राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : जिले की घोषणा अभी नहीं
25-Nov-2022 4:27 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : जिले की घोषणा अभी नहीं

जिले की घोषणा अभी नहीं

भानुप्रतापपुर में चुनावी माहौल गरमा रहा है। इन सबके बीच कांग्रेस के स्थानीय बड़े नेता सरकार से कोई बड़ी घोषणा चाह रहे हैं ताकि जीत सुनिश्चित हो सके। प्रचार में जुटे कांग्रेस के कुछ नेताओं का अंदाजा है कि भाजपा प्रत्याशी पर रेप के आरोप के बाद भी मुकाबला आसान नहीं रह गया है।
सुनते हैं कि पिछले दिनों जिले के एक विधायक ने दाऊजी से भानुप्रतापपुर सीट को लेकर लंबी चर्चा की थी। विधायक ने सुझाव दिया था कि भानुप्रतापपुर को खैरागढ़ की तरह जिला बनाने की घोषणा कर देनी चाहिए,  इससे चुनाव की राह आसान हो जाएगी। मगर दाऊजी इसके लिए सहमत नहीं हुए।
दाऊजी और कांग्रेस के कई बड़े नेताओं का मानना है कि जिले की घोषणा से एक नया विवाद खड़ा हो सकता है। क्योंकि भानुप्रतापपुर से सटे अंतागढ़ को भी जिला बनाने की मांग हो रही है। ऐसे में भानुप्रतापपुर को जिला बनाने की घोषणा से तुरंत थोड़ा बहुत फायदा हो जाएगा, लेकिन बाद में अंतागढ़ के लोग खिलाफ हो सकते हैं। दाऊजी की नजर अगले साल आम चुनाव पर है। इन सबको देखते हुए ऐसी कोई घोषणा से बचना चाह रहे हैं, जिससे देर सवेर पार्टी का नुकसान हो।

चुनाव माथुर के लिए लड़ रहे

भाजपा प्रत्याशी ब्रह्मानंद नेताम पर रेप के आरोप के बाद भी पार्टी कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद दिख रहे हैं। प्रदेश प्रभारी ओम माथुर के निर्देश के बाद पार्टी के तमाम दिग्गज भानुप्रतापपुर में नजर आ रहे हैं। इन सबके बाद भी पार्टी संसाधनों के मामले में पिछड़ती दिख रही है।
सुनते हैं कि हफ्तेभर से प्रचार में लगे कार्यकर्ताओं के लिए जब पैसे की डिमांड आई, तो बड़े नेता आज-कल कहकर टरका रहे हैं। इससे कार्यकर्ताओं का गुस्सा धीरे-धीरे बढ़ रहा है। प्रचार में जुटे कुछ नेताओं ने संकेत दे दिए हैं कि यदि जल्द ही आर्थिक समस्या दूर नहीं हुई, तो कार्यकर्ता घर बैठ सकते हैं। फिलहाल तो मान मनौव्वल ही चल रहा है। देखना है आगे क्या होता है।

महिलाओं का एक नया दौर

महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर लिखना कुछ नाजुक काम होता है। दरअसल हिन्दुस्तान जैसे देश में महिलाओं के खिलाफ इतने किस्म के पूर्वाग्रह काम करते हैं कि महिलाओं के पक्ष में लिखी गई कौन सी बात लिखने वाले के खिलाफ चली जाए, इसका भी ठिकाना नहीं रहता। यह जानते हुए भी हम राजस्थान की इस ताजा वारदात पर लिख रहे हैं जिसमें एक शादीशुदा महिला ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या की, और ससुराल के लोगों को किसी शक से दूर रखने के लिए उसने छह महीने तक मंगलसूत्र पहना, सिंदूर लगाया, और करवाचौथ का व्रत भी रखा। बाद में ससुर ने जब उसे एक बार प्रेमी के साथ देख लिया, तब जाकर कोई शक उपजा, और पुलिस रिपोर्ट के बाद पूछताछ में इस महिला और प्रेमी ने जुर्म कुबूल किया।
इस वारदात पर लिखने का मतलब यह है कि जिसे अबला समझकर जिसकी बेबसी पर तमाम कविताएं लिखी जाती थीं, और आंसू बहाए जाते थे, वह महिला अब अंतरिक्ष में भी जा रही हैं, फाइटर प्लेन भी उड़ा रही हैं, और जीवनसाथी के साथ उन तमाम किस्म के जुर्म भी करने की ताकत रखती है जो कि अब तक मर्दों का ही एकाधिकार होता था। अब अबला के सबला होने की यह बहुत अच्छी मिसाल नहीं है, लेकिन यह बहुत अनोखी मिसाल भी नहीं रह गई है। महिलाओं से जुल्म करने वाले लोगों को यह समझ लेना चाहिए कि अब बहुत सी महिलाएं जुल्म की जिंदगी तोडक़र बाहर निकलने की ताकत भी रखती हैं, और कई किस्म के जुर्म करने की भी। या तो उसकी ताकत मानकर उसे बराबरी का दर्जा दिया जाए, या फिर उसकी कई किस्म की और ताकत को झेलने के लिए तैयार भी रहा जाए। जुल्मी का किरदार निभाने का एकाधिकार अब अकेले मर्द का नहीं रह गया है।

सम्हलकर चल रहे हैं...

भानुप्रतापपुर चुनाव में प्रचार कर रहे कांग्रेस के लोगों से सोच-समझकर एक ऐसा गलत काम हो गया है जो उन्हें दूर तक कानूनी दिक्कतों का शिकार बना सकता है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रेस कांफ्रेंस में झारखंड की बलात्कार की शिकार एक नाबालिग लडक़ी की पहचान उजागर करने वाले कानूनी दस्तावेज बांटे। यह एक बड़ा जुर्म है, लेकिन भाजपा इसे बहुत बड़ा मुद्दा नहीं बना रही है। इस उपचुनाव में प्रचार में लगे हुए कांग्रेस और भाजपा के कई लोगों से बात करने से यह साफ हुआ कि आमने-सामने डटे रहने के बावजूद कई किस्म के समझौते हमेशा ही काम करते हैं। इस बात को जरूरत से ज्यादा उठाया जाएगा, तो फिर चुनाव में लगे हुए भाजपा के कुछ नेताओं के खिलाफ भी कुछ कागजात निकाले जाएंगे। अब पता नहीं ऐसी आशंका ही लोगों को शांत कर देती है, या किसी के मार्फत खबर भिजवानी होती है, जो भी हो, दोनों तरफ के लोग सम्हलकर चल रहे हैं।

समझबूझ से परे की बात

छत्तीसगढ़ के एक छोटे अफसर के बारे में यह खबर आई है कि उसने किसी के मार्फत देश के सबसे बड़े अफसर, कैबिनेट सेक्रेटरी से मिलने की कोशिश की है। अब जानकारों का कहना है कि सामान्य समझबूझ तो यही कहती है कि ऐसी कोई मुलाकात हो नहीं सकती, लेकिन दुनिया में कई बातें सामान्य समझबूझ से परे भी होती है, और देखना है कि ऐसी कोई मुलाकात हो पाती है या नहीं।

डीएमएफ पारदर्शी भी तो हो..

जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) पर राज्य की कैबिनेट ने एक बड़ा फैसला लिया है। अब 20 प्रतिशत सामान्य क्षेत्र में और 40 प्रतिशत अधिसूचित क्षेत्र में खर्च करने की बाध्यता हटा दी गई है। अब सामान्य क्षेत्रों में अधिक राशि खर्च की जा सकेगी। ज्यादातर जिलों में फंड का उपयोग अधिसूचित क्षेत्रों में ही करने की सीमा तय होने के कारण जिले के दूसरे हिस्सों में विकास के लिए राशि आवंटित करने में दिक्कत होती थी। देश के डीएमएफ फंड का 75 प्रतिशत हिस्सा छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा और झारखंड को मिलता है। डीएमएफ फंड में कोयले की रायल्टी का प्रतिशत सबसे ज्यादा 42 है। छत्तीसगढ़ में इस राशि से बहुत बदलाव दिखाई दे सकता है। इसका अच्छा इस्तेमाल भी हो सकता है। जैसे, राज्य सरकार ने तय किया कि स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालयों में डीएमएफ से राशि खर्च की जाए। पर, कई जिलों में कलेक्टर फंड की प्राथमिकता खुद ही तय कर लेते हैं, जिसका खनन प्रभावित लोगों का जीवन-स्तर ऊपर उठाने से कोई संबंध नहीं होता। जीपीएम जिले में साहित्य का सम्मेलन करा दिया गया। देश के अलग-अलग हिस्सों से आए अतिथियों का खर्च उठाया गया। बिलासपुर में कुछ साल पहले एयरपोर्ट की बाउंड्रीवाल इसी मद से बना दी गई। कोरबा में कोविड काल के दौरान स्कूलों के लिए लाखों रुपयों की खेल सामग्री खरीद ली गई, जबकि स्कूल बंद थे। यहां बड़े-बड़े पार्क और दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर डीएमएफ से बनाए जा रहे हैं, जो इस निधि का दुरुपयोग है।
सरकार के नए फैसले ज्यादा बड़ी आबादी को लाभ मिल सकेगा, इसकी उम्मीद है। खर्च किसी भी ब्लॉक, तहसील में हो- ठीक से करें तो विकास ही होगा। पर, असल सवाल खर्च में पारदर्शिता का ही है। फंड का सही मद में उपयोग करना है, इसकी परवाह नहीं की जाती, जन प्रतिनिधियों को भरोसे में लेना, उनको जानकारी देना भी नहीं होता। कोरबा जिले में मंत्री और पूर्व कलेक्टर के बीच हुआ विवाद सभी को पता है। हालांकि छत्तीसगढ़ देश में अकेला ऐसा राज्य है जहां प्रभावित गांवों के पंचायत प्रतिनिधियों को भी ट्रस्ट का सदस्य बनाया गया है, पर बैठकों में वे बड़े अफसरों और मंत्री विधायकों के बीच इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाते कि खर्च का विस्तार से ब्यौरा मांग लें। कोरबा में मंत्री को भी नहीं मिला था। इसी कोरबा में कुछ संगठनों ने सितंबर माह में एक बैठक की थी, जिसमें प्रदेशभर के डीएमएफ की ऑडिट नहीं होने को भ्रष्टाचार का कारण बताया गया था। इन संगठनों ने यह भी कहा कि वे फंड के दुरुपयोग के सारे साक्ष्य एकत्र कर महालेखाकार से शिकायत करेंगे। कल की केबिनेट की बैठक में लगे हाथ डीएमएफ के खर्च को ज्यादा पारदर्शी रखने पर भी फैसला लिया जा सकता था, जो ज्यादा जरूरी था।

सावधान! एक झटके में खाता हो जाएगा खाली

कोविड काल के बाद से साइगर ठगी तेजी से बढ़ रही है। ठग तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर आपके बैंक खातों से रुपये उड़ाने में लगे हैं। जब-जब केबीसी टीवी पर दिखाया जाता है, इसी के नाम पर ठगी शुरू हो जाती है। इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केबीसी के होस्ट अमिताभ बच्चन और उद्योगपति मुकेश अंबानी की फोटो के साथ कई ऑडियो वाट्सएप पर वायरल हो रहे हैं। इनमें कहा जा रहा है कि केबीसी की ओर से लकी ड्रा निकाला गया है जिसमें आपको 25 लाख रुपये इनाम में मिले हैं। इसमें एक कोड नंबर और वाट्सएप नंबर दिया गया है। पर यह सब फ्रॉड करने का हथकंडा है। इसके बताए गए नंबर पर आप कॉल करें तो आपको एक ऐप डाउनलोड करने कहा जाएगा। ऐप डाउनलोड होते ही आपके मोबाइल फोन की कमांड वह कोड पूछकर अपने हाथ में ले लेगा। फिर आपके बैंक एकाउंट तक जाकर पैसे साफ कर लेगा। वाट्सएप कॉल ही करने कहा गया है ताकि आप उसकी बातचीत रिकॉर्ड न कर सकें। हैरानी यह है कि इनका जाल पूरे देशभर में फैला है। दिल्ली, यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश से ढेरों लोग इस ठगी का शिकार हो चुके हैं। और यह नया भी नहीं है। दो साल से बीच-बीच में वायरल हो जाता है। नए-नए नंबर और लोकेशन से। फिर भी पुलिस या दूसरी जांच एजेंसियां इनको पकड़ नहीं पाई हैं।  

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