राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कमरो की इसलिये हुई तारीफ...
12-Sep-2022 6:43 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कमरो की इसलिये हुई तारीफ...

कमरो की इसलिये हुई तारीफ...

वैसे तो जनसभाओं में क्षेत्रीय विधायक की तारीफ मुख्यमंत्री प्राय: करते हैं। इससे विधायक का जन-समर्थन बढ़ता है और आने वाले चुनावों में भी फायदा मिलता है। पर, भरतपुर-सोनहत विधायक व सरगुजा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष गुलाब कमरो को जो दाद मिली वह बहुत कम लोगों को मिल पाती है। मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने उन्हें ‘इतिहास पुरुष’ का खिताब दिया। सीएम ने यह भी कहा कि कुमरो लगातार जिला बनाने की मांग लेकर उनके पीछे लगे रहे। नक्शा दिखाकर बताते रहे कि जिला बनाना क्यों जरूरी है।

नक्शा या भौगोलिक स्थिति को देखा जाए तो इस जिले का औचित्य समझ में आ जाता है। भरतपुर पहले जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से करीब 140 किलोमीटर दूर था। यह अब घटकर 100 किलोमीटर रह गया है। इस क्षेत्र में मनेंद्रगढ़ सबसे बड़ा व्यापारिक केंद्र है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के पहले से ही इसे जिला मुख्यालय बनाने की मांग हो रही थी। जब कोरिया जिले का गठन कर बैकुंठपुर को मुख्यालय बनाया गया, तब भी यहां असंतोष रहा। मनेंद्रगढ़ में नाराजगी थी। अब राज्य बनने के 21 साल बाद उनकी मांग पूरी हो गई है। कमरो शायद पीछे नहीं पड़े होते तो मनेंद्रगढ़ को मुख्यालय का दर्जा नहीं मिल पाता, क्योंकि चिरमिरी इसके लिए बड़ा दावेदार था। चिरमिरी में जिला चिकित्सालय खोलने की घोषणा हुई है, जिससे लोग संतुष्ट नहीं हैं। इसी तरह भरतपुर तो नए जिले के कुछ पास आ गया पर 100 किलोमीटर की दूरी अब भी बहुत ज्यादा है। यहां जिला पंचायत या जिला न्यायालय बनाने की मांग हो रही है। यदि ऐसी कोई मांग मान ली गई तो पंचायत या अदालत के कामकाज के लिए 100 किलोमीटर दौडऩा क्या चिरमिरी और मनेंद्रगढ़ को रास आएगा, यह सवाल उत्पन्न हो जाता है। बैंकुठपुर की अपनी अलग पीड़ा है। यह अब दो ब्लॉक बैकुंठपुर और सोनहत में सिमट गया है। खडग़वां को इस बात से परेशानी है कि उनके लिए पहले जिला मुख्यालय 30 किलोमीटर था, अब बढक़र 70 हो गया है। भरतपुर इलाके के ही बड़ी आबादी वाले कोटाडोल को भी अब पहले से ज्यादा दूर 140 किलोमीटर का सफर कर नए जिला मुख्यालय में जाना होगा। कुल मिलाकर जीत मनेंद्रगढ़ की हुई है। कमरो ने ही इसके लिए जोर लगाया और अपनी मांग पूरी करा ली।

किस काम की हाईवे पेट्रोलिंग...

कटघोरा अंबिकापुर हाईवे पर फिर दिल दहलाने वाला हादसा हुआ है, जिसमें एक खड़े ट्रेलर से यात्री बस टकरा गई। रायपुर के तीन कार सवार कुछ समय पहले दुर्घटना के शिकार हुए थे, जो मैनपाट के लिए निकले थे। इसके अलावा भी आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। सुबह जो दुर्घटना हुई वह ट्रेलर ब्रेक डाउन के कारण बीच सडक़ पर खड़ा था। जैसी जानकारी आई है कि रोड पर ट्रेलर के खड़े होने का कोई संकेत, रेडियम लाइट या पार्किंग लाइट काम नहीं कर रहा था।

राजमार्गों में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रदेशभर में 45 हाईवे पेट्रोलिंग गाडिय़ां लगातार भ्रमण करती हैं। पहले इनकी संख्या 30 थी पर मई में 15 और गाडिय़ां बढ़ा दी गई थी। ये गाडिय़ां हाईटेक हैं। इनमें स्पीड राडार भी लगे हुए हैं। इसके बावजूद देखा गया है कि रात में सडक़ पर बिना इंडिकेशन खड़ी गाडिय़ों को टीम नजरअंदाज करती है। यात्री बसों की रफ्तार प्राय: बेकाबू होती है। खासकर रात के वक्त। पेट्रोलिंग टीमों ने शायद ही कभी ऐसी बसों पर राडार का इस्तेमाल किया हो। दो दिन पहले ही रतनपुर के पास एक तेज रफ्तार बस और ट्रेलर में टक्कर हुई थी, जिसमें ट्रेलर पलट गया और ड्राइवर की मौत हो गई। कई बस यात्री घायल हो गए। एक पहलू यह भी है कि हाईवे पेट्रोलिंग टीम को सिर्फ 25 किलोमीटर राउण्ड करने का काम सौंपा गया है। क्या 45 गाडिय़ों से राजमार्ग की पूरी सडक़ें कवर हो पाती हैं? बीते साल छत्तीसगढ़ में 14 हजार से अधिक सडक़ दुर्घटनाएं हुईं, 1000 से ज्यादा लोग मारे गए। हाईवे पेट्रोलिंग, हाईटेक निगरानी, हेल्पलाइन नंबर, क्विक रिस्पांस जैसे दावों की सडक़ों पर धज्जियां उड़ रही हैं।

असल नाम कुछ और है...

गरियाबंद से मैनपुर जाते हुए रास्ते में इस बोर्ड को देखकर लोग चौंकते हैं, ठिठकते हैं, फिर मुस्कुराते हुए आगे बढ़ जाते हैं। अंदाजा लगाते होंगे कि गांव वालों ने क्या सोचकर जुगाड़ नाम रखा होगा। पर, इसका असली नाम जुगड़ है। यह तो लोक निर्माण विभाग की मेहरबानी है, जिसने समझ में आने वाला नामकरण कर दिया है।

शर्ट महंगी या टोपी...

राहुल गांधी की 40 हजार की टी शर्ट पर मचे बवाल को देखकर 2014 के एक दुखी वोटर ने कहा- क्यों इसे मुद्दा बना रहे हैं, समझ नहीं आता। हम तो 15-15 लाख की टोपी पहनकर आज भी नाच रहे हैं। (सोशल मीडिया से)

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