राजपथ - जनपथ
नेहरू जिंदाबाद पर बवाल
भाजपा के छोटे-बड़े नेता नेहरू-गांधी परिवार को कोसने का मौका नहीं छोड़ते हैं। किसी फोरम में तारीफ होती है, तो भाजपा नेता असहज हो जाते हैं। ऐसा ही एक वाक्या पिछले दिनों सरगुजा जिले के प्रतापपुर के गोविंदपुर गांव में हुआ। गोविंदपुर राजमोहिनी देवी की जन्मस्थली है।
आदिवासी राष्ट्रनायकों की याद में कार्यक्रम किए गए। इसके लिए केंद्र सरकार से फंड मिला था। राजमोहिनी देवी की याद में हुए इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह, और सरगुजा के तमाम छोटे-बड़े नेता मौजूद थे। कार्यक्रम में एक बाद एक महापुरूषों के नाम लेकर जिंदाबाद के नारे लगाए गए।
इसी बीच किसी ने पंडित जवाहरलाल नेहरू का नाम लिया, तो मंच पर मौजूद कई नेताओं के अलावा भीड़ ने भी जोरदार स्वर में जिंदाबाद के नारे लगाए। नेहरू जिंदाबाद के नारे से कुछ नेता असहज हो गए। एक पूर्व जिलाध्यक्ष ने तो नारा लगाने वाले को फटकार दिया, और यह तक कह दिया कि नेहरू जिंदाबाद के नारे लगाने वाला भाजपाई नहीं हो सकता। थोड़ी देर आपस में वाद विवाद चलता रहा। बाद में मंच पर मौजूद बड़े नेताओं के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ।
अमर पारवानी के पोस्टरों का राज
चेंबर अध्यक्ष अमर पारवानी ने अपना जन्मदिन धूमधाम से मनाया। मगर इस बार पारवानी को जन्मदिन की बधाई के पोस्टर पूरे शहरभर में लगाए गए। पारवानी ने चेंबर अध्यक्ष का चुनाव जीतकर खुद को व्यापारियों का सबसे बड़ा नेता साबित किया है। मगर इस बार के पोस्टर में कई संदेश छिपे हुए हैं। पारवानी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा किसी से छिपी नहीं है। पिछली बार उनका नाम रायपुर उत्तर से भाजपा के पैनल में था। लेकिन श्रीचंद सुंदरानी दोबारा टिकट लाने में कामयाब रहे। अब विधानसभा चुनाव में सालभर बाकी रह गए हैं। ऐसे में पारवानी की सक्रियता चर्चा में है। ये अलग बात है कि भाजपा से टिकट के दूसरे दावेदारों के समर्थकों में हलचल मची हुई है।
लौटकर आए ब्लैक बोर्ड में...
तकनीक की मदद से स्कूल शिक्षा का स्तर सुधारने की एक और कोशिश पर पानी फिर गया है। 9वीं से 12वीं तक की तिमाही परीक्षा में गुणवत्ता और एकरूपता लाने के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल ने पर्चे तैयार कराए थे, जो ठीक परीक्षा के पहले ऑनलाइन स्कूलों में वितरित किया जाना था। शनिवार को जब कुछ लोगों ने अपने जिलों के शिक्षा अधिकारियों को जानकारी दी कि पर्चे तो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे हैं, तब उन्होंने यह कहकर बेफिक्री दिखाई कि वे असली प्रश्न-पत्र नहीं है, छात्रों को गुमराह किया जा रहा है। शाम आते-आते साफ हो गया कि पर्चे असली ही थे। शिक्षा विभाग ने मान लिया है कि पर्चे वही बांटे जाने थे, जो वायरल हो रहे हैं। यह जरूर कहा गया है कि 12वीं का प्रश्न पत्र अभी तैयार नहीं हुआ है। सोशल मीडिया पर उसका भी पर्चा दिखाई दे रहा है, जो गलत है। पर्चा लीक में एक कोचिंग संस्थान का नाम सामने आ रहा है। यह अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है कि विभाग के ही किसी बाबू या अधिकारी ने उन्हें पर्चा उपलब्ध कराया होगा। पूरी बात जांच से सामने आएगी। फिलहाल तो ऑनलाइन प्रश्न-पत्र की योजना रद्द कर दी गई है।
अब पुराने पैटर्न पर परीक्षा होगी। स्कूल वाले ही प्रश्न पत्र तैयार करेंगे।
छपाई की भी जरूरत नहीं, ब्लैक बोर्ड पर प्रश्न लिखे जाएंगे और जवाब उत्तर पुस्तिका में लिखना होगा। इस पुरानी व्यवस्था में परीक्षा की गंभीरता नहीं थी, इसीलिए तो केंद्रीकृत व्यवस्था की गई थी। शुक्र है यह तिमाही परीक्षा का मामला है, यदि वार्षिक परीक्षाओं में भी ऐसा हुआ तो रैकेट से जुड़े लोगों के नाम मेरिट लिस्ट में दिखाई देते।
इलाज इंद्रावती के पार से
बीजापुर-नारायणपुर जिले के सीमावर्ती गांवों में अज्ञात बीमारी से करीब 40 लोगों की मौत की खबर कितनी मुश्किल से राजधानी तक पहुंच पाई होगी। एक दो मौतों की तो खबर ही नहीं लगती होगी। प्रभावित गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल है, इस तस्वीर से अंदाजा लगाया जा सकता है। डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कार्यकर्ता इंद्रावती नदी को पार करने के बाद वहां पहुंच पाए। क्या आम दिनों में कभी डॉक्टर या स्वास्थ्य वर्कर उनके पास पहुंचने की तकलीफ उठाते होंगे? बस्तर के विकास पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। नक्सल प्रभावित इलाकों के लिए अतिरिक्त बजट का प्रावधान भी है। मगर अफसोस, राज्य बनने के 22 साल बाद भी प्रशासन वहां नहीं पहुंच पाया है और न ही प्रशासन तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को सुलभ रास्ता बनाकर दिया जा सका है।