राजपथ - जनपथ

क्या इस बार दो-दो बातें होंगीं?
खबर है कि जयसिंह अग्रवाल की कलेक्टर के खिलाफ खुले तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी से सीएम नाखुश हैं। अग्रवाल पहले भी अपने गृह जिले कोरबा के कलेक्टरों पर काफी कुछ बोल चुके हैं। मौजूदा कलेक्टर संजीव झा से पहले रानू साहू, और किरण कौशल भी मंत्रीजी के गुस्से का शिकार हो चुकी हैं। मगर इस बार बिना किसी प्रमाण के कलेक्टर पर घूसखोरी का आरोप लगाने से आईएएस एसोसिएशन भी नाखुश है। सीएम भूपेश बघेल लौटने के बाद राजस्व मंत्री से बात कर सकते हैं। देखना है आगे क्या होता है।
ये कलेक्टर भी शिफ्ट होंगे?
कोरबा में मंत्री जयसिंह अग्रवाल फिर कलेक्टर से नाराज हैं। पूछ लिया है कि कलेक्टरी करने आए हैं या घूसखोरी। दरअसल, ट्रैफिक बढऩे के कारण ट्रांसपोर्टनगर को शिफ्ट किया जाना है। पहले के प्लान के अनुसार इसे बरबसपुर लेकर जाना है। मंत्री ने सुना कि इस प्लान को बदला जा रहा है, नई जगह तलाश की जा रही है तो उन्होंने स्थल पर पहुंचकर कलेक्टर को बुलाया। कलेक्टर पहुंचे नहीं। अपर कलेक्टर और दूसरे अफसरों को भेज दिया। आधी नाराजगी तो इसी को लेकर थी। न कोई मीटिंग में हैं, न शहर से बाहर हैं, फिर भी नहीं आए। बाकी अफसरों से पूछा बरबसपुर की जगह कोई नई जगह क्यों तय की जा रही है। बताया गया कि यहां काफी संख्या में निजी जमीन है। लोगों को हटाना मुश्किल होगा। पर मंत्री को पता था कि यहां सब सरकारी जमीन थी। निजी लोगों के नाम पर तो बाद में चढ़ा दी गई। तहसीलदार, पटवारी के अलावा और कौन यह काम करेगा? मंत्री ने कहा- ट्रांसपोर्टनगर यहां के अलावा कहीं और शिफ्ट नहीं होगा, शिफ्ट होंगे तो कलेक्टर। देखें, मंत्री और कलेक्टर एक दूसरे को कब तक बर्दाश्त करेंगे।
सचमुच तरक्की हुई है..
छत्तीसगढ़ सचमुच ही बहुत तरक्की कर रहा राज्य है। राजधानी रायपुर की सडक़ों पर 18 से 23 लाख तक में आने वाली एक महंगी कार पर नायब तहसीलदार लिखा दिख रहा है और नायब तहसीलदार के ऊपर के अफसरों के लिए तो आटोमोबाइल बाजार में और बड़ी गाडिय़ां हैं ही।
मर्यादा लांघने से क्या होगा?
आरक्षण विधेयक को लेकर भाजपा कांग्रेस के बीच चल रही जुबानी जंग बस्तर में कुछ ज्यादा ही तल्ख हो गई है। पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने बीजेपी कार्यालय में कह दिया कि अगर कवासी लखमा असल मां-बाप के बेटे हैं तो आरक्षण लागू करके दिखाएं। लखमा भी पीछे नहीं हटे, जवाब आ गया। मैंने तो मां का दूध पिया है। केदार ने अपनी मां का दूध पिया है तो विधेयक की फाइल पर राज्यपाल की दस्तखत कराके दिखाएं।
आरक्षण का मुद्दा बेहद संवेदनशील है। यह कांग्रेस-भाजपा दोनों ही दलों के लिए नाक का सवाल बन चुका है। पर इसके लिए एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने के लिए जिस तरह से अमर्यादित बोल निकल रहे हैं, वह जगहंसाई का कारण बन रहा है।
खटारा बसों में सफर
बस की हालत बता रही है कि इसे दुर्घटनाग्रस्त होने से कोई रोक नहीं सकता। परिवहन विभाग की जिम्मेदारी है कि बसों का फिटनेस नियमित रूप से चेक करे। पर ग्रामीण इलाकों में जिस हालत में सवारी बसें चल रही हैं, उससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि चेकिंग के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। पिछले दिनों कुनकुरी से अंबिकापुर जा रही यह बस एक घाट में पलट गई थी। गनीमत है कि यात्री सिर्फ घायल हुए।
टमाटर ने कर्ज में डुबाया
रायगढ़ जिले में खासकर पत्थलगांव में बीते तीन-चार सालों से टमाटर की फसल लेने वाले किसानों को अच्छा फायदा हुआ। बीते साल इसकी खेती 12 हजार एकड़ तक पहुंच गई थी। इस बार और ज्यादा किसानों ने टमाटर की खेती की, करीब 17 हजार एकड़ में खेती की गई। नतीजा यह रहा कि अब खरीदार नहीं मिल रहे हैं। हालत यह है कि थोक व्यापारी 3 रुपये किलो की बोली लगा रहे हैं। इससे कई गुना तो किसानों को खेती में खर्च बैठ गया है। अधिकांश ने बेचकर चुकाने के भरोसे कर्ज भी ले रखा है। पर, हालत यह है कि वे फसल खेतों में ही सडऩे के लिए छोड़ रहे हैं। यह सरकारी एजेंसियों का काम था कि बाजार में मांग का आकलन कर किसानों को सचेत किया जाता और दूसरी फसल लेने के लिए कहा जाता। टमाटर के लिए रायगढ़ इलाके में फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की कई बार बात हुई है। बीते मार्च माह में क्षेत्रीय सांसद गोमती साय ने लोकसभा में यूनिट लगाने की मांग उठाई थी। उन्होंने बताया था कि टमाटर, आलू, मिर्च जैसी फसलों का बंपर उत्पादन होने के कारण तत्काल अच्छी कीमत नहीं मिल पाती। सांसद ने सवाल उठाने के बाद क्या प्रयास अपने स्तर पर किया, यह पता नहीं। पर इस बार तो टमाटर उगाने वाले हजारों किसान ठगा महसूस कर रहे हैं।