राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सबसे बड़ा सेवक ही मुखबिर
18-Dec-2022 4:47 PM
 	 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सबसे बड़ा सेवक ही मुखबिर

सबसे बड़ा सेवक ही मुखबिर

इन दिनों न सिर्फ छत्तीसगढ़ में, बल्कि हिन्दुस्तान में कहीं भी बलात्कार और हत्या के, किसी दूसरे बड़े जुर्म के तकरीबन तमाम मामले तेज रफ्तार से सुलझ जाते हैं। इसकी अकेली वजह मोबाइल फोन और सीसीटीवी कैमरे हैं। निजी और सार्वजनिक जगहों पर इन दोनों ही किस्म के कैमरे लगातार बढ़ते चल रहे हैं, हर नए कैमरे की क्वालिटी पहले से बेहतर है, रिकॉर्डिंग अधिक समय तक दर्ज रहती है, और पुलिस के काम आ जाती हैं। इसी तरह लोगों की जिंदगी में मोबाइल फोन खाने-पीने और नींद के बाद की अगली जरूरी चीज हो गए हैं, और लोग पखाने जाते हुए भी मोबाइल साथ जंगल या खेत ले जाते हैं। नतीजा यह होता है कि किसी भी जुर्म के बाद संदिग्ध लोगों के मोबाइल, वारदात के इलाके की टेलीफोन कॉल्स को ढूंढना आसान हो गया है, और पुलिस तेजी से मुजरिमों को पकड़ लेती है। अब पुलिस के कुत्ते भी उनकी जरूरत घटती चली जाने से उदास होकर बैठे रहते हैं क्योंकि मोबाइल कॉल डिटेल्स और लोकेशन के विश्लेषण में उनका कोई काम नहीं रह गया है। लोगों को याद होगा कि ओसामा-बिन-लादेन मारे जाने के बरसों पहले से अपने आपको किसी भी तरह के फोन से दूर रखते आया था। इन दिनों तो हर आम व्यक्ति के मोबाइल पर दस-दस एप्लीकेशनों पर लोकेशन ऑन रहती है, और पुलिस का काम आसान हो गया है। बिलासपुर, रायपुर, और दूसरे शहरों में बड़ी-बड़़ी हत्या, और बड़े-बड़े दूसरे जुर्म के अगले ही दिन पुलिस मुजरिमों तक पहुंच रही है। इंसानों का सबसे बड़ा सेवक मोबाइल उसका सबसे बड़ा मुखबिर भी बन गया है।

भाजपा में असमंजस जारी

भूपेश सरकार के चार साल पूरे होने पर राजधानी रायपुर में पिछले मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सरकार पर जमकर हमला किया, और नौ पेज का एक प्रेसनोट भी प्रेस कांफ्रेंस में जारी किया। इसकी लंबाई देखकर एक जानकार पत्रकार ने कहा कि डॉक्टर साहब के किसी विरोधी ने ऐसा प्रेसनोट बनाया है जिसे पूरा पढऩा भी रिपोर्टरों को भारी पड़ेगा। इन दिनों को इतनी मेहनत नहीं करते कि प्रेसनोट को काटकर उसे एक चौथाई से भी कम करें। भाजपा की दूसरी चूक यह भी हुई कि जिस दिन उसके बड़े नेता अलग-अलग संभागीय मुख्यालयों पर भूपेश सरकार के खिलाफ प्रेस कांफ्रेंस ले रहे थे, उसी दिन छोटे-छोटे कस्बों में भी भाजपा के स्थानीय नेता भूपेश बघेल के खिलाफ प्रेस से बातचीत कर रहे थे। राज्य सरकार के खिलाफ एक दिन में एक ही किस्म के कितने बयान खबरों में जगह पा सकते हैं? लेकिन भाजपा की हालत देखकर अभी यह समझ नहीं पड़ता है कि अगले चुनाव में उसका कौन सा काम राज्य के नेता करेंगे, और कौन सा काम नरेन्द्र मोदी के चेहरे के हवाले रहेगा। इसी दुविधा के चलते छत्तीसगढ़ भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं में असमंजस दिखते रहता है।

बोलती बंद हो जाएगी

गुरु घासीदास जो संदेश दे गए वे केवल उनके अनुयायियों के लिए नहीं बल्कि सभी के लिए उपयोगी हैं। पर, बहुत मुश्किल है, खुद को जगाना, इन विचारों को अपने-आप पर लागू करना। अब उनकी नसीहतों में से एक यह भी है, मूर्तिपूजा न करना, इस पर बहुत से लोगों की बोलती बंद हो जाएगी।

अधिवेशन तक अभयदान

यह राजनीतिक कहावत है कि मौत और कांग्रेस की टिकट या पद का कोई भरोसा नहीं। बावजूद इसके यह कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ पीसीसी चीफ को अभयदान मिल गया है। कम से कम एआईसीसी के अधिवेशन तक। वैसे अपनी कुर्सी बचाने, चीफ काफी पदयात्रा कर रहे हैं। कन्याकुमारी से जयपुर तक एक कर रखा है। मौका मिलते ही राहुल जी के साथ कदमताल करने जाने से नहीं चूक रहे। खडग़ेजी ने जिस तेजी से बदलाव शुरू किया है, किसी भी दिन छत्तीसगढ़ की बारी आ सकती है। एक बड़ा भारी बदलाव तो वे कर ही चुके हैं।
 राहुल जी ने कुछ दिन का ब्रेक लिया हुआ है। जिस दिन खडग़े जी के साथ बैठक होगी तो न कहीं छत्तीसगढ़ की बारी न आ जाए। वो तो भला हो, कका का कि अधिवेशन की मेजबानी मांग ली, तैयारी भी शुरू कर दी है। ऐसे में खडग़े जी रिस्क नहीं लेंगे। पीसीसी चीफ बदलेंगे तो पूरी पीसीसी, जिलाध्यक्ष, मोर्चा विभाग सभी बदलने होंगे। जो इतनी जल्दी संभव नहीं। इसलिए फिलहाल अभयदान है।

पत्रकार-मिलन

चार साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तरफ से मीडिया के लोगों को दोपहर के भोजन पर बुलाया गया तो एक घंटे पत्रकार आपस में ही बात करने में मशगूल रहे क्योंकि मुख्यमंत्री कुछ टीवी चैनलों को इंटरव्यू देने में लगे हुए थे। लेकिन पत्रकारों के बीच आपसी बातचीत का यह मौका भी कम अहमियत का नहीं रहा क्योंकि चुनाव के साल भर पहले राज्य में जिस तरह की गहमागहमी चल रही है, उस पर लोगों का आपस में बतियाने का काफी कुछ सामान इक_ा था। जो नहीं छपा है उसकी बात करने का भी, और जो अब तक नहीं घटा है, उसकी बात करने का भी। बाकी बातों के साथ-साथ पत्रकारों से जुड़ी कुछ खबरों और कुछ अफवाहों पर भी बात चलती रही। कुछ लोगों को यह भी अफसोस रहा कि चार साल पूरी होने की दावत भी अगर दिन में ही होगी, तो फिर शाम की दावत आखिर कब होगी?

आरक्षण बिल और ओबीसी वोट

विधानसभा में पारित आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल अनुसुईया उइके की ओर से पूछे गए 10 सवालों का सरकार की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं भेजा गया है। इस बीच राज्यपाल दिल्ली रवाना हो गई हैं। बताया जा रहा है कि वे राष्ट्रपति दौप्रदी मुर्मू और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगीं। दरअसल, राज्यपाल का विधेयक रोका जाना अनुसूचित जनजाति के पक्ष में दिखाई तो दे रहा है, पर ओबीसी के खिलाफ। राज्यपाल को राजनीतिक गतिविधियों से परे, तटस्थ माना जाता है। इसके बावजूद हर किसी को पता है कि राज्यपाल का फैसला केंद्र सरकार की मंशा के अनुरूप ही होता है। भाजपा ने पिछड़ा वर्ग पर, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल या कहें कांग्रेस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दोनों ही पद पिछड़ा वर्ग को दे दिया है। ऐसे में आरक्षण विधेयक पर दस्तखत नहीं होने से भाजपा के इन प्रयासों को धक्का पहुंच सकता है। देखना होगा राज्यपाल किस तरह का ‘मार्गदर्शन’ लेकर दिल्ली से लौटती हैं।

नाबालिग अपराध में अव्वल राज्य

रायपुर और उसके पहले बेमेतरा में नाबालिग लड़कियों के साथ रेप हुआ। रेप के बाद हत्या भी की गई। दोनों ही मामलों में आरोपी नाबालिग ही थे। इसके अलावा प्रदेशभर से आने वाली ख़बरें बताती हैं कि चाकूबाजी, चोरी और जालसाजी में भी नाबालिग बड़ी संख्या में हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का आंकड़ा भयभीत करता है। पूरे देश में सबसे ज्यादा नाबालिग अपराधियों की संख्या छत्तीसगढ़ में है। कुल दर्ज होने वाले अपराधों में 20.6 प्रतिशत नाबालिग करते हैं। मध्यप्रदेश का इससे थोड़ा कम 19.8 प्रतिशत है। देश के बाकी राज्यों में यह संख्या 12 से 5 प्रतिशत है।

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