राजपथ - जनपथ
हर बार वे अधिक ताकतवर
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की क्षमता को देखकर लोग दंग हैं। कल जब वे विधानसभा में भारी राजनीतिक, सामाजिक, और चुनावी महत्व का आरक्षण विधेयक लाकर उसे भानुप्रतापपुर चुनाव के पहले राज्यपाल से मंजूर करवा लेने में लगे थे, ऐन उसी वक्त उनकी उपसचिव सौम्या चौरसिया को ईडी द्वारा गिरफ्तार कर लेने की खबर भी आ रही थी। इस गिरफ्तारी की आशंका कई दिनों से थी, लेकिन कल दोपहर से जिस तरह के तनाव की खबरें आ रही थीं, उनके बीच मुख्यमंत्री का विधानसभा में पूरी ताकत से लगे रहना लोगों को हैरान कर रहा था। इस गिरफ्तारी के अदालत तक पहुंच जाने के बाद भूपेश बघेल ने ट्विटर पर इसे एक राजनीतिक कार्रवाई बताकर इसका विरोध भी किया। विधानसभा के काम का तनाव, और ईडी की बेकाबू कार्रवाई से उपजा तनाव, इनके बीच भी वे कल रात शहर के एक प्रमुख चिकित्सक और अंधविश्वास के खिलाफ दशकों से लड़ते चले आ रहे डॉ. दिनेश मिश्रा के परिवार की शादी में भी गए, और भी दो-तीन शादियों में गए, वहां लोगों के साथ जमकर मिले, और अनगिनत तस्वीरें भी खिंचवाईं। विपरीत परिस्थितियों में किस तरह अपने आप पर काबू रखा जा सकता है, यह कोई कामयाब नेताओं से सीख सकते हैं, जिनकी जिंदगी में ऐसे कई दौर आते हैं, और वे उनसे उबरकर, अधिक तपकर निकलते हैं, भूपेश बघेल इसके पहले भी परेशानियों से घिरे हैं, और हर बार वे अधिक ताकतवर होकर उबरे हैं।
सडक़ पर कहानी बेचता लेखक
यह नौजवान मुंबई की सडक़ पर भरी दोपहरी में खड़ा होकर अपनी कहानी के लिए फिल्म प्रोड्यूसर की तलाश कर रहा है। सोनू बंजारे नाम देखकर लगा कि वे छत्तीसगढ़ से होंगे। अंदाजा सही निकला। सीपत बिलासपुर के सोनू फिल्म लाइन में पैर जमाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ओटीटी पर कुछ-कुछ काम भी मिल रहा है। पर फिलहाल अधिक व्यस्त नहीं हैं। देश के अलग-अलग राज्यों से आए पांच स्ट्रगलर एक साथ रहते हैं। सोनू का खर्च इस समय वे ही चला रहे हैं। कोविड में दूसरी बार लॉकडाउन लगा तो सब तरफ बंद चल रहा था। लोग महानगरों से घर की ओर लौट रहे थे, पर उसी वक्त सोनू सीपत छोडक़र मुंबई पहुंच गए। कोई ऑफर, कोई बुलावा नहीं था। फिर भी जुनून उन्हें ले गया। उन्हें उम्मीद है कि एक दिन कामयाबी जरूर मिलेगी। साहित्यकार असगर वजाहत ने अपनी फेसबुक पोस्ट में कुछ इस तरह से सोनू का जिक्र किया है कि लेखक पर पाठक तक पहुंचने की जिम्मेदारी भी आती है। सन् 1942 में मुंबई से जंग नाम का उर्दू अखबार निकला करता था। यह उस ज़माने का बहुत चर्चित समाचार पत्र था जिसके सहादत हसन मंटो नियमित लेखक थे। उनकी प्रसिद्ध कहानियां काली सलवार, धुंध और बू किसी अखबार में पहली बार छपी थीं। इस अखबार को मुंबई की सडक़ों पर सज्जाद ज़हीर, कैफी आज़मी, मनीष सक्सेना, सिब्ते हसन, एस. एम.महंदी जैसे बहुत प्रतिष्ठित लेखक बेचा करते थे। मैंने मन ही मन सोचा, संघर्ष करने वाला कभी अकेला नहीं होता। उसके साथ कुछ लोग आकर ज़रूर जुड़ जाते हैं।
केबीसी होस्ट को पैरा आर्ट
कोरबा के चंद्रशेखर चौरसिया को पापुलर टीवी गेम शो कौन बनेगा करोड़पति में हॉट सीट पर बैठने का मौका मिला। उन्होंने अमिताभ बच्चन को छत्तीसगढ़ में पैरा (पुआल) से बनाई जाने वाली कलाकृतियों के बारे में बताया और पैरा से बना हल चलाते हुए किसान का एक चित्र भी भेंट किया। खास बात यह भी है कि यह कृति उन्होंने खुद ही बनाई है।
बीपीएल का बिजली बिल संकट
प्रत्येक घरेलू उपभोक्ता के लिए बिजली विभाग खपत की सीमा निर्धारित करता है और उसी के हिसाब से सुरक्षा निधि भी लेता है। साल में एक बार इसकी समीक्षा होती है और औसत से अधिक खपत होने पर सुरक्षा निधि बढ़ा दी जाती है, जिसे बिजली बिल में ही जोड़ दिया जाता है। जिन लोगों ने ज्यादा बिजली इस्तेमाल की है उन्हें इस बार बढ़ा हुआ बिल दिखाई दे रहा है। इसे लेकर उपभोक्ताओं में नाराजगी है। कई जगह आंदोलन हो रहे हैं। सूरजपुर में तो भाजयुमो ने बिजली दफ्तर में पिछले दिनों ताला ही जड़ दिया था। इधर एक दूसरी समस्या बीपीएल परिवारों के सामने आ गई है। उन्हें 30 यूनिट बिजली फ्री दी जा रही है, पर यह छूट तभी मिलती है जब वे सालभर में 1200 यूनिट की खपत करें। पहले के वर्षों में इस दायरे के बाहर बिजली जलाने पर भी 30 यूनिट फ्री होती थी। प्रदेश के करीब 3.5 लाख बीपीएल श्रेणी के उपभोक्ताओं ने ज्यादा बिजली खपाई और उन्हें छूट से हटाकर पूरा बिल दे दिया गया है। पहले इन उपभोक्ताओं से सुरक्षा निधि भी नहीं ली जाती थी। इसे राज्य सरकार वहन करती थी, पर 1200 यूनिट से बढ़ते ही चूंकि वे छूट के दायरे से बाहर आ गए हैं इसलिए उनसे सुरक्षा निधि भी वसूल की जाएगी। हालांकि इस बार के बिल में सुरक्षा निधि जोडक़र नहीं भेजा गया है लेकिन आगे आने वाले बिल में संभव है।
कई राज्यों में फ्री बिजली का मुद्दा छाया हुआ है। पंजाब सरकार ने हाल ही में पूरे पेज के विज्ञापन में बताया कि लाखों उपभोक्ताओं का बिजली बिल जीरो आया है। गुजरात में भी आम आदमी पार्टी ने वादा किया है। छत्तीसगढ़ में 400 यूनिट तक की बिजली का बिल आधा करने का वादा कर पिछले चुनाव में कांग्रेस ने बढ़त बनाई थी। भाजपा भले ही फ्री बिजली की हिमायती नहीं हो, पर इसे वह इस मुद्दे को उठा रही है। चुनाव नजदीक आता जा रहा है। हो सकता है आगे बीपीएल श्रेणी को छूट मिले, पर फिलहाल तो बिजली विभाग ने रियायत का कोई संकेत नहीं दिया है।