राजपथ - जनपथ

तो अब क्या करें, चुनाव का इंतजार?
कांग्रेस ने जब 2018 में सरकार बनाई तो उस पर भारी-भरकम घोषणाओं को पूरा करने का दबाव था और आज भी यह बना हुआ है। अनियमित कर्मचारियों को रेगुलर करने का मुद्दा अब तक हल नहीं हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक 54 विभागों में करीब एक लाख 80 हजार अनियमित कर्मचारी हैं। संविदा, प्लेसमेंट एजेंसियों के कर्मचारी, ठेका कर्मी, दैनिक वेतन भोगी, को टर्मिनस, अंशकालिक कर्मी, कलेक्टर दर के कर्मी और मानदेय पाने वाले कर्मचारी इनमें शामिल हैं। सन् 2019 से इन लोगों ने नियमित करने की मांग पर आंदोलन चला रखा है और अब इनकी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार के पास बहुत कम समय बचा है। उस वक्त इनसे कहा गया था कि कर्ज माफी के कारण 10 हजार करोड़ रुपए खर्च हो गए अब आगे कर्मचारियों की सुनी जाएगी। पर, वह मौका अब तक नहीं आया। विधानसभा में शिवरतन शर्मा के सवाल का जवाब मंत्री टीएस? सिंहदेव की ओर से आया। उसमें कुछ भी स्पष्ट नहीं था। उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों से अनियमित कर्मचारियों की सूची मांगी जा रही है।( 4 साल बाद यह काम हो रहा है।) आने वाले बजट में शामिल करने की कोशिश करेंगे। ऐसा नहीं हो पाया तो अनुपूरक बजट में ले आएंगे। जवाब में सिंहदेव का मास्टर स्ट्रोक यह था कि मांग पूरी नहीं कर पाएंगे तो जनता के बीच जाएंगे और वह जो करेगी उसे स्वीकार करेंगे। यानि एक तरह से मंत्री ने हाथ खड़े कर दिए। अब कर्मचारी संगठन ही जानें कि अब भी आंदोलन करेंगे या चुनाव का इंतजार।
रेप का असर इतना बड़ा
मनेंद्रगढ़ ब्लॉक के छिपछिपी के स्वास्थ्य केंद्र में करीब दो माह पहले एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई थी। यहां की महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता के साथ हाथ-पैर बांधकर रेप किया गया था। इसके बाद यह हुआ कि अस्पताल उस घटना के बाद से बंद है। किसी महिला स्वास्थ्य कर्मी के जल्दी यहां पर चार्ज लेने की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है लेकिन पुरुष कर्मचारी भी ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं, ताला लटका रहता है। दूरस्थ अंचल वैसे भी स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर प्रदेश में कमजोर हैं। इस अस्पताल के बंद होने के कारण दिक्कत ऐसी हुई है कि जरूरतमंद लोगों को 20 किलोमीटर दूर मनेंद्रगढ़ जाना पड़ रहा है। जिले के सीएमएचओ खुद ही मान रहे हैं कि डर के कारण कोई कर्मचारी वहां जाने के लिए तैयार नहीं। यह एकउदाहरण है कि काम पर घर से बाहर निकलने वाली महिला के साथ बरते जानी असभ्यता असर केवल उस पर नहीं, पूरे समाज पर पड़ता है।
नन्हीं भव्या की कुशाग्र बुद्धि
राजनांदगांव जिले के छोटे से गांव सिंघोला की 3 साल की भव्या विश्वकर्मा इन दिनों सोशल मीडिया पर छा गई है। छोटी सी है, इसलिए अभी स्कूल में उसे दाखिला भी नहीं मिला है। उसका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह गांव के सरपंच से लेकर मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति का नाम सवालों पर तपाक से जवाब दे रही हैं। देश का राष्ट्रीय पक्षी, राष्ट्रीय फल, राष्ट्रगीत, राष्ट्रगान जैसे करीब दो दर्जन सवालों का उसने बिल्कुल सही सही जवाब छूटते ही दे दिया। आईपीएस दीपांशु काबरा ने भी अपने सोशल मीडिया पेज पर उसका वीडियो शेयर किया है। ([email protected])