राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ :सीएम का चेहरा?
23-Sep-2022 2:43 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ :सीएम का चेहरा?

सीएम का चेहरा?

पूर्व केन्द्रीय मंत्री विष्णुदेव साय प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद से हटाए जाने से निराश जरूर हैं, लेकिन वो अलग-अलग जिलों का दौरा भी कर रहे हैं। साय विधानसभा का चुनाव लडऩा चाहते हैं। उन्होंने कुनकुरी सीट से लडऩे की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि इस सीट से पार्टी के पूर्व विधायक भी लडऩा चाहते हैं, लेकिन कुछ नेताओं का मानना है कि जिस तरह साय को पहले लोकसभा की टिकट नहीं दी गई, और फिर अध्यक्ष पद से हटाया गया, उसके बाद पार्टी उन्हें और नाराज नहीं करेगी। साय भले ही प्रदेश अध्यक्ष न हो, लेकिन आदिवासी वर्ग से  सीएम का चेहरा हो सकते हैं।  

चुप्पी समझ से परे

रायपुर शहर के बड़े नेताओं में आपसी खींचतान चल रही है। हाल यह है कि सरकारी हो, या गैर सरकारी स्थानीय नेता एक मंच पर बैठने के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं। चर्चा है कि संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने मेयर एजाज ढेबर के कार्यक्रमों में जाना बंद कर दिया है। वो एजाज के साथ मंच भी साझा नहीं करते हैं।
प्रदेश के सबसे बड़े दशहरा उत्सव में से एक डब्ल्यूआरएस कॉलोनी के रावण दहन कार्यक्रम में भी विकास आमंत्रित नहीं हैं। यहां की सारी तैयारी एजाज, और कुलदीप जुनेजा ने संभाल रखी है। वैसे तो यह इलाका रायपुर उत्तर के विधायक कुलदीप जुनेजा के विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है, लेकिन डब्ल्यूआरएस इलाके का आधा क्षेत्र पश्चिम विधानसभा में होने के कारण पश्चिम विधायक कार्यक्रम के आयोजन में अहम भूमिका निभाते रहे हैं।

राजेश मूणत तो प्रमुख आयोजनकर्ता रहे हैं। उनसे पहले तरुण चटर्जी डब्ल्यूआरएस दशहरा उत्सव के कर्ताधर्ता रहे हैं, और उनके प्रयासों से ही इस आयोजन को भव्यता मिली थी। अब जब विकास तैयारियों से अलग हैं, तो काफी बातें हो रही है। खास बात यह है कि स्थानीय बड़े नेताओं के बीच की तनातनी से पार्टी के सभी बड़े नेता वाकिफ हैं। मगर उनकी चुप्पी समझ से परे है।

कांग्रेसियों की बेतरतीब गाडिय़ां

सत्ता में रहते हुए भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं की पुलिस और प्रशासन में कितनी चलती है यह एक नहीं कई बार देखा जा चुका है। विधायक और मंत्री तक अपना दर्द सार्वजनिक करते रहे हैं। इसका एक और प्रत्यक्ष नमूना जांजगीर-जिले में कल देखने को मिला। कांग्रेस के जिले भर से आए कार्यकर्ताओं की भीतर बैठक चल रही थी। बाहर पुलिस ने सडक़ किनारे पार्क की गई गाडिय़ों को जब्त कर वाहनों में भरना शुरू कर दिया। इस सम्मेलन में पीएल पुनिया, मोहन मरकाम सहित कई बड़े नेता और जिले के तमाम पदाधिकारी मौजूद थे। पुलिस ने आव देखा न ताव कार्यकर्ताओं की गाडिय़ों को जब्त करना शुरू कर दिया। इतनी भी उदारता नहीं बरती कि उन्हें समझाइश देकर गाडिय़ां ठीक तरह से पार्क करने के लिए कह दें। बहरहाल, कुछ नेताओं को पता चला तो वे बाहर निकले। उन्होंने पुलिस से कहा, एक बार चेतावनी तो दे देते। आ गए सीधे जब्ती करने। थोड़ी बहसबाजी हो गई। आखिर पुलिस ने सत्ता का लिहाज किया। गाडिय़ों को वापस डग्गे से उतार कर रख दिया। इस नसीहत के साथ कि इन्हें ठीक तरह से पार्क करें।

भूल गए पुलिस से मिली चोट...

सन् 2018 के चुनाव में भाजपा सरकार के खिलाफ प्रदेश में माहौल बनाने में जिन घटनाओं की बड़ी भूमिका थी, उनमें बिलासपुर के कांग्रेस भवन में हुई बेहरम लाठी चार्ज भी थी। इस घटना के खिलाफ प्रदेशभर में आंदोलन हुए थे। घायल कांग्रेस कार्यकर्ताओं की तस्वीरों को चुनाव प्रचार में शामिल किया गया। सरकार की किरकिरी हुई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह अंबिकापुर दौरे पर थे। स्थिति बिगडऩे से बचाने के लिए तत्काल दंडाधिकारी जांच का निर्देश वहीं से उन्होंने दिया। तीन महीने में जांच हो जानी थी। आज तक पूरी नहीं हुई है। लाठी चलाने का आदेश देने वाले किसी पुलिस अधिकारी का बाल बांका नहीं हुआ। सब तरक्की पाते गए। सत्ता मिलने के बाद जिले के कांग्रेस कार्यकर्ताओं की प्राथमिकता में यह मुद्दा ही नहीं रहा। कांग्रेसी उस दिन को अब याद करना भी जरूरी नहीं समझ रहे हैं।

अचानकमार में चीते...

इस पोस्टर को देखकर भ्रम होता है। अचानकमार अभयारण्य में इसे वन विभाग ने जगह-जगह लगाए हैं और सोशल मीडिया पर भी वायरल किया है। लोग इसे देखकर चौंक रहे हैं कि कहीं एक दो चीता यहां तो नहीं छोड़ दिए गए हैं। लोग कह रहे हैं- बेगानी शादी में...।  


रेवन्यू विभाग की रेट लिस्ट

इस बार पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने जन्मदिन नहीं मनाया। उन्होंने धरना प्रदर्शन किया। कहा- शहर के लोग भ्रष्टाचार और विकास कार्य नहीं होने से दुखी है, वे कैसे खुशी मनाएं। धरना स्थल पर शराब की दुकान सजाई गई थी और ये रेट लिस्ट लटकाई गई थी। सोशल मीडिया पर लोगों ने प्रतिक्रिया दी है। हां, रेट बहुत बढ़ गया है। भाजपा की सरकार थी तो इतनी महंगाई नहीं थी, कुछ कम में काम हो जाता था। [email protected]

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