राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सुविधाओं के हक़ की लड़ाई
20-Nov-2022 4:45 PM
 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ :  सुविधाओं के हक़ की लड़ाई

सुविधाओं के हक़ की लड़ाई 
सरकार ने निगम-मंडलों में थोक में नियुक्तियां कर दी है। अब नवनियुक्त पदाधिकारी साधन-सुविधाओं के लिए मशक्कत कर रहे हैं। ऐसे ही एक संस्थान में चेयरमैन, और बाकी पदाधिकारियों के बीच तनातनी चल रही है। 

सुनते हैं कि चेयरमैन नहीं चाहते कि बाकी पदाधिकारियों को गाड़ी, अन्य सुविधाएं मिले। उन्होंने नियमों का हवाला देकर पदाधिकारियों को टरकाने की कोशिश की, लेकिन पदाधिकारी अड़ गए। उन्होंने संस्थान में साधन-सुविधाओं के मद का सारा ब्यौरा चेयरमैन के पास रख दिया, लेकिन उन पर इसका कोई असर नहीं हुआ। 

नवनियुक्त पदाधिकारियों ने इशारों-इशारों में संकेत दे दिए हैं कि यदि वाहन, और अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई गई, तो चेयरमैन का काला चिट्ठा खोल देंगे। 25 तारीख को संस्थान के बोर्ड की बैठक है। इसमें सुविधाओं पर बात होगी। अगर पदाधिकारियों की इच्छानुसार फैसला नहीं हुआ, तो चेयरमैन के खिलाफ मोर्चा खुल सकता है। ऐसे में संस्थान के दबे छिपे राज भी बाहर निकल सकते हैं। देखना है आगे क्या होता है। 

चुनाव पर खराब सडक़ों का साया 
भानुप्रतापपुर उपचुनाव में कांटे की टक्कर के संकेत है। चर्चा है कि  इलाके की खराब सडक़ें कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती हैं। भानुप्रतापपुर इलाके में आयरन ओर की माइंस के चलते रोजाना सैकड़ों  ट्रकों की आवाजाही रहती है। इसकी वजह से इलाके के सडक़ों की हालत खराब है। ज्यादातर जगहों पर नई सडक़ों का निर्माण नहीं हुआ है। इससे ग्रामीण परेशान हैं। ऐसे में कांग्रेस के कई प्रमुख नेताओं को डर है कि खराब सडक़ों का गुस्सा मतदाता मतदान में न निकाल दे। फिलहाल इससे निपटने के तमाम उपायों पर चर्चा चल रही है। 

मजदूर स्कूली बच्चे
स्कूलों में पानी भरवाने झाड़ू लगवाने और प्लेट धोने का काम बच्चों से लेने कि कई मामले पहले सामने आते रहे हैं पर ईंट ढोने जैसा भारी भरकम काम पर लगाने में भी अब शिक्षक नहीं झिझक रहे हैं। यह तस्वीर अंबागढ़ चौकी तहसील की छाछनपहरी हायर सेकेंडरी स्कूल की है। छात्रों को एक मालवाहक में लदे ईंटों को उतारकर रखने के काम में लगाया गया है। बच्चों का कहना है कि आए दिन उनको प्रधान पाठक इसी तरह का काम कराते हैं और नहीं करने पर फेल कर देने की धमकी देते हैं। 

क्रिप्टो करंसी गिरने की दहशत
दुनिया भर में क्रिप्टो करेंसी के धराशायी होने का असर छत्तीसगढ़ में भी दिखाई दे रहा है। पिछले केंद्रीय बजट में इस वर्चुअल करेंसी को खरीदने वालों की पहचान उजागर करने की बाध्यता तय की गई थी। साथ ही इसके मुनाफे पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाया गया। इसके बावजूद इसमें लोगों ने निवेश करना नहीं छोड़ा। अभी जो एफटीएक्स डिजिटल करेंसी कंपनी दिवालिया हुई है, उसमें पैसे लगाने वाले छत्तीसगढ से कम लोग हैं। यहां से ज्यादा रकम बिटकॉइन में गई है। पर एफटीएक्स के हश्र को देखकर इनमें घबराहट दिखाई दे रही है। अब भविष्य के मुनाफे की चिंता को छोड़ अपनी लगाई हुई रकम को लोग बाहर कर रहे हैं। कोरबा जिले के एक शख्स ने इसमें कुछ करोड़ रुपए डाले। दी तीन साल तक वे इस रकम को हाथ नहीं लगाना चाहते थे। पर इस समय सारी रकम निकालने में लगे हुए हैं। ([email protected])

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