्क आदि की अनिवार्यता रखी जा सकती थी। 24-48 घंटे पुरानी टेस्ट रिपोर्ट मांग ली जाती, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। मामला कैदियों का था, इसलिये उनके समर्थन में भी किसी ने बात करने की जरूरत महसूस नहीं की। इस फैसले से कैदियों का कोविड से कितना बचाव हुआ कह नहीं सकते लेकिन जेलों के अधिकारी कर्मचारी इंतजाम करने की मेहनत से जरूर बच गए।

बारिश के बाद की सडक़..

रायगढ़ से धरमजयगढ़ जाने वाली स्टेट सडक़ वर्षों से खराब है। इसकी मरम्मत वर्षों से चल रही है, पर हालत नहीं सुधरी। इस बारिश में सडक़ की ऐसी दुर्दशा हो गई है कि गाडिय़ां मार्ग बदलकर कुनकुरी, रांची की ओर जा रही हैं। लोगों को यह जानने का हक जरूर होना चाहिए कि जब वे रोड टैक्स, टोल टैक्स, पेट्रोल डीजल में टैक्स दे रहे हैं तो फिर सडक़ क्यों जर्जर है?

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