राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भ्रष्ट, और मीडिया, दोनों की साख...
31-Oct-2022 4:28 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भ्रष्ट, और मीडिया, दोनों की साख...

भ्रष्ट, और मीडिया, दोनों की साख...

जिस वक्त कोई सरकारी जांच एजेंसी समय पर जानकारी जारी न करती हो, वहां पर अफवाहों को एक उपजाऊ खेत मिल जाता है। छत्तीसगढ़ में ईडी की कार्रवाई के इस मौजूदा दौर में अब तक ईडी ने कुल एक प्रेसनोट जारी किया है, इसके अलावा अदालत में एक या दो कागज लगाए हैं, लेकिन अफवाहों का बाजार इतना गर्म है कि लोगों को सनसनीखेज ‘खबरों’ की कमी नहीं रह गई है। और जिस तरह कोई कुटीर उद्योग चलते हैं, लोग घर पर बैठकर धागा बुनते हैं, पत्तल बनाते हैं, मसाला कूटते हैं, उसी तरह अब लोग खबरें गढ़ते हैं। और जिसकी खबर में झूठ का ताना-बाना जितना अधिक होता है, उतनी ही उस खबर की मांग बढ़ जाती है, क्योंकि सच कभी भी सनसनी में झूठ का मुकाबला नहीं कर सकता।

जिन लोगों से ईडी ने जितनी बार पूछताछ की है, उससे कई गुना अधिक बार की खबरें छपी हैं, पोस्ट होने वाली खबरों का कोई भरोसा करता होता तो अब तक दर्जनों गिरफ्तारियां हो जानी चाहिए थीं। लेकिन जितनी बड़ी-बड़ी रकम खबरों में आती है, उनकी वजह से चर्चा में आ रहे नामों से लोगों की हमदर्दी जाग ही नहीं पाती। जिनको मालूम भी है कि कई लोगों के बारे में खबरें झूठी चल रही हैं, वे भी यह मानकर चल रहे हैं कि वे कौन से दूध के धुले हुए लोग हैं जिनके बारे में सच लिखना जरूरी हो। कुल मिलाकर लोगों के पूर्वाग्रह, लोगों की बदनीयत, और लोगों की नफरत से झूठी खबरों को बढ़ावा मिल रहा है, और इनके खत्म होने का एक ही जरिया हो सकता था कि जांच एजेंसियां हर दिन कोई समाचार जारी करतीं, लेकिन उनके अपने काम में समाचार का कोई महत्व नहीं है। यह दौर है जिसमें मीडिया का कोई हिस्सा अपनी साख बचा भी सकता है, और कोई हिस्सा अपना कोई पुराना हिसाब चुकता करने के लिए अपनी साख को दांव पर लगा भी चुका है।

दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना...।

जिन लोगों को यह लगता होगा कि देश की सबसे ताकतवर जांच एजेंसी ईडी के नाम पर हर किसी को दहशत होती होगी, उन्हें रायपुर जेल के बाहर का एक वीडियो देखना चाहिए जिसमें गिरफ्तार कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल को छोडऩे उनके पहचान के बहुत से लोग आए दिख रहे हैं। तमाम लोग हॅंस रहे हैं, अधिकतर लोग संपन्न और अतिवजनी कारोबारी दिख रहे हैं। ऐसी भीड़ के बीच से सुनील अग्रवाल आईएएस अफसर समीर विश्नोई के कंधे पर हाथ रखकर उन्हें हॅंसाने की कोशिश करते हुए जेल के गेट की तरफ बढ़ रहे हैं। कैमरों के पीछे से मीडिया के लोगों की आवाजें आ रही हैं कि सुनील जी एक बार मुस्कुरा दीजिए, काफी खुश नजर आ रहे हैं। शायद ऐसी ही हालत के लिए किसी ने लिखा था, दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना...।

दफ्तरों में साफ-सफाई के मापदंड

स्वच्छता अभियान चलाना हो तो घर दफ्तर, गली में फैले कचरे की सफाई ही एक काम नहीं है। रुकी हुई फाइलों का निपटारा भी एक काम हो सकता है। सार्वजनिक उपक्रम एसईसीएल ने इस बार ऐसा ही किया है। प्रधानमंत्री ने 2 अक्टूबर को महीने, 15 दिन तक स्वच्छता अभियान चलाने की अपील लोगों से की थी। एसईसीएल ने अपने कॉलरीज के 45 स्थानों पर करीब 18 लाख 21 हजार वर्गफीट का कचरा हटाकर करीब 6 करोड़ रुपये का हजारों टन स्क्रैप बेच दिया। पर इससे भी अलग हटकर काम किया उसने आम लोगों की लंबित शिकायतों और फाइलों के निपटारे का। शिकायतें संख्या के हिसाब से कम, केवल 106 थीं, पर स्वच्छता अभियान के साथ इसे जोडऩा एक अलग बात हो गई। केंद्र व राज्य सरकार के दफ्तरों में वर्षों से शिकायतें लंबित रहती हैं। सफाई की बात आती है तो दराज़ और फाइलों को झाडक़र फिर उसी तरह फीते से लपेटकर रख दिया जाता है। कभी निपटारे के नाम पर यह भी होता है कि अर्जी एक विभाग से दूसरे विभाग में घूमती रहती है। छत्तीसगढ़ सरकार के जन शिकायत विभाग के पोर्टल में दर्ज आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में अब तक 16 हजार 562 शिकायतें मिली हैं, पर एक दूसरे ग्राफ में बताया गया है कि लंबित शिकायतों की संख्या 33 हजार 976 है। यानि 17414 शिकायतें ऐसी हैं जो 10 माह से ज्यादा पुरानी हैं। [email protected]

 

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