राजपथ - जनपथ
तबादले से अधिक रद्द करने का खर्च
तबादले की अवधि खत्म होने के बाद भी संशोधन, और निरस्तीकरण का खेल चल रहा है। कई रोचक प्रसंग भी सुनने को मिल रहे हैं। हुआ यूं कि निर्माण विभाग के एक सब इंजीनियर ने मलाईदार प्रोजेक्ट में काम करने के लिए जुगाड़ बनाया है, और एक नेता के माध्यम से विभाग के प्रशासन पर दबाव भी बनाया। इससे अफसर नाखुश हो गए, और सब इंजीनियर का नाम तबादला सूची में डलवा दिया।
तबादले की सूची जारी हुई, तो सब इंजीनियर के होश उड़ गए। उसकी पोस्टिंग दूरस्थ आदिवासी इलाके में कर दी गई थी। इसके बाद सब इंजीनियर ने ट्रांसफर निरस्त कराने के लिए प्रभावशाली लोगों से संपर्क किया, तो उससे इतनी बड़ी डिमांड की गई कि इसकी प्रतिपूर्ति के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। मलाईदार प्रोजेक्ट की चाह में फंसा सब इंजीनियर फिलहाल तो मोलतोल में ही लगा है।
तौल मशीन का कमीशन, परेशान सप्लायर
प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रों में तौल मशीन की सप्लाई को लेकर काफी कुछ सुनने को मिल रहा है। हल्ला यह है कि सप्लायरों से 30 फीसदी कमीशन एडवांस में देने के लिए कह दिया गया है। कई सप्लायर असमंजस में है। वजह यह है कि प्रदेश में ईडी-आईटी की धमक बढ़ी है। छोटे मोटे कार्यों पर भी पैनी नजर है। केन्द्र की एजेंसियां पहले इतनी बारीक निगाह नहीं रखती थी। यदि किसी तरह शिकवा शिकायतें हुई, तो एडवांस डुबने का भी जोखिम है। ऐसे में सप्लायर फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रहे हैं।
मंजू ममता यूनिवर्सिटी
किसी को गलत सूचना देने क्या भरपाई होती है यह कोई मंजू ममता की चौपाल में बैठने वालों से पूछे। इस चौपाल के एक व्हाइट कॉलर लाइजनर से भला और कौन जान समझ सकता है। इन्होंने अपने कुछ साथियों को यह वाकया शेयर किया। गलत सूचना पर प्रशासन और पुलिस अफसरों से जमकर अपशब्द सुने। अब यह किस्सा मंजू ममता यूनिवर्सिटी से तेजी से वायरल हो रही है। इस ग्रुप के जानकारों का कहना है कि 2-3 दिन में सारा मामला खुल जाएगा।
भानुप्रतापपुर का भी भाग्य चमकेगा?
2018 के बाद प्रदेश में हुए चारों विधानसभा उप-चुनावों में से सिर्फ चित्रकोट सीट कांग्रेस के पास पहले थी, दंतेवाड़ा सीट उसने भाजपा से तथा मरवाही और खैरागढ़ सीट जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से छीनी। अब एक साल के बचे कार्यकाल के लिए भानुप्रतापपुर में उप-चुनाव हो रहा है। विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी के आकस्मिक निधन से रिक्त हुई सीट पर प्रत्याशी ढूंढने प्रदेश कांग्रेस के नेता भानुप्रतापपुर दौरे पर जरूर हैं, पर सूचना यही है कि दिवंगत विधायक की लेक्चचर पत्नी सावित्री मंडावी को टिकट मिल रही है और अब तो उन्होंने अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया है।
2018 में मंडावी ने भाजपा उम्मीदवार देवलाल दुग्गा को 26 हजार 600 मतों के भारी अंतर से हराया था। इस बार सहानुभूति का मामला ताजा भी है। उप-चुनावों के नतीजे प्राय: सरकार के पक्ष में झुके हुए मिल जाते हैं। इसी साल हुए खैरागढ़ उप-चुनाव में तमाम मजबूत परिस्थितियों के बाद भी कांग्रेस ने इसे जिला बनाने का वादा कर दिया। इसे भाजपा और जकांछ ने सौदेबाजी जरूर करार दिया, पर उनकी जीत की संभावना खत्म हो गई। अब भानुप्रतापपुर उप-चुनाव जिसे एक बार फिर 2023 के आम चुनाव का रिहर्सल कहा जा रहा है, में उठती आई जिला बनाने की मांग का क्या होगा यह देखना होगा। स्व. मंडावी भानुप्रतापपुर को जिला बनाने के समर्थन में रहे। सीएम से उन्होंने प्रतिनिधिमंडलों की कई बार मुलाकात कराई। यह कहना गलत नहीं होगा कि कुछ नवगठित जिलों से ज्यादा लंबे समय से यहां जिले की मांग हो रही है। लोग बीते 12 सालों से आंदोलन पर हैं। कई बार चक्काजाम, रैली और धरना-प्रदर्शन कर चुके हैं। भानुप्रतापपुर के लोगों को अब उम्मीद हो चली है कि खैरागढ़ की तरह उनको भी जिला मिल जाएगा। इस मामले में यदि कांग्रेस खामोश रही तो भाजपा कह सकती है, इस बार हमें वोट दो। सरकार आने पर हम बनाएंगे। मतदाताओं ने भाजपा की बात पर भरोसा कर लिया तो? वैसे भी भानुप्रतापपुर किसी एक दल का गढ़ नहीं रहा है। मतदाता बीते चुनावों में कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस को चुनते आए हैं।
धान फसल पंजाब पर भी भारी
छत्तीसगढ़ में भी पंजाब की तरह ही पराली का निष्पादन बड़ी समस्या बन रही है। हरियाणा-पंजाब से धान की कटाई और मिंसाई के लिए बीते कुछ साल से बड़े-बड़े हार्वेस्टर गाडिय़ां आने लगी हैं। कटाई के लिए मजदूर नहीं मिलने और जल्दी काम होने के चलते इसकी मांग बड़े-मध्यम ही नहीं. छोटे किसानों में भी बढ़ गई है। छत्तीसगढ़ के किसान पहले पराली को हाथ में हंसिया लेकर जड़ के पास से काटते थे, तब यह समस्या नहीं थी। पर हार्वेस्टर करीब एक फीट ऊंचाई से बड़ी तेजी से फसल काटता है, मिसाई भी हो जाती है। भैंस-बैल की जगह ट्रैक्टर और दूसरी मशीनों से खेती हो रही है, इसलिये पराली वे भी खेतों में जला रहे हैं। एनजीटी ने पूरे देश के लिए खेतों में पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाया है, इस पर 15 हजार रुपये तक का जुर्माना भी है। बीते दो साल से छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को गौठानों के लिए पैरा दान करने की अपील कर रही है, पर कोई असर नहीं हो रहा है। पंजाब में जब तक आम आदमी पार्टी सरकार नहीं थी, दिल्ली सरकार उसे प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराती थी। अब पंजाब के सीएम ने कहा है कि हम धान उत्पादन घटाकर दूसरी फसलों को लेने का अभियान चलाएंगे, क्योंकि इसी को जलाने से प्रदूषण ज्यादा फैलता है। धान-चावल का देश में संकट भी नहीं है कि इसे ज्यादा उगाया जाए।
अब देखना होगा कि पंजाब सरकार को इस कोशिश का क्या नतीजा निकलेगा, पर छत्तीसगढ़ में तो तमाम प्रयोगों के बाद हर बार धान बोने का रकबा बढ़ता जा रहा है और खरीदने का रिकार्ड भी। पिछले कई सालों से धान की जगह दूसरी फसल लेने के लिए दिए जा रहे तमाम नगद प्रोत्साहन और उन फसलों का समर्थन मूल्य तय करने के बावजूद। हार्वेस्टर के आने के बाद तो धान खेत से सीधे सोसाइटियों में भेजने की सुविधा हो गई है, घर लाने की जरूरत भी नहीं।
धंधे में बेईमानी नहीं....
ग्राहकों का ध्यान खींचने के लिए दुकान ठेलों के आकर्षक नाम रखने का चलन है। मुखशुद्धि केंद्र नाम से पान-गुटखा की दुकानें हर शहर में मिल जाएगी। रायपुर में एक पान दुकान का नाम है- प्रेमिका पान सेंटर। इंटरनेट पर एक फोटो काफी वायरल हुई थी, लिखा था- पागल पान भंडार। मोदी टी स्टॉल नाम भी जगह-जगह देख सकते हैं। अब इस टपरी वाले को ही देखिये, नीयत कितनी नेक है- गुटखा की अपनी दुकान का नाम रखा है- द कैंसर हब। दुकानदार को पूरा भरोसा है कि ग्राहक इतना बुरा नाम रखने के बाद भी नहीं टूटेंगे।