राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : वाकई इसी तरह की चर्चा हुई होगी?
22-Oct-2022 3:53 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : वाकई इसी तरह की चर्चा हुई होगी?

वाकई इसी तरह की चर्चा हुई होगी?

सरकार के मंत्री टीएस सिंहदेव, और रविन्द्र चौबे दो दिन पहले एक साथ बेमेतरा गए, तो कांग्रेसी हल्कों में खूब चर्चा हुई। सिंहदेव बेमेतरा के प्रभारी मंत्री हैं, और चौबे का विधानसभा क्षेत्र साजा इसी जिले में आता है। दोनों के साथ दौरे की खास बात यह थी कि सिंहदेव ने कार की स्टेयरिंग खुद संभाल रखी थी। बगल में चौबे जी बैठे हुए थे।
कार में दोनों ही थे। फालो-पायलेटिंग गाडिय़ां पीछे चल रही थी। ऐसे में दोनों के बीच गंभीर राजनीतिक चर्चा होने की खबर है। वैसे तो सिंहदेव, और चौबे विधानसभा में अगल-बगल ही बैठते हैं, लेकिन संबंध बहुत अच्छे नहीं रहे। चौबे सीएम खेमे के अगुवा माने जाते हैं। और जब ढाई-ढाई साल के कार्यकाल को लेकर पार्टी के भीतर अंदरूनी खींचतान चल रही थी, तो चौबेजी ने सीएम के लिए विधायकों को लामबंद करने में अहम भूमिका निभाई थी।
कई और मौकों पर चौबे के बयान से सिंहदेव असहज रहे हैं। अब विधानसभा चुनाव में साल भर से कम बाकी रह गया है, ऐसे में दोनों दिग्गजों की आपसी चर्चा को पार्टी के भीतर नकारात्मक राजनीति को खत्म करने की कोशिशों के रूप में भी देखा जा रहा है। क्या दोनों के बीच वाकई इसी तरह की चर्चा हुई होगी? इस पर फिलहाल तो कुछ कहना मुश्किल है।

सूची का इंतजार

निगम-मंडलों की सूची तो तैयार है, लेकिन यह जारी नहीं हो पा रही है। सरकार के एक मंत्री ने अनौपचारिक चर्चा में बताया कि सब कुछ फाइनल हो चुका है। प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया के चार दिनी दौरे के बस्तर दौरे के बीच चर्चा कर जारी करने की तैयारी भी थी, लेकिन पुनियाजी का आना टल गया, और सूची भी रूक गई। अब दीवाली के बाद इसे हर हाल में जारी कर दिया जाएगा। दूसरी तरफ, संवैधानिक पद पर बैठे एक प्रमुख नेता ने पद पाने की लालसा में इधर-उधर भटक रहे एक नेता को कहा बताते हैं कि सूची अगले 3-4 महीने नहीं जारी होने वाली है। इसी बीच सहकारी समितियों में नियुक्तियों के लिए लेनदेन का ऑडियो भी वायरल हुआ है। ऐसे में सूची कब जारी होगी, इसका अंदाजा लगाना कठिन हो गया है।

दिल्ली से आकर जांच...

छत्तीसगढ़ में इन दिनों दुर्ग पुलिस ने ऑनलाईन सट्टेबाजी के एक मामले में महादेव ऐप को पकडक़र कुछ छोटे-मोटे लोगों पर छोटी-मोटी कार्रवाई की है, और कई बैंक खातों से कुल मिलाकर एक-दो करोड़ की जब्ती की है, कुछ बिल्कुल ही महत्वहीन लोग गिरफ्तार किए गए हैं। इस ऑनलाईन सट्टेबाजी के महत्व को समझना हो, और उस पर होने वाली कार्रवाई की संभावना को देखना हो, तो कल शाम ईडी की पोस्ट की गई एक कार्रवाई को देखना चाहिए। पश्चिम बंगाल के कोलकाता में ईडी ने कल एक ऑनलाईन गेमिंग ऐप पर छापा मारा है, और उसे चलाने वाले रोमेन अग्रवाल नाम के एक आदमी को गिरफ्तार किया है। मोबाइल ऐप चूंकि दुनिया भर में कहीं से भी डाउनलोड किया जा सकता है, और कहीं से भी सट्टे का दांव लगाया जा सकता है, इसलिए ईडी देश भर में कहीं भी उसकी जांच कर सकती है। और दुर्ग पुलिस की अब तक की कार्रवाई बड़ी हंडी से निकले चावल के एक दाने जितनी है, इसलिए अभी इस मामले में बड़ी संभावनाएं बाकी हैं। दिल्ली से आकर महादेव ऐप की शुरुआती जांच-पड़ताल की जा रही है, और आगे-आगे देखें होता है क्या।

जितना रेट, उतना तो बजट नहीं!

पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित एक वक्त छत्तीसगढ़ के पड़ोस के नागपुर के अखबार संपादक-प्रकाशक थे, फिर वे धीरे-धीरे राजनीति में उतरे, और पिछले कुछ बरस से वे राज्यपाल हैं। उनके पारिवारिक व्यवसाय का एक अखबार छत्तीसगढ़ से भी निकलता है। उन्होंने अभी कहा कि वे पंजाब के पहले चार बरस तक तमिलनाडु में राज्यपाल रहे, और वहां पर विश्वविद्यालय के कुलपति की कुर्सी 40-50 करोड़ में बिकती थी। इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी कहा कि गवर्नर रहते हुए उन्होंने 27 कुलपति नियुक्त किए। उन्होंने यह बात पंजाब के संदर्भ में कही, और कहा कि यहां की सरकार को उनके अनुभव से सीखना चाहिए।
अब ट्विटर पर तो किसी खबर को लिखने के लिए गिने-चुने शब्दों की ही लंबाई रहती है। इसलिए दो ट्वीट में बंटे हुए इस समाचार को पढक़र बड़ा धोखा होता है। राज्यपाल ने यह साफ नहीं किया कि तमिलनाडु में कुलपति की एक-एक कुर्सी के लिए 40-50 करोड़ किसे मिलते थे, और साथ-साथ उन्होंने यह जिक्र जरूर किया कि उन्होंने 27 कुलपति नियुक्त किए। अब इन दो बातों को मिलाकर बड़ा गलत किस्म का मतलब निकलता है, और आज सुबह छत्तीसगढ़ के एक कुलपति ने फोन पर कहा कि 40-50 करोड़ तो उनके विश्वविद्यालय का सालाना बजट ही नहीं है, तमिलनाडु में यूनिवर्सिटी का बजट ज्यादा रहता होगा।

छत्तीसगढ़ में फूलों की खेती

छत्तीसगढ़ में फूलों का आयात कोलकाता और पश्चिम बंगाल के कुछ अन्य शहरों से होता है। त्यौहारों में गेंदे की बड़ी डिमांड होती है, जिसकी आपूर्ति वहीं से होती है। इन दिनों इसकी कीमत भी बढक़र दो- ढाई सौ रुपये किलो हो जाती है। पर अब छत्तीसगढ़ में भी तस्वीर बदल रही है। रायपुर, दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव के बाजार में छत्तीसगढ़ के फूलों की भी अच्छी आवक है। ये फूल दुर्ग जिले के नगपुरा तथा बालोद के कुछ स्थानों से हैं। स्थानीय व्यापारी इसे 60-70 रुपये में खरीद रहे हैं और बाजार में 100-120 रुपये किलो तक बेच लेते हैं। फायदा धान से कई गुना ज्यादा है। किसान 10-12 करोड़ रुपये तक के फूल एक साल में बेच लेते हैं।

चुनाव के पहले घर वापसी

भाजपा ने चुनावी तैयारियों की अगली कड़ी में निलंबित और निष्कासित नेताओं को पार्टी में वापस लेने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। भिलाई, मनेंद्रगढ़, महासमुंद और रायगढ़ के कुछ नेता वापस आ चुके हैं। हालांकि खैरागढ़ उप-चुनाव में पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार करने वाली लोकेश्वरी जंघेल और कुछ अन्य नेता अभी वापस नहीं लिए गए हैं। खैरागढ़ उप-चुनाव अभी-अभी हुआ है। मुमकिन है विधानसभा चुनाव के पहले उनकी वापसी हो जाए। वैसे खबर तो तब बनेगी जब दूसरे दलों के लोग भाजपा ज्वाइन करें।

अपनी बला टालने के लिए

छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक में खेल के दौरान दो खिलाडिय़ों की मौत हो गई। एक घटना घरघोड़ा की है, दूसरी कोंडागांव की। दोनों ही मामलों में यह बात सामने आई कि एंबुलेंस नहीं मिलने की वजह से उन्हें घायल होने के बाद अस्पताल पहुंचाने में देर हुई। घरघोड़ा के मामले में तो खराब सडक़ को भी कारण बताया गया है। अब खेल के दौरान सुरक्षा के इंतजाम दुरुस्त रखने के बजाय अधिकारी खिलाडिय़ों से एक फॉर्म भरवा रहे हैं, जिसमें उन्हें घोषणा करनी है कि वे किसी हादसे के लिए खुद जिम्मेदार होंगे।

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