राजपथ - जनपथ

टिकट और चेहरे पर चर्चा
गुजरात में 54 प्रतिशत वोट शेयर के साथ भाजपा की हुई प्रचंड जीत से छत्तीसगढ़ में भी पार्टी कार्यकर्ता उत्साह से भरे हुए हैं। मगर, टिकट वितरण किस तरह से होगा, इसे लेकर बहुत से लोग अभी से चिंतित दिखाई दे रहे हैं। गुजरात का फॉर्मूला टिकट बांटने में यहां पर भी लागू हुआ तो कई नेता रेस से बाहर हो सकते हैं। नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष को बदलने का जोखिम भरा फैसला लेने के बाद अब भाजपा शीर्ष नेतृत्व टिकट बंटवारे में क्या करने वाली है, इस पर महारथियों और नए दावेदार दोनों की नजर है। पिछले साल गुजरात में पूरा मंत्रिमंडल बदल कर भाजपा नेतृत्व ने चौंकाया था। इस बार वहां कई दिग्गजों की टिकट कट गई। छत्तीसगढ़ में इस समय 14 विधायक हैं, जिनमें से पुन्नूलाल मोहले, विद्यारतन भसीन, ननकीराम कंवर और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की उम्र 70 से अधिक है। युवा चेहरों को मौका देने की रणनीति पर काम किया गया तो ये नाम सूची से बाहर भी हो सकते हैं। प्रदेश भाजपा की पूर्व प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी और अब नए प्रभारी ओम माथुर स्पष्ट कर चुके हैं कि छत्तीसगढ़ में किसी स्थानीय चेहरे को सामने रखकर चुनाव नहीं लड़ा जाएगा। इसका मतलब यही हो सकता है कि राज्य का चुनाव भी केंद्र सरकार की उपलब्धि और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को सामने रखा जाएगा। जब भाजपा ने सन् 2019 की लोकसभा के लिए सभी सांसदों की टिकट काट दी तब इस फैसले को अप्रत्याशित माना गया, पर दांव सटीक रहा क्योंकि 11 में से 9 सीट उसे मिल गई। उस चुनाव में मोदी ही सामने थे। पर, क्या विधानसभा चुनाव में भी गुजरात की तरह उनका चेहरा काम करेगा?
जान गंवाने वाले कहां कितने?
जहरीली, नकली या मिलावटी शराब पीने वालों की सबसे ज्यादा मौतें 2021 में, उत्तर प्रदेश में हुई थी। यह संख्या 137 थी। इसके अलावा पंजाब में 127, मध्यप्रदेश में 108, कर्नाटक में 104, झारखंड में 60 और राजस्थान में 51 थी। यानि सबसे ज्यादा मौतों वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ शामिल नहीं था। सन् 2020 में जब कोविड के चलते देशभर में काफी दिनों तक शराबबंदी थी, मध्यप्रदेश में 214, झारखंड में 139, कर्नाटक में 99 और छत्तीसगढ में 67 लोगों ने दम तोड़ दिया। सन् 2019 में सबसे ज्यादा 268 कर्नाटक में मरे, 191 पंजाब में, 190 मध्यप्रदेश में, छत्तीसगढ़ और झारखंड में 115-115 मौतें हुई, असम में 98 और राजस्थान में 88 लोगों ने जान गंवाई। यानि 2019 और 2020 में शीर्ष राज्यों में छत्तीसगढ़ शामिल रहा। हाल ही में बिहार में जहरीली शराब पीने से हुई 100 से ज्यादा मौतों के बाद नितीश कुमार सरकार पर दबाव बढ़ रहा है कि वे शराबबंदी खत्म करें। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पहले से मांग करते आए हैं, प्रशांत किशोर ने अल्टीमेटम भी दे दिया है। पर इन आंकड़ों में एक बड़ा दिलचस्प तथ्य छिपा हुआ है। बिहार के आंकड़े को अलग रख दें तो सबसे ज्यादा शराब की वजह से हो रही मौतों में टॉप पर एक भी राज्य ऐसा नहीं है जहां शराबबंदी हो। इस समय बिहार के अलावा गुजरात, मिजोरम, नगालैंड और लक्षद्वीप में शराबबंदी है, जहां मौतें काफी कम है। इसलिए इस तर्क को जायज ठहराना मुश्किल है कि शराबबंदी हो जाने से पीने के शौकीन मारे जाएंगे। दरअसल, जहां शराबबंदी है वहां भी दूसरे राज्यों से शराब आ ही जाती है। बिहार में ही झारखंड से शराब की तस्करी होती है। गुजरात घूमकर आने वाले बताते हैं कि वहां भी सुलभ है। मिजोरम, नगालैंड में अंगूर से बनी वाइन को छूट देनी पड़ी है। गुजरात में कुछ स्टोर्स हैं, जहां विदेशियों और दूसरे राज्यों से आने वालों को परमिट जारी कर शराब दी जाती है। शराबबंदी वाले राज्यों में सरकार को राजस्व नहीं मिलता, स्मगलरों की जेब भर जाती है। यदि छत्तीसगढ़ सरकार विरोधी दलों के दबाव के बावजूद अपना चुनावी वादा लागू करने से कतरा रही है तो वह बेवजह नहीं है।
ऑनलाइन भिक्षा
यह भिखारी बहुत तंग आ चुका होगा, उनसे जो चिल्हर नहीं होने का बहाना करके धंधा खराब करते हैं। अब तो हर मोबाइल फोन पर ट्रांजेक्शन के लिए कोई न कोई वालेट होता ही है। बदलते दौर की मांग को देखते हुए इसने भी फोन पे से भीख लेना स्वीकार कर लिया है। तस्वीर आधी रात को रायपुर रेलवे स्टेशन से ली गई है।