राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : पिछले राज्यपाल, और अब...
03-Jan-2023 3:58 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : पिछले राज्यपाल, और अब...

पिछले राज्यपाल, और अब...

छत्तीसगढ़ में आज कांग्रेस पार्टी आरक्षण विधेयक को राज्यपाल से मंजूरी मिलने में देरी के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है। राजभवन के खिलाफ इस राज्य के दो दशक के इतिहास में इतना आक्रामक रूख कभी नहीं रहा। राजभवन पर हमला करते हुए अभी दो दिन पहले राजधानी के भाजपा कार्यालय, एकात्म परिसर, की तरफ आने वाली सडक़ पर ऐसे बोर्ड लगाए गए थे जिन पर लिखा था- राजभवन का नियंत्रण केन्द्र इधर है।

अब यह मानने की तो कोई वजह नहीं है कि कांग्रेस के अलावा किसी ने ऐसे बोर्ड लगाने में खर्च किया होगा। अब इसके बाद आज इस वक्त कांग्रेस का जो प्रदर्शन शुरू हो रहा है, उसमें भी लाख लोगों के आने की बात कही गई थी, और यह दावा खुद कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती रहने वाला है। आज विधानसभा का सत्र भी चल रहा है, और कांग्रेस सडक़ों पर राज्यपाल को नींद से जगाने के लिए हल्ला बोलने जा रही है कि आरक्षण विधेयक को राज्यपाल नाजायज तरीके से रोककर न रखें। कांग्रेस-सरकार तो आक्रामक है ही, ऐसा लगता है कि राजभवन भी सद्भावना का संबंध बनाए रखने में नाकामयाब रही है। राजभवन का संबंध घटते-घटते अब सिर्फ भाजपा और उसके सहयोगी संगठनों तक सीमित हो गया दिखता है, वरना इसके पहले भी 20 बरस इस राज्य में विपक्षी केन्द्र सरकार के मनोनीत राज्यपाल रहे हैं, लेकिन ऐसा टकराव कभी नहीं हुआ। मनमोहन सिंह सरकार के भेजे हुए राज्यपाल शेखर दत्त के तो तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से ऐसे आत्मीय संबंध रहे कि जब शेखर दत्त राज्य से जाने लगे, तो उन्होंने अपने फौज के दिनों के, 1971 के युद्ध के प्रतीक चिन्ह की तरह रखे गए तोप के गोलों के खोल से बनाया हुआ एक सेंटर-टेबिल डॉ. रमन सिंह को तोहफे में दिया था। लेकिन अब राजभवन भी सद्भावना से परे हो गया दिखता है। ,

तारीफ तो ठीक, मांगों का क्या?

छत्तीसगढ़ के गोधन न्याय योजना की मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित कुछ भाजपा शासित राज्य न केवल प्रशंसा कर चुके हैं बल्कि इससे मिलती-जुलती योजना भी लागू कर चुके हैं या करने जा रहे हैं। पिछले दिनों केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने छत्तीसगढ़ सरकार की उस योजना की तारीफ की थी जिसमें सरकारी भवनों का रंग-रोगन गोबर पेंट से करने का आदेश दिया गया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल कर आए। छत्तीसगढ़ के मिलेट (मोटा अनाज) मिशन की प्रशंसा की। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि प्रदेश में 22 तरह के मिलेट भरपूर मात्रा में उगाए जाते हैं और उनमें से कई का समर्थन मूल्य भी सरकार ने तय किया है। मोदी ने छत्तीसगढ़ में मिलेट कैफे खोलने का भी सुझाव दिया। इस दौरान सीएम ने कुछ मांगें भी रखी। उन्होंने जीएसटी और बकाया कोयला लेवी की रकम मांगी। साथ ही हावड़ा-मुंबई रूट पर ट्रेनों को लगातार रद्द उन्हें का मुद्दा सामने रखा।  बस यह पता नहीं चल रहा है कि तारीफ के अलावा मुद्दों पर मोदी का जवाब क्या आया। मोदी ने क्या मांगों वाली बातों पर गौर नहीं किया या फिर भी संबंधित मंत्रियों से इस बारे में कोई पहल करने के लिए कहने जा रहे हैं? इंतजार करना होगा।

विपक्ष को मिला पूरा मौका

विधानसभा में जल-जीवन मिशन के टेंडर में 100 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप बीजेपी ने लगाया। उनकी शिकायत थी कि कोई ऑनलाइन टेंडर केवल 6 घंटे के लिए क्यों खोला गया? बीजेपी के वरिष्ठ सदस्य धरमलाल कौशिक, बृजमोहन अग्रवाल और नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल सवाल पर सवाल करते रहे। पूरे घटनाक्रम में ध्यान खींचने वाली बात थी आसंदी की तटस्थता और गरिमा। स्पीकर ने लंबी बहस के दौरान विपक्ष को जरा भी रोका-टोका नहीं और मंत्री का किसी तरह से बचाव भी नहीं किया। यह अलग बात है कि विपक्ष को वह जवाब नहीं मिला जो चाहता था और बहिर्गमन कर गया। यह बात इस संदर्भ में देखने लायक है कि राहुल गांधी जैसे कई नेता बार-बार कहते हैं कि हमें सदन में बोलने नहीं दिया जाता और कुछ बोलते हैं तो टीवी वाले दिखाते नहीं। छत्तीसगढ़, सदन में भरपूर तरीके से विपक्ष को बोलते हुए देख रहा है और टीवी पर भी उसका प्रसारण हो रहा है।

9 साल पहले सरोवर

सन 2013, 31 दिसंबर को आसमान से रायपुर शहर कुछ इस तरह दिखाई देता था। इसमें विवेकानंद सरोवर यानी बूढ़ा तालाब, इनडोर स्टेडियम और आउटडोर स्टेडियम दिखाई दे रहे हैं। अब काफी कुछ बदल चुका है। सरोवर का सौंदर्यीकरण हो चुका है और इस रास्ते पर ट्रैफिक भी काफी है।
(फोटो गोकुल सोनी की वॉल से)

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