राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : ऐसों पर भी कुछ लोग फिदा हैं!
12-Nov-2022 4:52 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : ऐसों पर भी कुछ लोग फिदा हैं!

ऐसों पर भी कुछ लोग फिदा हैं!
सही और गलत की लोगों की समझ बड़ी अटपटी रहती है। कुछ लोग हिटलर की बनाई हुई पेंटिंग्स देखकर उसे एक अच्छा कलाकार मानते थे। कई लोग किसी बलात्कारी के व्यक्तित्व के किसी पहलू से प्रभावित होते हैं। राजनीति में कई ऐसे नेता रहते हैं जो लूटपाट की हद तक कमाते हैं, लेकिन चूंकि वे उसका एक हिस्सा लोगों में बांटते हैं, इसलिए बहुत से लोग ऐसे नेताओं को पसंद करते हैं कि वे लोगों की मदद तो करते हैं। 
ऐसे ही लोगों में से एक ने कल रायपुर की अदालत के गलियारे में सुरक्षा घेरे में ले जाए जा रहे गिरफ्तार सूर्यकांत तिवारी के हुलिए, फैशन, और चेहरे-मोहरे को देखकर कहा- बड़ा ही हैंडसम है! 

यह अकेला मामला नहीं है जिसमें किसी मुलजिम या मुजरिम को लोग आकर्षक पाएं। पुराने लोगों को याद होगा कि रायपुर का एक कुख्यात छात्र नेता बालकृष्ण अग्रवाल एक समय अपने परिचित परिवार की एक कमउम्र लडक़ी को भगा ले गया था, और बाद में गिरफ्तारी के बाद जब उस लडक़ी को भी पुलिस या अदालत के सामने पेश किया गया, तो उसने बालकृष्ण अग्रवाल के बारे में एक चौंकाने वाली बात बताई थी। एक रिपोर्टर के सवाल के जवाब में उसने कहा था- मैं बालकृष्ण अग्रवाल की डैशिंग पर्सनेलिटी से प्रभावित थी। 

जिस तरह बालकृष्ण अग्रवाल ढेरों जुर्म में फंसा हुआ था, उसके बाद भी उस लडक़ी को बालकृष्ण अग्रवाल की पर्सनैलिटी इतनी डैशिंग लग रही थी कि वह उसके साथ घर छोडक़र भाग गई थी, तो वैसी सोच वाले लोग हर दौर में हर कहीं रहते ही हैं। 

छत्तीसगढ़ के दुर्ग में ही हिटलर के नाम पर एक कपड़ा दुकान खुली है, और कुछ लोगों ने जब इसके मालिक को यह याद दिलाने की कोशिश की हिटलर दसियों लाख लोगों का हत्यारा था, तो भी वह दुकानदार उसी नाम पर अड़े रहा। दुनिया के इतिहास का सबसे बड़ा हत्यारा अगर एक दुकानदार का ऐसा आदर्श है, तो फिर उसके मुकाबले सूर्यकांत तिवारी तो भुनगा है, और वह भी लोगों को प्रभावित कर सकता है। और ऐसी तारीफ करने वाले लोग ऐसे ही लोगों को पाने के हकदार रहते हैं।  

यहां भारत जोड़ो नहीं?
देश के कई राज्यों में कांग्रेस पार्टी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ही प्रदेश स्तर की यात्राएं उसी तर्ज पर कर रही हैं, क्योंकि राहुल गांधी की यह यात्रा तो देश के आधे राज्यों से भी नहीं गुजरने वाली है। असम में कांग्रेस 800 किलोमीटर की एक यात्रा कर रही है, ओडिशा में सौ दिनों में 2250 किलोमीटर की पदयात्रा चल रही है, और गुजरात में भी कांग्रेसी ऐसी यात्रा निकाल रहे हैं। छत्तीसगढ़ में प्रदेश स्तर पर ऐसा कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा है, पूछने पर एक प्रमुख कांग्रेसी ने कहा कि जिला और ब्लॉक स्तर पर कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है। अब कांग्रेस के इस राज्य में प्रदेश स्तर पर ऐसा क्यों नहीं हो रहा है, इसे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बता सकते हैं, या फिर मुख्यमंत्री। 

घर का भेदी...
सरकार के हर विभाग में कोई न कोई कुर्सी ऐसी रहती है जिस पर बैठे लोग विभाग के तमाम लोगों की जमीन-जायदाद के कागज देख पाते हैं। सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को जमीन-मकान खरीदी के वक्त भी सरकार को खबर करके उनसे इजाजत लेनी पड़ती है, कमाई या कर्ज का जरिया बताना पड़ता है। और हर विभाग में किसी एक अफसर के पास ऐसी फाइलें रहती हैं। ऐसे अफसर दूसरे अफसरों के बारे में अधिक आसानी से और अधिक सहूलियत से जानकारी फैला सकते हैं। और उनकी फैलाई अफवाह अधिक वजनदार इसलिए रहती है कि उसमें काफी हिस्सा सच का रहता है, और बाकी काल्पनिक आंकड़ों का छौंक तो लगाया ही जा सकता है। ऐसे अफसरों की फैलाई अफवाहों की जड़ तक पहुंचना मुश्किल इसलिए नहीं रहता है क्योंकि ये फाइलें किनके कब्जे में हैं, यह सबको पता रहता है। फिलहाल ऐसे ही एक मामले को लेकर सरकार के भीतर कुछ नाराजगी शुरू हुई है कि अपने साथी अफसरों को बदनाम करने की नीयत ठीक नहीं है। 

पिल्लों को बचाने के लिए
यह तस्वीर मरवाही थाना परिसर के पीछे से ली गई वीडियो से है। एक फीमेल डॉगी ने पिल्लों को जन्म दिया है, जो छोटे हैं। एक कोबरा सांप उन बच्चों के नजदीक आ गया तो उसे भौंक-भौंक कर वह भगाने लगी। सांप फन फैलाए रुका रहा पर भौंकने-गुर्राने का असर हुआ। थोड़ी देर बाद सांप वापस बिल में जाकर घुस गया। मां ने बच्चों को सांप से बचा लिया।

जब होंगे 162 उम्मीदवार
भानुप्रतापपुर उप-चुनाव दिलचस्प होने जा रहा है। सर्व आदिवासी समाज ने 162 प्रत्याशी, सभी गावों से एक-एक, चुनाव मैदान में उतारने का निर्णय लिया है। वे चुनाव जीतना नहीं, आरक्षण पर कांग्रेस और भाजपा के रुख का विरोध करना चाहते हैं। यह भी तौलना चाहते हैं कि आदिवासी समाज के कितने लोगों ने सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी को वोट दिया और दोनों दलों का विरोध किया।

प्रत्याशी बनने की प्रक्रिया आसान है। अनुसूचित जनजाति सीट है तो नामांकन फॉर्म की कीमत भी 10 हजार की जगह 5 हजार ही है। यदि सैकड़ों उम्मीदवार हुए तो कितने ईवीएम लगेंगे? सबका चुनाव चिन्ह तय करना, ईवीएम ढोना, स्ट्रांग रूम में सुरक्षित रखना और वोटों को गिनना  बड़ी समस्या होगी।

सर्व आदिवासी समाज का उद्देश्य है कि लोग अपने-अपने गांव के उम्मीदवार को वोट दें। मतदाता 162 प्रत्याशियों के बीच से अपने गांव के प्रत्याशी का नाम और निशान कैसे खोजेंगे?

भूपेश क्यों रहे निशाने पर?
भाजपा की बिलासपुर रैली में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अपने भाषण में बार-बार भूपेश बघेल पर हमला किया। जानकार कह रहे हैं कि भाजपा यह समझ रही है कि धान बोनस, किसान न्याय योजना और इसी तरह की दूसरी योजनाओं का सबसे ज्यादा लाभ मैदानी इलाके के मतदाता उठा रहे हैं। इन इलाकों में सीएम और कांग्रेस की पकड़ मजबूत हुई है। इस असर को तोडऩे के लिए वैकल्पिक मुद्दों को उठाना जरूरी है। रायपुर में आंदोलन के बाद अगले शक्ति प्रदर्शन के लिए बिलासपुर का तय किया जाना भी इसी रणनीति का हिस्सा है। ([email protected])

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