राजपथ - जनपथ
प्रेमीजोड़ों पर नया तनाव
अपनी प्रेमिका को रायपुर से बगल के ओडिशा के बलांगीर ले जाकर उसकी हत्या कर देने वाले कारोबारी सचिन अग्रवाल की खबर ने लोगों को हक्का-बक्का कर दिया है। अभी तक सोशल मीडिया पर एक तबका ऐसी हत्या को मुस्लिम नौजवानों से जोडक़र दिखाने की कोशिश में लगा हुआ था, और वैसे में एक अग्रवाल कारोबारी के हत्यारे होने की बात उनकी कोशिशों में ठीक से फिट नहीं बैठ रही है। इस हत्यारे ने हत्या के बाद लडक़ी की लाश को भी जंगल में जलाने की कोशिश की थी, और रायपुर पुलिस ने कल उसे गिरफ्तार भी कर लिया है। इस मामले से जवान लडक़े-लड़कियों के सामने गैरजिम्मेदारी से चुने गए रिश्तों के खतरे तो सामने आएंगे ही, धर्म के नाम पर भडक़ाना भी कुछ समय के लिए तो थमेगा। आज जब मोबाइल फोन, सोशल मीडिया, और सीसीटीवी टेक्नालॉजी की मेहरबानी से तकरीबन तमाम बड़े जुर्म आनन-फानन पकड़ में आ जाते हैं, उसके बाद भी लोगों को ऐसे कत्ल की सूझती है, यह बात जरूर हैरान करती है। साथ घूमने वाले लडक़े-लड़कियों को इस ताजा घटना से कुछ वक्त जरूर आसपास के लोगों का विरोध झेलना पड़ेगा क्योंकि इस कत्ल को एक मिसाल की तरह पेश किया जाएगा, और प्रेमीजोड़ों को अधिक शक की निगाह से देखा जाएगा।
दोनों प्रदेशों में युद्धविराम
राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो पदयात्रा के दौरान चुनाव प्रचार या पार्टी के लड़ाई-झगड़ों से दूरी बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। गुजरात के चुनाव में उन्होंने बहुत मामूली सा हिस्सा लिया, और उसके बाद वे आम लोगों के बीच सडक़ पर लौट आए। फिर भी उनका महत्व पार्टी में बड़ा बना हुआ है, और जब वे अपने साथ एक तरफ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लेकर चलते हैं, और दूसरी तरफ टी.एस. सिंहदेव दिखते हैं, तो लगता है कि वे छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेताओं के बीच चल रही तनातनी को संतुलित करने की कोशिश भी कर रहे हैं। इसी के साथ ही छत्तीसगढ़ के विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत को साथ लिए चलते हुए राहुल गांधी का भी एक वीडियो सामने आया, और कई तस्वीरें भी। इसके साथ-साथ एक पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने राजस्थान के गहलोत-पायलट टकराव को भी ठंडा करने सरीखी कोई बात कही। ऐसा लगता है कि इन दोनों ही प्रदेशों में राहुल के किए हुए या कांग्रेस संगठन के दूसरे नेताओं के किए हुए महत्वाकांक्षी नेताओं के बीच युद्धविराम हो गया है जो कि विधानसभा चुनाव तक जारी रहने का एक संकेत है। राजस्थान में तो फिर भी एक बार सचिन पायलट कांग्रेस विधायक दल में बगावत की कोशिश कर चुके हैं, और दूसरे प्रदेश में जाकर डेरा डाल चुके हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसी नौबत के भी कोई आसार नहीं हैं।
हर थाने में होता है एक रूपलाल
पुलिस अफसर जनता के बीच दोस्ताना छवि बनाने के लिए कितनी ही कोशिशें करते हैं। गांव-गांव दस्तक देते हैं, बच्चों को थाने में बुलाकर टॉफियां बांटते हैं, सुरक्षा समिति और पुलिस मित्र बनाते हैं। पर बिल्हा जैसी घटना इन तमाम कोशिशों पर एक झटके में पानी फेर देती है। रिश्वत की मांग और पिता की पिटाई से क्षुब्ध युवक हरीश की आत्महत्या का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की निगाह में आ गया है। आयोग की कानूनी ताकत चाहे जितनी हो पर पुलिस की फजीहत के लिए नोटिस ही काफी है। जिस सिपाही ने मृतक युवक को रिश्वत नहीं दे पाने पर मर जाने की चुनौती दी, उसे पहले सिर्फ लाइन हाजिर किया गया। जब ज्यादा दबाव बढ़ा तो निलंबित कर दिया। पुलिस अफसर अब भी उसके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध दर्ज करने से बच रहे हैं। जबकि मृतक के माता-पिता के बयान से साफ हो चुका है कि हरीश को पुलिस ने ही मरने के लिए विवश किया। यह किसी के गले नहीं उतर रहा कि आरोपी सिपाही रूप लाल चंद्रा बिना अपने अफसरों के इशारे से बड़ी रकम 20 हजार रुपयों की मांग कर रहा हो। इसका कुछ माह पहले तबादला हुआ था, पर थाना-प्रभारी से कहकर उसने रुकवा लिया। दरअसल रूपलाल की तरह एक दो सिपाही हर थाने में होते हैं जो वसूली के ही काम में लगाए जाते हैं। ऐसा लग रहा है कि बुरे वक्त में इस सिपाही को अफसरों का साथ मिल रहा है। मगर, इस समय रेट बहुत बढ़ गया है। सोचिये, जब कोई साइकिल टूट जाने पर 20 हजार रुपये में छूटेगा तो दारू, सट्टा, बलवा केस में बचाने का क्या रेट चल रहा होगा? बिलासपुर के विधायक शैलेष पांडेय ने इसीलिए गृह मंत्री के सामने मंच से मांग उठाई थी कि थानों में रेट लिस्ट टांग दी जाए।
बहिष्कार व कसम का सहारा
प्रचार के अंतिम चरण में भानुप्रतापपुर में वोट हासिल करने के लिए कसम खिलाई जा रही है और समाज से बहिष्कृत करने की चेतावनी दी जा रही है। आदिवासी सुरक्षित सीट में सभी प्रत्याशी समाज के ही हैं फिर किसकी चेतावनी का कितना असर होगा, यह वोटों की गिनती होने से ही पता चलेगा। पर जिला निर्वाचन अधिकारी ने सर्व आदिवासी समाज के निर्दलीय उम्मीदवार अकबर कोर्राम को नोटिस थमा दी है। पता चला है कि उन्होंने इसका जवाब भी दे दिया है। इसके अलावा गोंडवाना समाज का प्रत्याशी भी मैदान में है।आरोप है कि उनकी तरफ से भी लिखित बयान दिया गया कि जो विरोध में काम करेगा, उसका सामाजिक बहिष्कार होगा। कोर्राम के समर्थकों का आरोप है कि उनको नोटिस तो दे दी गई पर गोंडवाना पार्टी को बख्श दिया गया।
बुजुर्गों को पेंशन की परेशानी
नवंबर महीने में वृद्ध हो रहे पेंशनधारकों को बैंकों में अपने जीवित होने का प्रमाण जमा करना होता है। पर बायोमेट्रिक मशीन और आधार केंद्रों में बुजुर्गों का फिंगर प्रिंट नहीं मिलने के कारण उन्हें पेंशन नहीं मिल रही है। ऐसी समस्या बस्तर, रायपुर, बिलासपुर सभी जगहों में आ रही है। 30 नवंबर को प्रमाण पत्र जमा करने का समय भी बीत गया। कुछ दिनों बाद आंकड़ा सामने आएगा कि प्रक्रिया पूरी करने से कितने लोग वंचित रह गए। यह संख्या हजारों में हो सकती है। कोविड महामारी के दौरान जीवित होने के प्रमाण देने की सुविधा पोस्टऑफिस में भी शुरू की गई थी। यह अब भी चालू है। ऐसा बैंकों में बुजुर्गों को लंबी लाइन से बचाने के लिए किया गया था लेकिन फिंग्रर प्रिंट का मिलान नहीं होने पर बैंकों में ही जाना पड़ रहा है। बिहार में बुजुर्गों की लाइफ सर्टिफिकेट के लिए घर पहुंचकर सेवा देने की व्यवस्था की गई है। यूपी में फेस रीडिंग के माध्यम से जीवित होने का प्रमाण पत्र तैयार किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में 100 से अधिक सेवाओं की घर पहुंच सेवा देने के लिए मितान योजना हाल ही में शुरू की गई है। बैंक सखियां पहले से ही विभिन्न योजनाओं की राशि लोगों को घर जाकर दे रही हैं। जीवन प्रमाण पत्र देने के काम में शायद इन्हें लगाया जा सकता है।