राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दूल्हे की हजामत
13-Nov-2022 4:52 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दूल्हे की हजामत

दूल्हे की हजामत

कोयला कारोबार को लेकर अफसर, कारोबारी, और दलाल जिस तरह अदालत के कटघरे में पहुंचे हुए हैं, उन्हें सरकार, कारोबार, और राजनेता, सभी बहुत गौर से देख रहे हैं। जब यह हल्ला उड़ा कि कर्नाटक हाईकोर्ट से वहां की पुलिस में दर्ज एक एफआईआर पर आगे कार्रवाई करने पर स्टे लगा दिया गया है, तो लोगों ने यहां भी आनन-फानन मान लिया कि वह स्टे छत्तीसगढ़ में ईडी की कार्रवाई पर भी अपने आप लागू हो जाएगा, और अगले दिन तमाम लोग छूट जाएंगे या जमानत पा जाएंगे। लेकिन ईडी के अधिकार क्षेत्र पर अभी कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, उसे बारीकी से पढऩे वाले लोगों की ऐसी अटकलों पर हॅंस रहे थे। ईडी को नए कानून और उस पर अदालती मंजूरी से दानवाकार अधिकार मिल गए हैं, और कर्नाटक का हाईकोर्ट-स्टे ईडी की सेहत पर कोई असर नहीं डालता। दो दिनों तक चली अदालती सरगर्मी आखिर इस बात पर आकर टिक गई थी कि किस वकील ने इस एक पेशी के लिए कितनी फीस ली। एक नामी वकील के एक दिन के काम की फीस 25 लाख रूपये सुनना भी आम लोगों को अटपटा लग सकता है, लेकिन जब मामला सैकड़ों करोड़ का हो, तो फीस भी उसी अनुपात में होती है, शादी के वक्त दूल्हे की हजामत भी 501 रूपये में बनती है, कुछ वैसा ही अतिसंपन्न लोगों के मुकदमों में होता है।

ख़ुशी के बाद अब निराशा

निगम-मंडलों के पदाधिकारियों की सूची जारी हुई, तो पद पाने वालों ने खूब खुशियां मनाई। मगर अब धीरे-धीरे नवनियुक्त कई पदाधिकारियों की खुशियां उस वक्त काफूर हो गई, जब उन्हें पता चला कि किसी तरह की सुविधाएं नहीं मिलेगी।
सिंधी अकादमी में दर्जनभर सदस्य बनाए गए, लेकिन सभी अवैतनिक है। एक सदस्य ने तो संस्कृति मंत्री से मिलकर कह दिया कि बिना मानदेय के तो काम करना मुश्किल है। संस्कृति मंत्री ने भरोसा दिलाया है कि जल्द ही वो इसके लिए ‘ऊपर’ बात करेंगे।
दूसरी तरफ, सिंधी अकादमी के पूर्व चेयरमैन अमित जीवन मानदेय, और अन्य बकाया भुगतान के लिए सरकार को चि_ी लिखने जा रहे हैं। अमित जीवन का कहना है कि उन्हें अकादमी से 6 लाख से अधिक  राशि लेनी है। यह राशि अब तक नहीं दी गई है। ज्यादातर निगम-मंडलों के पदाधिकारियों को संबंधित विभाग के अफसरों ने बजट न होने, या फिर प्रावधान न होने का कारण बताकर सुविधाएं उपलब्ध कराने से मना कर दिया है। ऐसे में पदाधिकारियों का दुखी होना स्वाभाविक है।

उम्मीदवारी में कौन जीतेगा?

भानुप्रतापपुर सीट के प्रत्याशी के नाम को लेकर पूर्व सीएम रमन सिंह के सामने कांकेर जिले के दो प्रमुख नेताओं के बीच कहा सुनी हो गई। एक नेता पूर्व विधायक ब्रह्मानंद नेताम को प्रत्याशी बनाने के पक्ष में हैं, तो दूसरा जिला उपाध्यक्ष गौतम उइके के लिए लॉबिंग कर रहे हैं।
सुनते हैं कि भाजपा के प्रमुख आदिवासी नेता रामविचार नेताम, विक्रम उसेंडी, केदार कश्यप, और कांकेर के सांसद मोहन मंडावी ने गौतम उइके का नाम आगे बढ़ाया है। कई लोगों का मानना है कि ब्रह्मानंद नेताम मजबूत कैंडिडेट हो सकते हैं।
नेताम की दो बार टिकट कट चुकी है, और सीधे सरल होने की वजह से लोकप्रिय भी हैं। पार्टी के गैर आदिवासी नेता नेताम के पक्ष में हैं। मगर दिग्गज आदिवासी नेताओं की राय के विपरीत प्रत्याशी तय करना पार्टी के रणनीतिकारों के लिए मुश्किल हो रहा है। हाईकमान ने सारे नाम बुलाए हैं। देखना है कि क्या किसके नाम पर मुहर लगती है।

महाराष्ट्र में भी मोहित गर्ग

पिछले दिनों महाराष्ट्र में आईपीएस अफसरों के थोक में हुए तबादला सूची  में मोहित गर्ग का नाम देखकर छत्तीसगढ़ के अफसर हैरान रह गए। अफसरों का दंग रहना इसलिए वाजिब था, सूबे के बलरामपुर जिले के एसपी मोहित गर्ग का नाम पड़ोसी राज्य के पुलिस सूची में कैसे शामिल हो गया। बताते है कि महाराष्ट्र कैडर के मोहित गर्ग और बलरामपुर एसपी का नाम एक जैसा है। दोनों अफसरों में कुछ और समानताएं भी हैं। मराठी राज्य के मोहित गर्ग बलरामपुर कप्तान से एक बैच जूनियर हैं। बलरामपुर के गर्ग 2013 और महाराष्ट्र के गर्ग 2014 बैच के आरआर आईपीएस हैं। दोनों पुलिस अफसर उत्तर भारत से वास्ता रखते हैं। बलरामपुर एसपी दिल्ली और महारष्ट्र के गर्ग पंजाब के रहने वाले हैं। यानी दोनों का न सिर्फ नाम एक जैसा है बल्कि भौगोलिक बसावट के लिहाज से भी संबंध है। सुनते है कि मोहित गर्ग का नाम लिस्ट में देखने के बाद कुछ अफसरों ने बलरामपुर एसपी के कैडर बदलने को लेकर टोह ली। कुछ अफसरों ने छत्तीसगढ़ से महाराष्ट्र जाने की वजह जानने के लिए आईपीएस बिरादरी में खोज-खबर शुरू कर  दी। छत्तीसगढ़ के मोहित गर्ग झारखंड की सीमा वाले बलरामपुर में नक्सल मामलों में बेहतर कार्य कर रहे है। वही महाराष्ट्र के मोहित गर्ग मुंबई में पुलिस हेडक्वार्टर में जमे हुए हैं। बताते है कि कांकेर एसपी शलभ सिन्हा और महाराष्ट्र के मोहित के साथ अच्छी बातचीत भी है। दोनों 2014 बैच के आईपीएस हैं।

संभावनाओं पर झाड़ू

भाजपा ने गुजरात में अपने बड़े-बड़े भूतपूर्व मुख्यमंत्रियों या वर्तमान उपमुख्यमंत्री की टिकट काटी है, उससे छत्तीसगढ़ में भाजपा के बड़े-बड़े नेता सन्नाटे में हैं। वहां पार्टी ने आम आदमी पार्टी के पहली बार लडऩे वाले उम्मीदवारों के मुकाबले अपने भी नए चेहरों को उतारना तय किया, लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसी कोई मजबूरी नहीं रहेगी। भाजपा के एक बड़े नेता ने आपसी बातचीत में कहा कि कांग्रेस के अधिकतर चेहरे वही रहेंगे, इसलिए भाजपा के सामने नए चेहरों को रखने का कोई दबाव नहीं रहेगा।
लेकिन ऐसा कहने वाले भाजपा नेता इस बात को भूल रहे हैं कि आम आदमी पार्टी का गुजरात में चाहे जो हो, वह छत्तीसगढ़ में जमकर चुनाव लड़ेगी, और यहां तीसरी पार्टी को 6-7 फीसदी वोट मिलने की परंपरा है, जिस पर इस बार आम आदमी पार्टी का दावा हो सकता है। ऐसे में उसके तमाम नए चेहरों को देखते हुए न सिर्फ कांग्रेस बल्कि भाजपा को भी अपनी लिस्ट पर गौर करना होगा। अब एक ही बात है कि तीसरी पार्टी को मिलने वाले 6-7 फीसदी वोट 6-7 सीटों में तब्दील नहीं होते, इसलिए दोनों ही पार्टी कुछ राहत महसूस कर सकती हैं, लेकिन इन दोनों में से जिसका चेहरा अधिक बदनाम या अलोकप्रिय रहेगा, जिसे अधिक भ्रष्ट जाना जाता रहेगा, उसके वोट अधिक कटेंगे, और आम आदमी पार्टी को अधिक मिलेंगे। इसलिए छत्तीसगढ़ में भाजपा और कांग्रेस दोनों को चौकन्ना रहना होगा, और अपने बदनाम लोगों से छुटकारा भी पाना होगा। भाजपा की सीटें इतनी कम हैं कि उसके लिए यह काम उतना बड़ा नहीं रहेगा, लेकिन उससे चार गुना से अधिक सीटों वाली कांग्रेस के लिए यह बड़ी चुनौती रहेगी, और उसके अधिक बदनाम लोगों की बदनामी की हवा आसपास की कई सीटों तक भी पहुंचेगी, और वहां संभावनाओं पर झाड़ू लगाएगी।

डंके की चोट पर दावेदारी

पत्थलगांव जनपद पंचायत के सीईओ संजय सिंह को हटाकर आखिर राजधानी में अटैच कर दिया गया है। बीते दिनों उनकी फोटो वायरल हुई थी जिसमें वे प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सांसद अरुण साव का अंबिकापुर दौरे के दौरान फूल माला लेकर स्वागत करते हुए दिख रहे थे। मालूम हुआ कि इसके पहले भी भाजपा की तिरंगा यात्रा अभियान में देखे गए थे। कुछ और बड़े भाजपा नेताओं के स्वागत में उन्हें देखा जा चुका था। पिछले महीने जनपद पंचायत अध्यक्ष और सदस्यों ने सीएम को उनकी शिकायत भेजी थी लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। यह मानी हुई बात है कि शासकीय सेवकों का भी किसी न किसी राजनीतिक दल की ओर आम मतदाताओं की तरह झुकाव हो सकता है, पर इस तरह खुलकर आना किसी मकसद से ही हो सकता है। पिछले साल जब सरगुजा की संभागायुक्त जिनेविवा किंडो को अचानक हटाकर बिना मंत्रालय रायपुर भेज दिया गया था तो पहले उनके राजनीति में सक्रिय होने की खबर उड़ी थी। मगर बाद में दूसरे कारण सामने आए। अधिकारी जब सत्ता से जुड़े दल से नजदीकी बढ़ाते हैं तो ज्यादा शोर नहीं होता, पर पत्थलगांव सीईओ ने तो काफी हिम्मत दिखाई। पता चला है कि वे भाजपा से टिकट की दावेदारी करेंगे। इधर जगह-जगह कांग्रेस नेता शिकायत करते हैं कि अधिकारी उनकी सुनते नहीं। पता तो करें कि वे किस वजह से ऐसा करते हैं।

जब अदालत चेंबर से बाहर लगी

शनिवार को प्रदेशभर में आपसी समझौते से लाखों मामले सुलझे और एक अरब रुपये से अधिक के अवार्ड पारित हुए। कई मामले ऐसे थे जिनमें जजों की गहरी संवेदनशीलता देखने को मिली। सिमगा में एक दुर्घटना हुई थी जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इन्हें जिस वाहन से टक्कर मारी गई थी, उसकी बीमा कंपनी से मुआवजा मिल जाए इस उम्मीद में मृतक का लकवाग्रस्त पिता भी बिलासपुर की कोर्ट में पहुंचा। वह एंबुलेंस से उतरकर अदालत में गवाही देने के लिए नहीं जा पा रहा था। जज प्रशांत शिवहरे को जब इसकी जानकारी हुई तो वे खुद एंबुलेंस तक गए। वहीं उसका बयान दर्ज कर बीमा कंपनी से समझौता कराया गया। पिता को 19 लाख रुपये मुआवजा मिला है जो मृतक की पत्नी बच्चों के काम आएंगे। 

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