राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : देखना है आगे क्या होता है
11-Jan-2023 4:38 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : देखना है आगे क्या होता है

देखना है आगे क्या होता है

राजस्व अफसरों ने प्रमोशन के लिए जो तरीका अपनाया था, उसका अनुसरण एक-दो निगम-मंडल के कर्मी भी करने लगे हैं। राजस्व अफसरों ने एकजुट होकर समय से पहले पदोन्नति के लिए ऐसा चक्कर चलाया कि फाइलें तेजी से दौडऩे लगी। पीएससी के लोग तो मानो प्रमोशन दिलाने के लिए तैयार ही बैठे थे। एक दिन में सारी कार्रवाई पूरी कर फाइल लौटा दी गई, और सौ से अधिक राजस्व अफसर प्रमोट हो गए। अब यही फार्मूला सरकार के एक निगम के अफसर-कर्मियों ने अपनाया है।
बताते हैं कि निगम के मुखिया कुछ दिन में रिटायर होने वाले हैं। जाने से पहले उन्होंने करीब ढाई सौ अफसर कर्मियों को डेढ़ साल पहले प्रमोट करने के लिए विभाग से अनुमति मांगी है। चर्चा है कि यदि अफसर-कर्मी प्रमोट हो जाते हैं, तो मुखिया को इतना कुछ दे जाएंगे कि  वो रिटायरमेंट के साथ मिलने वाली ग्रेच्युटी और पीएफ से ज्यादा होगी। मगर इसमें पेंच भी है। प्रमोशन के प्रस्ताव से निगम के कई अफसर-कर्मी खफा भी हैं। उन्होंने इसके खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। कुल मिलाकर प्रमोशन को लेकर निगम में बवाल मचने की प्रबल संभावना दिख रही है। देखना है आगे क्या होता है।

रिसर्च जर्नल में गर्ग का निबंध

सरगुजा आईजी रामगोपाल गर्ग की 23 सौ साल पूर्व चाणक्य लिखित ‘अर्थशास्त्र’ में पुलिस जाँच के तरीकों पर निबंध को पंजाब यूनिवर्सिटी ने रिसर्च जर्नल में जगह दी है। चाणक्य जमाने में भी अपराध विवेचना की शैली मौजूदा पुलिस की तरीकों से लगभग मेल खाती है। कड़ी मेहनत कर चाणक्य के दौर में हत्या, चोरी और नकब जैसी घटनाओं की भी विवेचना के बाद खुलासा होता था। यानी आज और सदियों पुराने दौर में भी पुलिस की कार्यशैली में कुछ ही बदलाव आए हैं। गर्ग ने विश्लेषण कर पाया कि विवेचना के साइंटीफिक तरीके सदियों से पुलिस के अभिन्न अंग रहे हैं, जिसका आज भी महत्व है। गर्ग एकेडमिक और रिसर्च में गहरी रूचि रखते हैं। 2007 बैच के गर्ग ने सीबीआई में तकनीकी पुलिसिंग पर लगभग 7 साल गुजारे। उनका साइबर अपराधों और अन्य क्राईम को सुलझाने के लिए तकनीकी पुलिसिंग पर शुरू से ही जोर रहा है।

लंपी वायरस के बीच बाजार

बस्तर में 2 दिनों के भीतर 17 मवेशियों में लंपी वायरस की पुष्टि हुई है। इसके अलावा करीब 80 पशुओं में इसके लक्षण मिले हैं। छत्तीसगढ़ के किसी अन्य जिले से इतनी बड़ी संख्या में एक साथ इतने मामले नहीं मिले हैं। जिन 3 गांवों में यह प्रकोप फैला है वहां सभी मवेशियों को आइसोलेट किया गया है। संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए कुछ गाइडलाइन भी तय किए गए हैं। इनमें से एक है मवेशियों का परिवहन रोकना और मवेशी बाजार पर प्रतिबंध लगाना। पर इधर सुकमा से खबर आ रही है कि प्रतिबंध के बावजूद यहां के गांव मुसुरपुटा मैं मवेशी बाजार लगा है। जाहिर है कि दूसरी जगह से मवेशियों का परिवहन भी किया गया। हैरानी की बात यह भी है यहां बाजार लग भी गया तो पशुओं की जांच करने के लिए पशु चिकित्सा विभाग का कोई डॉक्टर भी नहीं पहुंचा।
राज्य सरकार ने 15 राज्यों में फैल चुके इस वायरस से छत्तीसगढ़ को बचाए रखने के लिए अलग से बजट तय कर दिया है और टीकाकरण अभियान भी तेजी से चलाया जा रहा है। मगर जिला प्रशासन का निर्देश सिर्फ कागज में हो और बाजार लगने तथा परिवहन पर रोक नहीं लगे तो यह मुहिम विफल हो सकती है।

चुनाव है या युद्ध?

बोलचाल की भाषा में चुनावी लड़ाई, चुनावी जंग जैसे शब्दों का प्रयोग आम है। कोरबा में हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जनसभा के साथ ही संगठनात्मक स्तर पर भाजपा की गतिविधियां और तेज हो गई हैं। राजनांदगांव, बिलासपुर और रायपुर की बैठकों में प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने कार्यकर्ताओं का हरावल दस्ता तैयार करने के लिए कहा है।

यह सेना की टुकड़ी होती है, जो युद्ध के मैदान पर सबसे आगे पैदल चलती है। एक भाजपा नेता ने स्पष्ट किया कि यह कोई और दस्ता नहीं बल्कि बूथ लेवल कार्यकर्ता ही हैं जो सीधे मतदाताओं के संपर्क में रहते हैं। हरावल दस्ता कह देने से उनमें अलग तरह का जोश आ जाएगा। वैसे किसी भी युद्ध में सबसे पहले जान की बाजी हरावल दस्ते की ही लगी रहती है और जीत का श्रेय सेनापति को मिलता है।

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