राजपथ - जनपथ

उबाल दिख नहीं रहा लेकिन...
छत्तीसगढ़ में कोयला-उगाही का मुकदमा चला रही ईडी के ताजा रूख को लेकर सरकार में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के बीच सुगबुगाहट चलती ही रहती है। बहुत से लोग यह मानते हैं कि अब मामला ठंडा पड़ गया है, कई लोगों का मानना रहता है कि मामले के उबलने के कई दौर आते हैं, और दो उबाल के बीच का दौर यह धोखा देता है कि सब ठंडा पड़ गया है। इस बीच जानकार लोगों ने कम से कम तीन आईपीएस के पुख्ता नाम बताए हैं जिनसे ईडी ने लंबे बयान लिए हैं। कई और आईएएस, और आईपीएस के नाम लिए जा रहे हैं कि उनसे भी बयान या तो लिए जा चुके हैं, या लेने के लिए उन्हें नोटिस दिया जा चुका है। फिलहाल जब तक अदालत में ईडी को अगली चार्जशीट नहीं देनी है, तब तक जांच की उसकी रफ्तार कुछ धीमी भी दिखाई दे सकती है। बिना प्रेसनोट काम करने वाली इस एजेंसी को लेकर अफवाहों का बाजार हमेशा गर्म रहता है, और लोग अपनी-अपनी भावनाओं को खबर बनाकर पेश करते रहते हैं। फिलहाल जिन अफसरों के बयान हुए हैं, उन्होंने जांच एजेंसी को क्या कहा है इसे लेकर उन्हीं के सहयोगी दूसरे अफसरों के बीच सुगबुगाहट चल रही है।
कितने विधायकों की टिकट खतरे में?
खराब परफॉर्मेंस वाले विधायकों की टिकट काटने को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बयान काफी पहले आ चुका है पर लोगों का ध्यान अब इसलिए गया क्योंकि चुनाव नजदीक है। बीते साल उन्होंने विधानसभा क्षेत्रों का बारी-बारी दौरा शुरू किया था। 4 मई 2022 को इसकी शुरुआत सरगुजा जिले से हुई थी। उस समय उन्होंने सीधे-सीधे यह नहीं कहा था कि मौजूदा विधायकों में से किसी की टिकट कटेगी। यह जरूर कहा था कि अभी डेढ़ साल का समय है। ऐसे में बेहतर कार्यप्रणाली से वे अपनी स्थिति में सुधार ला सकते हैं। बुधवार तक सीएम 58 विधानसभा सीटों का दौरा पूरा कर चुके। आम लोगों से सीधे संवाद के दौरान उनके सामने इस तरह की कई शिकायतें आ रही हैं जो विधायकों के स्तर पर जिला प्रशासन से संपर्क करके ही निपटाए जा सकते थे। मसलन पेंशन नहीं मिलना, जाति प्रमाण पत्र का नहीं बनना, स्कूलों में शिक्षकों का नहीं पहुंचना आदि।
चर्चा है कि आंतरिक सर्वेक्षण में 30 विधायकों का परफॉर्मेंस खराब पाया गया है। इसका पैमाना उनका अपने क्षेत्र में सक्रिय होना, कार्यकर्ताओं से मुलाकात करते रहना, गांवों का दौरा करना, विधायक निधि का पूरा और ठीक तरह से इस्तेमाल करना, सत्ता और संगठन में तालमेल बिठाकर चलना आदि रखा गया। सरगुजा और बिलासपुर जैसे कुछ संभाग ऐसे हैं जहां संगठन और विधायकों के बीच भारी आंतरिक कलह दिखाई दे रही है। दूसरे अन्य जिलों में भी कांग्रेस के कई गुट हैं, मंत्रियों ने भी गुट बना लिए हैं। सत्ता में होने की वजह से बहुत से कार्यकर्ता ठेके और सप्लाई के काम में हिस्सेदारी भी चाहते हैं। उनके साथ भी पक्षपात हो रहा है। ऐसी ही सीटों की पहचान की जा रही है जहां यह टकराव कांग्रेस की जीत की संभावना धूमिल कर सकती है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में छत्तीसगढ़
केंद्र की मौजूदा मोदी सरकार के पास अब करीब 15 माह का कार्यकाल रह गया है। इसके बाद उसे चुनाव मैदान में उतरना है। वैसे तो सन 2023 में 9 राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं, पर छत्तीसगढ़ राजस्थान और मध्य प्रदेश पर सीटों की संख्या के कारण भाजपा का फोकस ज्यादा है। इस बात की प्रबल संभावना व्यक्त की जा रही है कि छत्तीसगढ़ को मंत्रिमंडल में एक और जगह मिल सकती है। इस समय रेणुका सिंह बतौर राज्यमंत्री मंत्रिमंडल में शामिल हैं। आदिवासी समुदाय के इस प्रतिनिधि के अलावा ओबीसी वर्ग प्रदेश में भाजपा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष जैसी महत्वपूर्ण जगह पर है। ऐसे में अटकल लगाई जा रही है मंत्रिमंडल में सामान्य वर्ग को प्रतिनिधित्व मिल सकता है। आगामी बजट सत्र से पहले इस विस्तार की संभावना है। यदि छत्तीसगढ़ को जगह मिलती है तो 2023 के चुनाव में भाजपा को अधिक मजबूती से कांग्रेस से मुकाबला करने में सुविधा होगी।
विदेशी मेहमानों का आगमन
बीते तीन-चार दिनों से जगदलपुर के दलपत सागर में विदेशी पक्षियों का झुंड पहुंच चुका है। सैलानी और स्थानीय निवासी इन्हें देख कर प्रफुल्लित हो रहे हैं।