राजपथ - जनपथ
यह नफरत है या नहीं?
सुप्रीम कोर्ट ने अभी तमाम सरकारों को यह चेतावनी दी है कि अगर उनके इलाकों में नफरत फैलाई जाती है, और उन जगहों के अफसर खुद होकर जुर्म दर्ज नहीं करते हैं, कार्रवाई नहीं करते हैं, तो इसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना माना जाएगा। लेकिन देश मेें नफरत फैलाने का काम इतना जोर पकड़ चुका है कि सुप्रीम कोर्ट की किसी को कोई परवाह नहीं रह गई है। अभी छत्तीसगढ़ में एक हिन्दूवादी वेबसाईट ने एक एप लांच किया है, और हिन्दुओं को उससे जुडऩे का न्यौता दिया है। इसने अभी यह आरोप पोस्ट किया है कि छत्तीसगढ़ के हर जिले, ब्लॉक, और जनपद में भूपेश सरकार जमीन अधिग्रहण करके रोहिंग्या मुसलमानों, और बांग्लादेश, पाकिस्तान के लोगों को आबंटित कर रही है। इस पोस्ट में हिन्दुओं को जगाते हुए लिखा गया है- हिन्दू तुम सोए रहो कांग्रेस तो देश बेच रही है मुस्लिमों के हाथों। अब यह राज्य सरकार को सोचना है कि उस पर लगा यह आरोप सच है, या ऐसी पोस्ट पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू होता है?
गलतियों का रिकॉर्ड
अभी आरएसएस से जुड़े दिखते एक संगठन, जम्मू-कश्मीर फोरम ने बिलासपुर में एक आयोजन किया तो कार्ड पर मुख्य अतिथि के रूप में बिलासपुर हाईकोर्ट के एक जज, कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय का कुलपति बताते हुए डॉ. मानसिंह परमार, विशेष पुलिस महानिदेशक दुर्गेश महादेव अवस्थी सहित कुछ और नाम भी छपे। लेकिन हाईकोर्ट के वेबसाईट के मुताबिक जस्टिस चन्द्रभूषण बाजपेयी वहां जज नहीं हैं, वे 2017 में रिटायर हो चुके हैं। मानसिंह परमार कुशाभाऊ ठाकरे विवि के कुलपति नहीं हैं, यहां पर संघ परिवार से जुड़े हुए बलदेव भाई शर्मा कुलपति हैं। और राज्य के एक डीजीपी डी.एम.अवस्थी को स्पेशल डीजीपी भी गलत लिखा गया है, और उनका नाम दुर्गेश माधव अवस्थी है, जिसे दुर्गेश महादेव अवस्थी लिखा गया है। एक कार्ड में गलतियों का यह एक रिकॉर्ड दिख रहा है।
राज्य के लिए संघर्ष का साक्षी गुमनामी में
छत्तीसगढ़ राज्य का सपना स्व. पं. सुंदरलाल शर्मा और उनके समकालीन विभूतियों ने करीब 100 साल पहले देखा था। सन् 1965 में रायपुर में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रांतीय अधिवेशन में स्व. जीवनलाल साव की ओर रखा गया छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण का प्रस्ताव पारित हुआ। राज्य निर्माण की मांग को लेकर 28 जून 1969 को मध्यप्रदेश विधानसभा में पर्चा फेंककर सनसनी फैलाई गई थी। इस प्रदर्शन में रामाधार कश्यप, परसराम यदु के साथ मल्लू राम साहू को गिरफ्तार किया गया था। इनमें मल्लूराम साव अब भी हमारे बीच जीवन के अंतिम पड़ाव में हैं। सहायक प्राध्यापक घनाराम साहू बताते हैं कि उन्होंने मोतीलाल साहू और कुछ अन्य मित्रों के साथ पिछले साल एक नवंबर को उनके घर लवन (बलौदाबाजार) जाकर उनका अभिनंदन किया था। इस बार भी साहू समाज ने उनका सम्मान उनके घर जाकर कल किया। एक नवंबर से फिर एक बार राज्य के निर्माण का उत्सव मनाया जा रहा है। अनेक पुरस्कार इस मौके पर दिए जाएंगे, कई लोगों को सम्मानित किया जाएगा, पर इनमें मल्लूराम साहू शामिल नहीं होंगे। प्रशासन ने अभिनंदन, सम्मान, पुरस्कार की सूची बनाते समय उन्हें याद ही कभी नहीं किया।
राज्योत्सव का बॉयकाट
सोशल मीडिया पर बॉयकाट आदिवासी नृत्य महोत्सव हैशटैग ट्रेंड कर रहा है। ट्विटर पर ट्रेंड हो रही पोस्ट में सन् 2012 के बाद लागू 32 प्रतिशत आरक्षण फिर से बहाल करने की मांग हो रही है। वैसे बीते वर्षों में भी बस्तर में हिंसा के सवाल पर आदिवासी नृत्य महोत्सव का बहिष्कार करने का आह्वान किया गया था। पर आरक्षण का मसला ताजा होने और अगले साल होने जा रहे चुनाव के चलते इस बार विरोध कुछ अधिक दिखाई दे रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम और पूर्व सांसद सोहन पोटाई के नेतृत्व वाले छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज पहले ही प्रेस नोट जारी कर 1 से 3 नवंबर तक होने वाले इस समारोह के बहिष्कार की घोषणा कर चुका है। उन्होंने विधायक, सांसद और मंत्रियों के निवास पर नगाड़ा बजाने का ऐलान किया है। 15 नवंबर से बड़ा आंदोलन करने की तैयारी भी हो रही है, जिसमें रेल रोको, आर्थिक नाकाबंदी आदि की चेतावनी दी गई है। इसके बाद आरक्षण नहीं तो वोट नहीं का कैंपेन भी चलाया जाएगा। वैसे छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के अलावा समाज का एक अलग बड़ा संगठन भारत सिंह की अध्यक्षता में भी है।
पीएम की तस्वीर ठगी में...
दीपावली पर ठगों की तरफ से भी ऑफर निकला। अनेक वाट्सएप नंबर पर ये संदेश ऑडियो के साथ आया। केबीसी के महाप्रबंधक का बताते हुए एक फोन नंबर देकर वाट्सएप कॉल करने कहा गया। 25 लाख रुपये की लॉटरी लगने का झांसा दिया गया है। ज्यादातर लोग इस तरह के फ्रॉड को समझ जाते हैं, पर हजारों लोगों को चारा डालने में एक दो भी फंस गए तो जालसाज का काम तो बन ही जाएगा। बड़ी बात यह है कि इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर का भी इस्तेमाल किया गया है।