राजपथ - जनपथ
ब्याज मिलेगा मनरेगा का?
मनरेगा मजदूरी का भुगतान सात महीने से नहीं होने को लेकर डोंगरगढ़ हाईवे में चक्काजाम कर दिया गया। इनकी दीपावली भी बिना मजदूरी के निकली। सडक़ से हटने की अपील करने आए तहसीलदार से आंदोलन करने वालों ने सवाल किया कि यदि 7 माह बिना वेतन काम लिया जाए तो आपको कैसा लगेगा, क्या आपको परिवार नहीं चलाना पड़ता, आंदोलन पर आप नहीं उतरेंगे?
बीते सालों में मनरेगा के भुगतान के लिए केंद्र से फंड आने में बड़ी दिक्कत रही है। कोविड के समय एक-एक साल का भुगतान नहीं हुआ। कई जगह तो वन, जल संसाधन आदि विभागों ने काम करा लिए और दो तीन साल बीतने के बाद भी भुगतान नहीं किया है। डोंगरगढ़ में न केवल मजदूरी का बल्कि उसका ब्याज भी देने की मांग हो रही है। मनरेगा एक्ट में भुगतान अधिकतम 15 दिन में करने का प्रावधान है। एक्ट में यह भी है कि इससे अधिक देर होने पर ब्याज दिया जाएगा।
राजनांदगांव जिले में चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में अब तक कुल 67 करोड़ 66 लाख का भुगतान किया गया है। 8 दिन के भीतर 14 करोड़ 90 लाख रुपये तथा 15 दिन के भीतर 12.37 करोड़ का भुगतान किया गया। यानि 27 करोड़ 27 लाख रुपये के बाद जो भी भुगतान हुए हैं, उन पर मजदूरों को ब्याज मिलना चाहिए। हिसाब लगाएं तो बची हुई रकम 39 करोड़ से अधिक है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के पोर्टल पर अब तक कितना भुगतान रुका हुआ है, इस बारे में कोई डेटा नहीं है। वेबसाइट से यह जरूर पता चलता है कि विलंब होने के कारण छत्तीसगढ़ में किसी को भी कोई ब्याज नहीं दिया गया है। इसके कॉलम में शून्य दर्ज है। डोंगरगढ़ जनपद की राशि केंद्र या राज्य के स्तर पर नहीं रुकी है बल्कि जनपद की गड़बड़ी से अमाउंट खाते में नहीं आए हैं। यहां जो 83 लाख रुपये की मजदूरी रुकी है उसी के साथ ब्याज की मांग की जा रही है। यह मजदूरों का अपने अधिकार को लेकर सचेत होने का सबूत है। अफसर वादे के मुताबिक तीन दिन में भुगतान करेंगे या ज्यादा वक्त लेंगे यह देखने की बात होगी। यदि मांग के अनुसार मजदूरी के साथ ब्याज भी दिया गया, फिर तो एक मिसाल भी होगी।
बच्चियों ने संभाली पुलिस अफसरों की कुर्सी
दोस्ताना बर्ताव के जरिये पुलिस आम लोगों से जुडऩे की समय-समय पर कोशिश करती है। बच्चों के साथ भी उनका फासला कम होना चाहिए ताकि वे अपने आसपास होने वाले अपराधों को लेकर सचेत रहें और पुलिस की मदद लें। ऐसा प्रयास अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के मौके पर मुंगेली में किया गया। पुलिस अधीक्षक चंद्रमोहन सिंह ने आठवीं कक्षा की वंदना मरावी को एक दिन के लिए अपनी कुर्सी सौंपी। एक अन्य छात्रा कनिष्का सिंह को सिटी कोतवाली का थानेदार बनाया गया। वंदना वनांचल के सरगढ़ी स्कूल में आठवीं की छात्रा है। बच्चों से कुछ सवाल किए गए थे, जिसके बाद वंदना का चयन हुआ। वंदना ने एसपी की कुर्सी संभाली, मीडिया को साक्षात्कार दिया, ऑफिस का निरीक्षण किया, शहर में यातायात की व्यवस्था को देखा। कनिष्का शहर के आत्मानंद स्कूल में आठवीं पढ़ती है। दोनों बड़ी होकर पुलिस अफसर बनना चाहती हैं। इनमें से वंदना एक मजदूर की बेटी है। एसपी ने उनसे कहा कि सपना पूरा जरूर होगा, लेकिन इसके लिए खूब पढ़ाई करनी होगी।
13 जिलों का एक कमिश्नर..
सरगुजा कमिश्नर पद से 4 अगस्त को गोविंदराम चुरेंद्र को हटाये जाने के बाद अब तक वहां प्रभार से काम चल रहा है। बिलासपुर के संभागायुक्त डॉ. संजय अलंग को इसका अतिरिक्त प्रभार मिला हुआ है। करीब 100 दिन बीत जाने के बाद भी विस्तृत भौगौलिक क्षेत्रफल वाले सरगुजा में पूर्णकालिक कमिश्नर की नियुक्ति नहीं हुई है। हाल के दिनों में इन दोनों संभागों में तीन नए जिले भी बना दिए गए। अब डॉ. अलंग के पास 13 जिलों का प्रभार है। जिलों के नियमित प्रशासनिक कामकाज में कमिश्नरों की भले ही बहुत ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती हो लेकिन स्थानीय स्तर की नियुक्तियों और राजस्व अदालतों में इस कुर्सी का बड़ा महत्व है। सरगुजा में तो अपर आयुक्त का पद भी अभी खाली है। स्थिति यह है कि कमिश्नर का कोर्ट महीने में सिर्फ दो दिन के लिए सरगुजा में लगता है। वे शेष समय बिलासपुर संभाग को देते हैं। एक अनुमान है कि यहां पर लंबित प्रकरणों की संख्या बढक़र 7 हजार से ज्यादा पहुंच चुकी है।