राजपथ - जनपथ
हड़ताली सीएम को बधाई देने भी गए थे
डीए बढ़ाने की मांग पर अड़े कर्मचारी हड़ताल पर हैं। हड़ताल की वजह से विशेषकर जिलों में कामकाज ठप-सा है। कुछ संगठन हड़ताल से अलग हैं। बावजूद इसके कामकाज सामान्य नहीं हो पा रहा है।
संस्कृति संचालनालय का हाल यह है कि कुल 5 कर्मचारी काम कर रहे हैं। इनमें से चार परवीक्षाधीन हैं। एक कर्मचारी हड़ताल से अलग गुट से जुड़ा है। यही हाल बाकी दफ्तरों का भी है। सरकारी स्कूलों में भी पढ़ाई बंद हैं।
कुछ कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सीएम के जन्मदिन के मौके पर कुछ बात बनेगी। हड़ताली फेडरेशन के पदाधिकारी सीएम को बधाई देने भी गए थे। सीएम ने बधाई स्वीकारी भी लेकिन माहौल ऐसा था कि कर्मचारी अपनी बात रख पाए, और न ही सीएम ने कुछ कहा। फिर भी बीच का रास्ता निकालने की कोशिश हो रही है।
भीड़ नहीं जुटी, लेकिन सफल
भाजयुमो के प्रदर्शन में अपेक्षाकृत भीड़ नहीं जुटी, लेकिन कार्यक्रम को सफल माना जा रहा है। वैसे तो एक लाख युवाओं के आने का दावा किया गया था, लेकिन 15 हजार लोग ही जुट पाए। कार्यक्रम को सफल बनाने में क्षेत्रीय महामंत्री अजय जामवाल की भूमिका अहम रही।
सुनते हैं कि जामवाल ने कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में भीड़ को लेकर चिंतन मनन कर रहे नेताओं को झाड़ दिया, और उन्हें फील्ड जाकर भीड़ जुटाने के लिए कहा। सबसे ज्यादा भीड़ रायपुर से ही लाने का लक्ष्य रखा गया था। जामवाल ने हर वार्ड से सौ-सौ लोगों को लाने का टारगेट दिया था। उनकी कोशिशों का प्रतिफल यह रहा कि पार्टी के अंदरखाने में जितनी भीड़ आने की उम्मीद थी, तकरीबन उतनी जुट भी गई। कार्यक्रम की कमान बृजमोहन अग्रवाल ने संभाल रखी थी। उन्होंने साधन-संसाधन में कहीं कोई कमी बाकी नहीं रखी। पिछले कुछ समय से युवा मोर्चा अध्यक्ष अमित साहू को बदलने की अटकलें भी चल रही थी, मगर कार्यक्रम की सफलता के बाद कोई बदलाव होगा ऐसा दिखता नहीं है।
सियासत ही सत्य है..
सही है, भाजपा का यह कहना कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने का वायदा नहीं निभाया। युवा मोर्चा ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। दिसंबर तक अल्टीमेटम देकर भी अच्छा किया। सरकार को रोजगार देना ही चाहिए आखिर चुनाव में वायदा किया था। भरोसा करके वोट दिया, तोडऩा ठीक नहीं।
इधर कांग्रेसी भी गलत नहीं कह रहे। भाजपा ने 2003 से लेकर 2013 तक के चुनावों में कई वायदे युवाओं के लिए किए। 500 रुपये भत्ता, स्थानीय उद्योगों में अनिवार्य कैंपस सलेक्शन, स्थानीय लोगों को 90 प्रतिशत नौकरियां..। केंद्र सरकार तो 2 करोड़ रोजगार हर साल देने के वायदे से ही मुकर गई। ठीक ही कर रही है युवक कांग्रेस आंदोलन करके।
मतलब यह है कि दोनों ही पार्टियां अपनी-अपनी जगह सही हैं। दोनों एक दूसरे की बराबर खिंचाई कर रही है। एक के आरोप के जवाब में दूसरे का प्रत्यारोप। हिसाब बराबर..। सियासत ही सत्य है..। असल समस्या जो पढ़ लिखकर काम तलाश रहे युवाओं से जुड़ी है, उनकी बात फिर कभी..।
बघ नक्खा की ऑनलाइन शॉपिंग
छत्तीसगढ़ के खेतों में मेड़ पर बघ नक्खा ऐसे ही उग आते हैं। इसकी खेती करने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसका अंग्रेजी नाम डेविल क्लॉ है। ग्रामीण इसका इस्तेमाल सदियों से दर्द, लीवर और गुर्दे की समस्याओं से छुटकारा पाने अपने हिसाब से करते आ रहे हैं। वैज्ञानिकों ने पता किया है कि मलेरिया और बुखार में भी यह लाभदायक है। अब जब दुनियाभर में लोगों का रुझान प्राकृतिक चिकित्सा की ओर बढ़ रहा है, इसकी मांग शहरों, महानगरों में भी होने लगी है। यही वजह है कि ऑनलाइन शॉपिंग ऐप अमेजॉन पर यह उपलब्ध कराया गया है। 25 पीस के सिर्फ 299 रुपये..। जब पहले से ही गोबर और उससे बने कंडे की बिक्री ऑनलाइन हो रही हो, तो बघ नक्खा की क्यों नहीं हो सकती?
यूरोप की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा
अमृत महोत्सव पर लोगों ने अपने घरों, संस्थानों में ध्वज फहराया, पर कवर्धा की रहने वाली महिला सिपाही अंकिता गुप्ता ने 15 अगस्त को यूरोप की 18 हजार 500 फीट, सबसे ऊंची पर्वत चोटी एलब्रुस पर तिरंगा लहराया। पर्वतारोहण में छत्तीसगढ़ का नाम फिर ऊंचा हुआ। खास बात यह है कि जिस तिरंगा को उन्होंने इस चोटी पर फहराया, उसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें 3 अगस्त को रवानगी के पहले भेंट किया था।