राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अपनी फोटो से समझें!
29-Sep-2022 2:34 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अपनी फोटो से समझें!

अपनी फोटो से समझें!

किसी महिला का सम्मान सीखना आसान नहीं होता। आदमियों के मन में अगर महिला के प्रति बुनियादी इज्जत नहीं है, तो वह किसी सरकारी प्रशिक्षण कार्यशाला में आसानी से सिखाई भी नहीं जा सकती। अभी भिलाई इस्पात संयंत्र में उत्कृष्ट काम करने की वजह से एक महिला कर्मचारी श्रीमती सीमा कंवर को कर्मशिरोमणि पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बीएसपी में ऑपरेटर-टेक्नीशियन का काम करने वाली सीमा कंवर का सम्मान करने बड़े-बड़े चार अफसर मौजूद थे। जो सम्मान कर रहे हैं, और जिसका सम्मान हो रहा है, उनकी यह तस्वीर सब कुछ बयां कर देती है कि मन-वचन और कर्म में फर्क क्या है। आमतौर पर पुलिस की प्रेस कांफ्रेंस में अफसर इस तरह बैठते हैं और मुजरिम को पीछे खड़ा कर दिया जाता है। मर्दों की ऐसी अफसरी सोच सम्मान के लायक महिला कर्मचारी का सम्मान कम कर रही है, अपमान अधिक कर रही है।

कुछ ऐसा ही हाल अधिकतर सरकारी और निजी कार्यक्रमों में होता है जहां महिला का इस्तेमाल दिया थमाने, माला का थाल पकडक़र लाने, या शॉल और नारियल की ट्रे लेकर आने के लिए किया जाता है, उसके बाद कोई मर्द उसमें से सामान उठाकर दूसरों का सम्मान करते हैं, या सरस्वती के सामने दिया जलाते हैं। प्रतिमा में कैद सरस्वती और जिंदा सरस्वती के बीच व्यवहार का यह फर्क असल में जिंदगी में कदम-कदम पर दिखता है, और बीएसपी के इन चार अफसरों को यह बात अपनी खुद की फोटो से समझ आनी चाहिए।

आत्माओं का असर

छत्तीसगढ़ में हसदेव के जंगलों की कटाई जिस अंदाज में मुंहअंधेरे उस इलाके के आदिवासी सरपंचों की गिरफ्तारी के बाद भारी पुलिस मौजूदगी में चल रही है, वह हक्का-बक्का करने वाली है। दो दिनों की ऐसी खबरों के बाद कल शाम सरकार के एक बेचेहरा प्रेसनोट में यह सफाई दी गई है कि कटाई किसी नई खदान के लिए नहीं हो रही, यह पुरानी खदान के लिए ही हो रही है। हैरानी इस बात की है कि हर कुछ दिनों में सरकार के कोई न कोई मंत्री, या खुद मुख्यमंत्री सरकार के फैसलों के बारे में मीडिया के सामने बयान देते हैं, जिनमें सवाल-जवाब का दौर भी अनिवार्य रूप से होता है। ऐसे में प्रदेश के इस सबसे जलते-सुलगते मुद्दे को लेकर कोई सामने आकर कुछ न कहे, और सिर्फ एक गुमनाम सा प्रेसनोट जारी हो जाए, यह बड़ी अजीब बात है। अगर इस प्रेसनोट का सरकार का दावा सही है कि यह कटाई किसी नई खदान के लिए नहीं हो रही है, तो फिर यह कटाई शुरू होने के 36 घंटे बाद क्यों कहा जा रहा है? और इतना बेचेहरा क्यों कहा जा रहा है? लेकिन हो सकता है कि सरकार क्रिकेट और शतरंज में व्यस्त हो। आदिवासियों की आस्था रहती है कि पेड़ों के बीच उनकी ईष्ट आत्माएं बसती हैं। अब पेड़ नहीं रहेंगे तो वे आत्माएं जाकर किन्हें परेशान करेंगी, यह तो आने वाला वक्त बताएगा। फिलहाल तो यह दिख रहा है कि जिस राजस्थान के लिए देश के सबसे घने हसदेव जंगलों को खत्म करने की तैयारी चल रही है, उस राजस्थान के मुख्यमंत्री तक तो ये आत्माएं पहुंच ही चुकी हैं, वरना और कौन सी वजह हो सकती थी कि देश का एक सबसे पुराना कांग्रेस नेता छोकरों की तरह की ओछी हरकत करते आज नजरों से गिर चुका है। आदिवासियों की आस्था का केन्द्र जो आत्माएं रहती हैं, उनकी बेदखली का पहला असर जयपुर में दिख गया है।

बहुत कठिन है डगर पर्यटन की..

किसी ने हल्के-फुल्के मूड से एक तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की है। लिखा है कि नासा ने ताजा तस्वीरें जारी की है, जिसमें मंगल ग्रह पर जीवन होने का प्रमाण मिला है। बाद में यह साफ हुआ कि यह फेक न्यूज थी, दरअसल यह अकलतरा की सडक़ है, जो गड्ढ़ों के कारण ऐसी दिख रही है।

राज्य में पर्यटन की गतिविधियों को विस्तार देने के लिए विश्व पर्यटन दिवस पर विभाग के कई फैसलों की जानकारी दी गई है। आईआरसीटीसी के साथ एक एमओयू हुआ है। ट्राइबल टूरिज्म, मेडिकल टूरिज्म, एग्रो टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा। पर्यटकों की पसंद को देखते हुए पर्यटकों के लिए शराब परोसने की व्यवस्था भी की जा रही है। प्राकृतिक वैभव, इतिहास, पुरातत्व और पौराणिक काल के अनेक धरोहर छत्तीसगढ़ में बिखरे हुए हैं। यहां की भिन्न संस्कृति, सहजता भी लोगों को आकर्षित करती है। निश्चित ही, पर्यटन के जरिये राज्य की आर्थिक गतिविधियां बढ़ाई जा सकती है जिसका फायदा युवाओं को मिलेगा, जो प्राय: ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।

पर इसी दौरान पिछले एक सप्ताह से प्रदेश की सडक़ों की हालत पर चर्चा हो रही है। मुख्यमंत्री ने शीर्ष स्तर के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कार्रवाई भी की है। हाईकोर्ट में राज्य की खराब 40 से अधिक प्रमुख सडक़ों पर सुनवाई भी हो रही है।
प्रदेश में सम्मोहित करने वाले पर्यटन स्थल तो हर छोर पर हैं। पर वहां तक पहुंचने की डगर कमोबेश हर जिले में बहुत कठिन है। मध्यप्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सडक़ों की स्थिति ठीक रखने पर काफी काम किया गया है, जबकि वहां अनेक एयरपोर्ट भी हैं। छत्तीसगढ़ में रायपुर एयरपोर्ट ही राज्य के बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए सुविधाजनक है। बिलासपुर, जगदलपुर में हवाई सेवा अभी उन्नत नहीं हुई है। रायगढ़, सरगुजा तो पूरी तरह अछूता भी है। इसलिए पर्यटन स्थल की सडक़ों की अच्छी हालत जरूरी है।

इसके अलावा पहले भी मोटल और रिसॉर्ट लीज अथवा किराये में देने की कोशिश हो चुकी है। भाजपा शासनकाल में भी हुई। लीज लेने वाली पार्टियां करोड़ों रुपये खर्च कर तैयार की गईं मोटल-रिसॉर्ट का शर्तों के मुताबिक रख-रखाव नहीं करती और कमाई कर लेने के बाद उसकी हालत खंडहर कर देती है फिर अनुबंध तोड़ देती हैं। वापस उनकी देखभाल का जिम्मा पर्यटन मंडल पर आ जाता है। कई जगह ऐसे मोटल-होटल पर ताले लगे हैं। इसी महीने की शुरूआत में पर्यटन मंडल ने सभी मोटल-रिसॉर्ट 30 साल की लंबी लीज, जो कुछ लाख रुपये में बिक्री के जैसा ही है, देने के लिए टेंडर निकाला है। क्या पिछले अनुभवों को देखते हुए अब ऐसे प्रावधान किए जाएंगे कि पर्यटकों को यहां उम्मीद से बेहतर सेवा और सुविधा मिले जिससे वे राज्य के बारे में अच्छी राय बनाकर दुबारा आने की इच्छा लेकर लौटें?  [email protected]

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