राजपथ - जनपथ
पिता कांग्रेस और बेटा भाजपा में
चुनावी साल में जाने से पहले सूबे की कांग्रेस सरकार की कल जारी राजनीतिक पदों की नियुक्ति में राज्य अनुसूचित जाति आयोग में सदस्य बनाए गए बीएस जागृत के मनोनयन से बखेड़ा खड़ा हो गया है। कांग्रेस के भीतर उनकी नियुक्ति पर इस बात को लेकर रार छिड़ गया है कि उनका बेटा सौैरभ जागृत भाजपा में राष्ट्रीय और राज्य अनुसूचित जाति मोर्चा में ओहदेदार हैं। बताते हैं कि जागृत का सुपुत्र भाजपा के राष्ट्रीय अजा मोर्चा का कार्यकारिणी सदस्य है। साथ ही राज्य भाजपा के अजा मोर्चा में मीडिया सेल का प्रभारी है। जागृत कुछ साल पहले डीएसपी से रिटायर होकर बौद्ध समाज के बैनर तले अपनी सक्रियता बढ़ा रहे थे। वह कांग्रेस सरकार के नजदीकी नेताओं के जरिये पद पानेे जोर लगा रहे थे। सुनते हैं कि जागृत का पूर्ववर्ती भाजपा सरकार से भी करीबी संबंध रहा है। जागृत को अहम पद देने से पहले सरकार के रणनीतिकारों को उनके बेटे के भाजपा से जुड़े होने की जानकारी नहीं हो, इस बात को कांग्रेस के अंदर पचा पाना मुश्किल हो रहा है। पार्टी के निचले स्तर के कार्यकर्ताओं में कानाफूसी हो रही हैै कि रसूख के दम पर पद-प्रतिष्ठा देने में सरकार आगे रही है। चर्चा है कि जागृत के बेटे के भाजपा में होनेे के कारण राष्ट्रीय और राज्य के नेताओं का उनके घर आना-जाना रहता है। मीडिया सेल प्रभारी रहते सौरभ का कांग्रेस सरकार की खिलाफत करना लाजमी है। वहीं पिता को कांग्रेस सरकार में संवैधानिक पद से नवाजे जाने को पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं का हक छीनने से जोडक़र देखा जा रहा है। जागृत की कांग्रेस के भीतर बहुत ज्यादा सक्रियता नहीं रही है। उन्होंने सिर्फ पद पाने के लिए सामाजिक बैनर का बखूबी इस्तेमाल किया। पुत्र को भाजपा में जोड़े रखकर उन्होंने एक तीर से दो निशाने साध लिए।
बड़ा ताकतवर जिला है !
बलौदाबाजार-भाटापारा जैसे छोटे जिले के राजनीतिक महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां के आधा दर्जन से अधिक नेताओं को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला हुआ है। जिले में दो विधायक शकुंतला साहू, और चंद्रदेव राय हैं। दोनों ही संसदीय सचिव हैं। इससे परे बलौदाबाजार सीट से विधानसभा टिकट के दावेदार शैलेश नितिन त्रिवेदी, सुरेन्द्र शर्मा, और अब विद्याभूषण शुक्ला निगम के चेयरमैन बन गए हैं।
यही नहीं, कसडोल से टिकट के दावेदार रहे महंत रामसुंदर दास को गौ-सेवा आयोग का चेयरमैन बनाया गया है। बलौदाबाजार के ही लोकेश कन्नौजे को रजक कल्याण बोर्ड के चेयरमैन का दायित्व सौंपा गया है। चेयरमैन को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल जाता है। ऐसे में कन्नौजे को भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलना तय है। जिले के कई और नेताओं को अलग-अलग निगम-मंडलों में जगह मिली है। इनमें नीलेश बंजारे अंत्यावसायी निगम, रोहित साहू को तेलघानी बोर्ड का सदस्य बनाया गया है। एक-दो और नेताओं को छोटे-बड़े निगम में जगह मिली है। कुल मिलाकर रायपुर, और दुर्ग के बाद बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में सबसे ज्यादा लालबत्ती धारी नेता हैं।
बागी तेवर हटाये गए
कई निगम-मंडल में बदलाव ही हुए हैं। मसलन, युवा आयोग के सदस्य अजय सिंह को हटाकर बीजापुर के ही प्रवीण डोंगरे को जगह दी गई है। अजय के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई थी। ऐसे में उन्हें हटाया जाना ही था। इसी तरह दिवंगत कांग्रेस दिग्गज महेन्द्र कर्मा के बेटे छबिन्द्र कर्मा की जगह गुरू खुशवंत गोसाई को औषधि पादप बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया। छबिन्द्र के तेवर बागी रहे हैं।
वो दंतेवाड़ा उपचुनाव लडऩा चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उनकी मां देवती कर्मा को प्रत्याशी बना दिया। इससे छबिन्द्र नाराज थे। बाद में पार्टी के बड़े नेताओं की समझाइश पर उन्होंने अपनी दावेदारी वापस ले ली थी। चर्चा है कि उन्हें भरोसा दिलाया गया था कि कोई अहम दायित्व सौंपा जाएगा, और जब औषधि पादप बोर्ड का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया, तो उससे वो संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने पद छोड़ दिया। अब उनकी जगह नई नियुक्ति की गई।
भिलाई की महिला नेत्री तुलसी साहू को महिला आयोग के सदस्य पद से मुक्त कर बस्तर की बालो बघेल को उनकी जगह सदस्य बनाया गया है। तुलसी ने सदस्य पद पर अपनी नियुक्ति से खफा थीं, और वो आयोग के कामकाज से दूर रहीं। यही वजह है कि उन्हें पदमुक्त किया गया।
घर बुलाकर सम्मान
सिंधी समाज के एक दर्जन नेताओं को निगम-मंडल में जगह मिली, तो समाज के नेताओं का खुश होना स्वाभाविक था। खुशी मनाने वालों में भाजपा नेता श्रीचंद सुंदरानी भी थे। जिन्हें कुछ दिन पहले उनकी पार्टी के जिलाध्यक्ष पद से हटाया गया। सुंदरानी ने सिंधी अकादमी के नवनियुक्त चेयरमैन राम गिडलानी को अपने घर बुलाकर सम्मान किया।
गिडलानी को सिंधी पंचायत का उपाध्यक्ष बताया, जिसके अध्यक्ष खुद सुंदरानी हैं। ये अलग बात है कि गिडलानी सिंधी काउंसिल के महामंत्री हैं, और उन्होंने समाज सेवा का मौका देने के लिए काउंसिल का आभार माना। चुनाव नजदीक हैं, ऐसे में सुंदरानी के कांग्रेस नेता का सम्मान करने को पार्टी पर दबाव बनाने की कोशिशों के रूप में भी देखा जा रहा है।
स्टीयरिंग कमेटी की सूची
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने पदभार संभालने के तुरंत बाद 47 सदस्यीय स्टीयरिंग कमेटी की सूची जारी की। इसमें छत्तीसगढ़ से किसी का नाम नहीं होना चर्चा का विषय बन गया। कहा जाने लगा कि कुछ नाम तो हैं, जो शामिल होने लायक थे। पर जानकार कह रहे हैं कि यह एक रणनीतिक फैसला था। प्रदेश में ढाई-ढाई साल के सीएम का विवाद खत्म न भी हुआ हो तो अभी कम से कम कुछ दब सा गया है। फिर अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी में बचे ही कितने दिन हैं? ऐसे में कोई भी नई नियुक्ति ताकत की एक नई धुरी बन जाएगी। इसलिए यहां से प्रतिनिधित्व टाल दिया गया। प्रदेश में भले ही छत्तीसगढ़ से प्रतिनिधित्व न होने की चिंता की जा रही हो पर राष्ट्रीय स्तर पर यह कोई मुद्दा नहीं है। स्टीयरिंग कमेटी में शशि थरूर, डीके शिवकुमार और मुकुल वासनिक जैसे नामों के गायब होने पर लोग ज्यादा बात कर रहे हैं।
भांजे एलन मस्क को बधाई..
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर को एलन मस्क ने खरीदना भारत में चर्चा का विषय बना हुआ है। उसके एक बयान की तारीफ हो रही है जिसमें उन्होंने कहा कि चिडिय़ा अब आजाद हुई। समझदार यूजर उनकी इस बात के अमल में आने का इंतजार कर रहे हैं। पर छत्तीसगढ़ में अति उत्साही लोगों की कमी नहीं है। सोशल मीडिया पर दीवार पर लिखा जा रहा एक स्लोगन वायरल हो रहा है जिसमें एलन मस्क को छत्तीसगढ़ का भांजा बताते हुए बधाई दी गई है। यह ठीक है कि दूरदराज के गांवों में यहां तक कि मिट्टी के घरों में रहने वालों तक भी ट्विटर पहुंच गया है पर किस लिहाज से वे भांजा हो गए? दरअसल, किसी दूसरे गांव से आए अपने से छोटी उम्र के लोगों को यहां प्रेम से भांजा कह दिया जाता है।